Wednesday, December 13, 2023

महीने भर अस्पताल में भर्ती रहे, ICU में रहकर भी पढाई किये और आज IAS बन चुके हैं

यदि मनुष्य चाहे तो अपनी किस्मत बदल सकता है। मनुष्य अपने मेहनत से असंभव कार्य को सम्भव बनाने की ताकत रखता है परंतु कई बार जीवन में निराशा हाथ लगने की वजह से मनुष्य ज्योतिषी से अपने हाथ की लकीरें दिखाने लगता है। उसके बाद सफलता पाने के लिए मनुष्य ज्योतिषी के दिखाए मार्ग पर ही चलता है। लेकिन कहा जाता है, न.. “मत कर यकीन हाथ की लकीरों पर, किस्मत उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते।”

आज हम आपको एक ऐसे इन्सान से अवगत कराने जा रहें हैं जिसने अपने जीवन की तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुये एक IAS बनकर अपने भाग्य रेखा को बदल दिया। उस इन्सान ने ज्योतिष की कही बातों तथा हाथ की लकीरों पर भरोसा न कर के अपनी मेहनत पर भरोसा किया और कामयाबी की नई कहानी लिख दी।

आइये जानते है उस इन्सान के बारे में

नवजीवन पवार (Navjivan Pawar) महाराष्ट्र (Maharastra) के नासिक जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता एक किसान है तथा माता एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक है। नवजीवन पवार ने सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। 27 मई 2017 को नव जीवन के कॉलेज की शिक्षा पूरी होने के बाद नवजीवन अपने दोस्तों के साथ दिल्ली (Delhi) चले गए तथा वहां UPSC की तैयारी में जुट गए। नवजीवन ने पूरी लगन और मेहनत से यूपीएससी की तैयारी की और और वर्ष 2018 के यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता हासिल किया।

Navjivan Pawar IAS

मुख्य परीक्षा के 28 दिन पहले डेंगू की बिमारी से ग्रसित

कहते है न हमारे जीवन में कब क्या हो जाये इसे कोई नहीं जानता। नवजीवन यूपीएससी के मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुटे थे। तभी परीक्षा होने के 28 दिन पहले नवजीवन पवार को डेंगू हो गया। उनकी स्थिति अत्यधिक खराब होने की वजह से उनके दोस्तों रवि और योगेश ने उन्हें दिल्ली के सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पीटल में भर्ती करा दिया लेकिन वहां उनकी तबियत में सुधार नहीं हुआ। उसके बाद वह अपने घर नासिक चले गये। उनके परिवार जन ने उन्हें गंगापुर रोड़ कासलिवाल हॉस्पिटल में एडमिट कराया। नवजीवन की हालत बहुत नाजुक होने की वजह से डॉक्टरों ने उन्हें ICU में भर्ती कर दिया। नवजीवन के पास मुख्य परीक्षा के लिये सिर्फ 28 दिन ही बचे थे।

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ICU में भर्ती होने के बाद नवजीवन के पिता ने कहा, “उसके सामने दो ही रास्ते है, रोना है या लड़ना है।” नवजीवन ने लड़ने का फैसला किया। उन्होंने हॉस्पिटल के नर्स से कहा, “मुझे दाहिने हाथ से मुख्य परीक्षा के नौ पेपर लिखना है। कुछ भी करो। सभी इंजेक्शन बाये हाथ में लगा दो परंतु दाहिने हाथ को कुछ भी नहीं होना चाहिए।”

नवजीवन की दूसरी लड़ाई हॉस्पिटल के डॉक्टर से थी। वह ICU में थे। एक हाथ में दवा की बोतल चढ़ाई जा रही थी तथा बगल में यूपीएससी की तैयारी की सभी किताबे रखी हुईं थी। इसे देखकर डॉक्टर ने कहा कि परीक्षा से बड़ी जिन्दगी हैं। परीक्षा तो कभी भी दिया जा सकता है लेकिन नवजीवन ने हार नहीं मानी। वह अस्पताल में परीक्षा की तैयारी करते रहे।

उनकी बहन और भांजी ने अस्पताल में ही नोट्स तैयार किया। नवजीवन के एक दोस्त जो दिल्ली रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, वह विडियो कॉलिंग के जरिए नवजीवन को अर्थशास्त्र की तैयारी करवाता था। हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद नवजीवन नासिक से दिल्ली चले गये। 13 दिन बाद परीक्षा का समय था। उनके दोस्तों ने मुख्य परीक्षा के लिये उनका मनोबल बढ़ाया तथा हिस्सा लेने के लिये मानसिक रूप से तैयार भी किया।

Navjivan Pawar IAS

नवजीवन पवार बताते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा पास करने से पहले उन्हें डेंगू और डायरिया हो गया। इतना ही नहीं उन्हें एक कुत्ते ने भी काटा और उनका फोन भी गुम हो गया। एक के बाद एक हादसे होने के बाद नवजीवन अपने दोस्तों के कहने पर एक ज्योतिषी के पास अपना हाथ दिखाने के लिए गए। नवजीवन की हाथ को देखते हुए ज्योतिषी ने कहा कि 27 वर्ष की उम्र तक तुम आईएएस नहीं बन पाओगे।

ज्योतिषी की बात सुनकर कुछ पल के लिए नवजीवन निराश हो गए। तभी उन्हें मिर्जा गालिब की एक पंक्ति याद आई:- हाथ की लकीरों पर मत जा ए गालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते… नवजीवन ने भी हाथ की लकीरों पर भरोसा ना कर अपनी मेहनत भरोसा किया। इसी बीच उनके मुख्य परीक्षा का परिणाम भी आ आ गया।

23 फरवरी को नवजीवन पवार ने अपने परिजनों के लिए एक पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में लिखा कि वह पहले ही प्रयास में एक आईएएस बन गए हैं परंतु सत्य यह था कि यूपीएससी परीक्षा का साक्षात्कार 25 फरवरी को होना अभी बाकी था। लेकिन नवजीवन को अपनी मेहनत और लगन पर पूरा विश्वास था। उसके बाद जब UPSC वर्ष 2018 का परिणाम आया तो नवजीवन ने 360वीं रैंक के साथ सफलता हासिल की थी और अंततः वह एक IAS बन गये।

The Logically नवजीवन पवार के कठिन मेहनत और संघर्ष को शत-शत नमन करता है। उन्होंने प्रेरणा की मिसाल कायम किया है।