अक्सर ऐसा होता है कि बचपन में हमारा सपना कुछ बनने का होता है लेकिन बाद में लक्ष्य कब बदल जाता है पता ही नहीं चलता। कई बार बचपन से मंजिल तय नहीं होता है कि आगे क्या करना है या क्या नहीं। इन्सान कई बार लंबे समय तक यह तय नहीं कर पाता है कि आखिर उसे क्या बनना है। कुछ ऐसा ही सफर रहा IAS दिव्या शक्ति का, जिसे अपनी मंजिल को तय करने में काफी लम्बा समय लगा और एक गांव से होने के बावजूद भी यूपीएससी में सफलता हासिल किया। आइये जानते हैं उनके सफर की रोचक कहानी।
दिव्या शक्ति (Divya Shakti) बिहार (Bihar) की रहनेवाली हैं। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में ही UPSC CSE 2019 की परीक्षा में 79वीं रैंक हासिल कर टॉपर्स की लिस्ट में अपना नाम भी दर्ज कर लिया है। दिव्या ने बताया कि वह वैसे कैंडिडेटस में शामिल नहीं होती हैं जिसका बचपन से यूपीएससी का सपना होता है। उन्होंने काफी समय बाद तय किया कि उन्हें किस क्षेत्र में जाना है। दिव्या ने बिट्स पिलानी से बीटेक किया है। वह सबसे पहले इंजीनियर बनी। उसके बाद उन्होंने इकॉनोमीक्स से मास्टर्स की उपाधि हासिल किया। अपनी B.Tech और मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होनें नौकरी करने का विचार किया और कुछ दिन तक एक कम्पनी में नौकरी भी की। लेकिन उन्हें अपने काम से सन्तोष नहीं था। कुछ और अलग पाने की चाहत लगातार उनके मन में चलती रहती थी। दिव्या के कुछ सीनियर यूपीएससी की तैयारी कर रहें थे और कुछ पास भी कर चुके थे। तभी से उनके मन में भी सिविल सर्विसेज में जाने का ख्याल आया।
UPSC करना है या नहीं करना है, या क्या करना है, इस बारें में दिव्या काफी लंबे वक्त तक असमंजस में रही। दिव्या बाकी कैंडिडेट को भी सुझाव देती है कि अपने मंजिल को तय न करना या क्या करना है इसे तय करने में वक्त लगाना गलत नहीं है। यदि आपकों आपका लक्ष्य क्या है यह समझ नहीं आता है, किस क्षेत्र में आपको अपना भविष्य बनाना सही रहेगा, इसमे परेशानी की कोई बात नहीं हैं। जितना समय लगे उतना वक्त लिजिये और आराम से तय कीजिये कि आपकी खुशी किस क्षेत्र में है। उसके बाद अपना लक्ष्य तय करने के बाद पूरे लगन से उसे पाने की कोशिश करनी चाहिए।
दिव्या अपने बारे में बताती है कि मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1 वर्ष भिन्न-भिन्न परीक्षाएं दी, जिससे वे समझ पाये कि आखिर उन्हें किस क्षेत्र में जाना है। मास्टर्स करने के बाद अक्सर हर किसी को यह समझ आ जाता है कि उन्हें अपने जीवन में क्या करना है और क्या नहीं। लेकिन दिव्या को इस बात को कहने में हिचकिचाहट नहीं होती है कि उन्हें क्या करना है यह तय करने में 1 वर्ष का समय लगा।
दिव्या ने आगे बताया कि UPSC की परीक्षा देने के पीछे उद्देश्य साफ होना चाहिए। इस परीक्षा में मंजिल देर से मिलती है, यदि मोटीवेशन जबरदस्त नहीं रहा तो बहुत जल्द ही मंजिल पाने की इच्छा खत्म हो जाती है। इसलिए किसी की देखा-देखी या इस पद की शान-प्रतिष्ठा को देखकर इसका फैसला नहीं करना चाहिए। प्रेरणा बहुत बड़ी होती है क्यूंकि पहली बार भी परिक्षा पास करने के बाद भी कम से कम 2 वर्ष का वक्त लग जाता है। ऐसे में खुद को हमेशा तैयार करने के लिये प्रेरित करने के पीछे बहुत बड़ा उद्देश्य होना चाहिए। दिव्या ने इस परीक्षा के बारें में सारी जानकारी हासिल किया और पता किया कि यह सर्विस होती क्या है तथा चयन होने के बाद उन्हें किस तरह का कार्य करना होगा, उसमें कैसी-कैसी कठिनाइयों का सामना करना होगा। इस तरह के सभी डाउट्स को क्लियर करने के बाद अपने कदम को आगे बढ़ाया।
दिव्या कहती है कि UPSC की परीक्षा देना है यह निश्चय करने के बाद तीन सवाल अक्सर कैंडिडेट के मन में आते है। पहला, ऑप्शनल का चयन कैसे करें। इस बारे में उन्होंने बताया कि UPSC में दिये विषयो में से जिस विषय में आपको कन्फ्यूजन हो, उसकी NCERT की पुस्तकें पढ़नी चाहिए। उसके बाद यह तय करना चाहिए किस विषय में अधिक रुचि है। इसके अलावा जिस विषय का चुनाव करना है, उसकी किताबें और अन्य सोर्सेज उप्लब्ध हैं या नहीं। इसके बाद भी यदि समझ में ना आये तो पिछ्ले वर्ष का पेपर देखना चाहिए। इससे ऑप्शनल का चुनाव करने मे मदद मिलेगी।
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दूसरा सवाल यह कि कोचिंग लेना है या नहीं। इसके उत्तर में दिव्या कहती है कि यह कैंडिडेट के ऊपर निर्भर है। बात मैटेरियल की है तो वह ऑनलाइन उप्लब्ध है। जितना मैटेरियल चाहिए उतना मिल सकता है। गाइडेंस भी टॉपर्स टॉक के रूप मे मिल जायेगा। दिव्या खुद भी कई सारे विदियोज देखे तब निर्णय किया। तीसरा सवाल क्या नौकरी के साथ परीक्षा की तैयारी किया जा सकता है। इसके बारें में उन्होंने बताया कि हां, एकदम जॉब के साथ इस परीक्षा को पास किया जा सकता है। यह उस व्यक्ति के योग्यता पर निर्भर करता है।
The Logically दिव्या शक्ति को उनकी सफलता के लिये बधाई देता है।