Monday, December 11, 2023

पैसे के अभाव मे कोचिंग ने दाखिला नही लिया, खुद मेहनत कर IAS बन गए: प्रेरणा

यदि दृढ़ निश्चय कर लिया जाए कि असफलता के सामने घुटने नहीं टेकने हैं, तो बड़ी-से-बड़ी चुनौती भी नीचे नहीं गिरा सकती है। “सफलता किसी का मोहताज नहीं होती है।” सफलता की चाह रखने वालों को इस संसार की कोई भी संकट/विपत्ति बाधित नहीं कर सकती है। बिना संघर्ष किए कामयाबी को हासिल नहीं किया जा सकता है, क्यूंकि संघर्ष ही कामयाबी के शिखर तक पहुंचने की सीढ़ी है। आज की यह कहानी संघर्षों से जूझकर बिना हारे सफलता हासिल करने वाले एक शख्स की है।

वह एक किसान के बेटे हैं हिन्दी और इंग्लिश भाषा का ज्ञान नहीं होने और छोटे से गांव के होने की वजह से किसी भी कोचिंग संस्थान ने दाखिला नहीं दिया। उस बेटे ने अपनी मेहनत और लगन की वजह से UPSC की परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल किया। लेकिन गरीबी इतनी अधिक कि जब सम्मानित करने के लिए दिल्ली बुलाया गया तो किराए के लिए भी पैसे नहीं थे। पड़ोसी से पैसे उधार मांग कर दिल्ली गया। उस प्रतिभाशाली युवा ने अपने संघर्षो से सभी के लिए बहुत हीं अनोखा मिसाल कायम किया है। आईए जानते हैं उस युवा के बारे में जिसने संघर्षों का सामना करते हुए देश के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी में तीसरा रैंक हासिल किया।

गोपाल कृष्ण रोनांकी (Gopal Krishna Ronanki) आंध्र प्रदेश (Andhra pradesh) के श्रीकाकुलम जिले के पालसा ब्लॉक के एक छोटे-से गांव परसाम्बा के रहने वाले हैं। उनके माता-पिता खेत में काम करने वाले मजदूर हैं। गोपाल कृष्ण का सपना था कि वह एक कलेक्टर बनें। गोपाल की माता अशिक्षित हैं। अनपढ़ होने के बाद भी वह चाहती थीं कि उनका बेटा गोपाल एक अच्छी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करें लेकिन घर परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से गोपाल का दाखिला एक सरकारी स्कूल में ही कराना पड़ा। गोपाल के घर में बिजली नहीं होने की वजह से घर में अंधेरा रहता था। गोपाल जब बड़े हुए तो भी उनके घर की आर्थिक स्थिति अभी भी उतनी अच्छी नहीं थी कि उन्हें कॉलेज की पढ़ाई के लिए भेजा जा सके। इसलिए गोपाल ने ग्रेजुएशन की शिक्षा डिस्टेंस एजुकेशन से पूरा किया उन्होंने अभी सभी शिक्षा तेलुगु भाषा में पूरी की है।

Ias Krishna ronanki

गोपाल स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2 महीने के लिए टीचर्स ट्रेनिंग का कोर्स किया। उसके बाद उन्होंने वर्ष 2006 में एक सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी लगी। गोपाल के लिए नौकरी बहुत महत्वपूर्ण थी। वह 11 वर्षो तक प्राईमरी स्कूल में शिक्षक की नौकरी किए। इन सब के बाद भी उन्होंने अपने अंदर अपने सपनों को जिंदा रखा। अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने जीवन में एक ठोस कदम उठाया। उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया। गोपाल शिक्षा की नौकरी छोड़कर हैदराबाद (Hyderabad) चले गए। उनकी चाहत थी कि किसी अच्छे कोचिंग संस्थान में उनका नामांकन हो जाए।

उस शहर ने गोपाल को स्वअध्ययन करने के लिए विवश कर दिया। गोपाल को किसी भी इंस्टीटयूट में एडमिशन नहीं मिला। उनसे कहा गया कि वह एक छोटे से गांव से हैं तथा उन्हें हिंदी और अंग्रेजी भाषा में नहीं आती है तथा वह इस ट्रेनिंग के लिए योग्य नहीं है। उसके बाद गोपाल के लिए खुद से पढ़ाई-लिखाई करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था।

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गोपाल ने अपने बल पर तैयारी करना आरंभ किया। परंतु सही गाइडेंस नहीं मिलने की वजह से उन्हें UPSC के परीक्षा में तीन बार असफलताओं का सामना करना पड़ा। लेकिन गोपाल ने अपनी असफलताओं से हार नहीं मानी। वह अपनी असफलताओं से सीख लेकर आगे बढ़ते रहे। उस समय उनके पेरेंट्स को इस बारे में जानकारी नहीं थी। वे सोंचते थे कि वह एक शिक्षक की नौकरी कर रहा है तथा शांति से जीवन व्यतीत कर रहा है।

गोपाल ने यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा मेंस के लिए तेलुगु भाषा को ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में चयन किया। उन्होंने इंटरव्यू भी तेलुगु भाषा में ही दिया। गोपाल ने तेलुगू द्विभाषीय की सहायता से इंटरव्यू दिया।

Ias Krishna ronanki

गोपाल कृष्ण रोनांकी कहते हैं कि माध्यमिक शिक्षा ग्रहण करने तक उनके घर में बिजली नहीं थी। उनके माता-पिता जानते थे कि वह एक शिक्षक हैं। परंतु उन्होंने अपने माता-पिता का यह भ्रम तोड़ दिया तथा उन्हें बताया कि उनका आईएएस (IAS) के लिये चयन हो गया है। वह शीघ्र ही कलेक्टर बनेंगे।

यूपीएससी टॉपर्स को सम्मानित करने के लिए जब दिल्ली (Delhi) बुलाया गया उस वक्त गोपाल कृष्ण रोनांकी के पास दिल्ली जाने के लिए किराए के लिए भी पैसे नहीं थे। वह पड़ोसी से पैसे उधार लेकर दिल्ली गए।

The Logically गोपाल कृष्ण रोनांकी के कठिन परिश्रम और संघर्षों को हृदय से नमन करता है।