Wednesday, December 13, 2023

पिता ने गार्ड की ड्यूटी कर पढाया, आर्थिक तंगी से लड़ते हुए हार नही मानी और IRS अधिकारी बन गए: प्रेरणा

संसार के हर माता-पिता अपने बच्चों को सफलता के मुकाम पर देखना चाहते हैं। उनकी यह ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे ऐसा काम करें जिससे उनकी जिंदगी सुलभ और सफल हो। आर्थिक स्थिति चाहे जैसी भी हो अपने बच्चों की परवरिश में हर संभव कोशिश करते हैं। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो अपने माता-पिता के संघर्षों को महसूस कर सफलता की इबारत लिखते हैं। आज बात एक ऐसे नौजवान की जिन्होंने अपनी गरीबी और लाचारी से लङकर अपने पिता के सपनों को साकार किया। आईए जानते हैं उस पिता-पुत्र की कहानी…

सूर्यकांत द्विवेदी (Suryakant Dwivedi) उत्तरप्रदेश (Utter Pradesh) रायबरेली जिले के रहने वाले हैं। सूर्यकांत द्विवेदी लखनऊ विश्वविद्यालय में सिक्योरिटी गार्ड का कार्य करते थे। इनके बेटे का नाम कुलदीप द्विवेदी है। सूर्यकांत सभी से अपने बेटे के बारे में कहा करते थे कि वह भी एक दिन सरकारी अफसर बनेगा। अपने बेटे को सरकारी अफसर बनाने के लिये हर सम्भव प्रयास किया। परिणामस्वरुप कुलदीप द्विवेदी ने अपने पिता के सपने को पूरा कर दिखाया।

कम आमदनी के बावजूद भी बेटे की पढ़ाई जारी रखी

कुलदीप द्विवेदी(Kuldeep Dwivedi) के पिता जी लखनऊ विश्वविद्यालय में सिक्योरिटी गार्ड थे। 1991 में उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड की डिप्टी ज्वाइन किया था। उस समय उनकी मासिक आमदनी 1100 रुपये थी। उनके परिवार में 6 सदस्य थे। पूरे परिवार का भरण-पोषण कुलदीप के पिता की सैलरी से ही होता था। समय के साथ सब कुछ बदलता है। कुलदीप के पिता के तनख्वाह में बढ़ोतरी हुईं लेकिन बढ़ोत्तरी के बाद भी तनख्वाह पूरे परिवार के भरण-पोषण के लिये काफी नहीं थी। इसलिये सूर्यकांत द्विवेदी ने अपने गार्ड की डिप्टी से समय निकाल कर खेती के कार्य करने लगे। सूर्यकांत द्विवेदी की अधिक शिक्षित नहीं थे, इसलिए शिक्षा के अभाव में उन्हें कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती थी। शिक्षा का अभाव में परेशानियों का सामना करने के कारण वे शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह से समझते थे। कुलदीप द्विवेदी के पिताजी ने अपने बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिये हर सम्भव प्रयास किया। उनके बच्चे भी पढ़ाई-लिखाई कर प्राईवेट नौकरी करने लगे जिसके बाद घर-परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।


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कठिन संघर्षो से जूझकर पूरी की पढ़ाई

सूर्यकांत द्विवेदी को सबसे ज्यादा खुशी और गर्व उस समय महसूस हुआ जब उनका छोटा बेटा कुलदीप द्विवेदी सरकारी ऑफिसर बने। कुलदीप की प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से पूरी हुईं। उच्च शिक्षा की पढाई पूरी करने के बाद कुलदीप ने 2009 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिन्दी विषय से B.A की डिग्री प्राप्त किए। उसके बाद उसी यूनिवर्सिटी से उन्होंने Geography (भूगोल) से M.A की उपाधि हासिल किया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी करने के लिये दिल्ली चले गये और वहां एक किराये के कमरे में रहकर यूपीएससी के परीक्षा की तैयारी में जुट गयें। कुलदीप द्विवेदी को घर के आर्थिक दिक्कतो के कारण उन्हें अधिक पैसे नहीं मिलते थे। इसलिए वे एक शेयरिंग के कमरे में रहते थे। अपनी परीक्षा की तैयारी करने के लिये वे अपने दोस्त की किताबों को मांग कर पढ़ाई करतें थे। इतना ही नहीं बल्कि कुलदीप पैसों की बचत करने के लिये हर काम रुम पार्टनर के साथ मिलकर करते थे।

असफलयाओं को हराकर प्राप्त की सफलता

कुलदीप द्विवेदी जब यूपीएससी की परीक्षा पहली बार दिये तो वह असफल रहे। पहली बार में उन्होंने यूपीएससी के प्रिलिम्स की परीक्षा भी पास नहीं कर सकें। उसके बाद उन्होंने दुबारा से तैयारी की और परीक्षा दिए लेकिन दूसरें बार भी वह असफल रहें। दुसरी बार की परीक्षा में कुलदीप प्रिलिम्स में पास हुयें लेकिन मेन्स की परीक्षा में फिर से असफल रहें। लगातार 2 बार असफल होने के कारण उनका 2 साल का समय ऐसे ही गुजर गया या यूं कहें की उनके लिये 2 साल डेडलाइन जैसे था क्यूंकि कुलदीप के पिताजी घर की हालत ठीक नहीं होने के कारण अधिक दिनों तक पैसें नहीं भेज सकतें थे। इसके बावजूद भी कुलदीप ने अपनी नाकामयाबी से डर कर नहीं बैठें। उन्होंने अपनी असफलता से सीख लेकर फिर से परीक्षा की तैयारी करनी शुरू की। कुलदीप की मेहनत रंग लाई। आखिरकार वे 2015 में यूपीएससी की परीक्षा में सफल हो गये। वे UPSC में 242वां रैंक हासिल कियें जिससे उनके माता-पिता का सपना पूरा हुआ। यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद उन्होंने इंडियन रेवेन्यू सर्विस का चयन किया। सिविल सर्विस में चयन होने के कारण कुलदीप ने अपना और अपने पिता दोनों के सपने को साकार किया और सभी के लिये वह एक प्रेरणा बन गये।

विपरीत परिस्थितियों का सामना कर जिस तरह सूर्यकांत जी ने अपने बेटे की पढ़ाई जारी रखी वह अन्य अभिभावकों के लिए प्ररेणा हैं और जिस तरह हालातों से जूझकर कुलदीप ने अपने पिता के सपने को पूरा किया वह अन्य युवाओं के लिए प्ररेणा हैं। The Logically कुलदीप द्विवेदी को उनकी सफलता के लिये बधाई देता है और उन्हें और उनके पिता जी को नमन करता है।