अगर हम कुछ करने की ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है बस हमारा प्रयास हमारे सपने लायक होना चाहिए। अक्सर हम सपना तो बहुत बड़ा देख लेते हैं, परंतु कुछ समस्या आते हीं हम उसके सामने घुटने टेक देते हैं। मगर सफल वही होता हैं जो उन परिस्थितियों से लड़ता है। आज हम एक ऐसे हीं युवा की बात करेंगे जिसे बचपन जीने तक का मौका नहीं मिला फिर भी उसने कभी हार नहीं मानी।
डॉ. राजेंद्र भारूड (Dr. Rajendra Bharud)
राजेंद्र भारूड महाराष्ट्र (Maharashtra) के धुले (Dhule) जिले के रहने वाले हैं। राजेंद्र के जन्म लेने के पहले हीं उनपे दुखो का पहाड़ टूट पड़ा। जब वो अपनी माँ के कोख में थे, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। बहुत से लोगों ने राजेंद्र की माँ से अबॉर्शन कराने को कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। राजेंद्र के माँ के अलावा उनका कोई और नहीं था। उनकी माँ ने अपना तथा राजेंद्र के पालन-पोषण के लिए शराब बेचना शुरू कर दिया।
राजेंद्र का बचपन
राजेंद्र बताते हैं कि उन्हे बचपन से हीं बहुत से मुश्किलों का सामना करना पड़ा। राजेंद्र जब 2-3 साल की उम्र में रोते थे तो शराबियों को दिक्कत होती थी इसलिए वो दो चार-बूंद शराब उनके मुंह में डाल देते और राजेंद्र वह पी के चुप हो जाता था। जिस उम्र में बच्चे को दूध की जरूरत है उस उम्र में उनके मुँह में शराब दे दिया जाता था और इस तरीके से उनकी भूख मिटा दी जाती थी।
राजेंद्र ने शिक्षा का मार्ग चुना
ऐसे हीं परिस्थितियों में राजेंद्र बड़े हुए जब वो इस परिस्थिति से बाहर निकलने के बारे में सोचें तो उन्हें शिक्षा हीं एकमात्र जरिया लगा। राजेंद्र जब थोड़े बड़े हो गए तो शराब पीने आने वाले लोग उनसे कोई न कोई काम करने को कहते जैसे स्नैक्स आदि मंगाते और उसके बदले उन्हे कुछ पैसा दे देते। राजेंद्र उन पैसों को इकट्ठा कर उससे किताबे खरीदते और इसी तरह पढ़ाई करनी भी शुरू कर दी। राजेंद्र की पढ़ाई में उनके माँ ने भी उनका पूरा साथ दिया।
राजेंद्र का शिक्षा का सफर
राजेंद्र ने कड़ी मेहनत की और उसके फलस्वरूप उन्होंने 10वीं में 95% अंक के साथ तथा 12वीं में 90% के साथ परीक्षा पास की। अच्छे नंबर आने से उन्हें आगे की पढ़ाई करने के लिए भी मनोबल बढ़ा। उसके बाद उन्होंने मेडिकल की परीक्षा भी सफलतापूर्वक क्रैक की। उसके बाद मुम्बई ( Mumbai) में स्थित सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज (Seth GS Medical College) में दाखिला लिया। उसके बाद वो अपने सपने की ऊंचाई पर चढते गए।
राजेंद्र ने की यूपीएससी (UPSC) की तैयारी
राजेंद्र मेडिकल की पढ़ाई खत्म करने के बाद यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में बैठने का निश्चय किया। उसके बाद क्या था, वो जुट गए यूपीएससी की तैयारी में। राजेंद्र ने दिन-रात एक कर पढ़ाई की और उसके परिणाम में वो साल 2012 में 527वें रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
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राजेंद्र अपनी मेहनत से बने दूसरों के लिए प्रेरणा
राजेंद्र बताते हैं कि “शराब बेचनेवाले का बेटा शराब ही बेचेगा” ऐसा कह कर लोग उनके मेहनत का मजाक उड़ाया करते थे पर राजेंद्र अपनी मेहनत से कामयाबी के उस मुकाम पर पहुँच गए हैं जहाँ से वो दूसरों के लिए प्रेरणा हैं। राजेंद्र महाराष्ट्र के नंदूरबार (Nandurbar) जिले के कलेक्टर हैं।
The logically राजेंद्र भारूड के इस हौसले और उनके द्वारा की गई मेहनत की प्रसंशा करता है और उनके इस कामयाबी के लिए उन्हें बधाई भी देता है।