Monday, December 11, 2023

आंखों की रौशनी जाने पर लोगों ने बोला अनाथालय भेज दो, लेकिन पेरेंट्स ने पढाया और आज IAS बन चुके हैं

सामान्य व्यक्ति की तुलना में शरीर से असामान्य व्यक्ति का जीवन चुनौती से भरा होता हैं। हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि उन्हें किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं। ऐसे में अगर कोई बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त करता हैं तो न सिर्फ़ खुशी होती है बल्कि आश्चर्य भी होता है, और उनसे प्रेरणा भी मिलता है। आज की हमारी कहानी एक ऐसे ही नेत्रहीन व्यक्ति की हैं जो अपने पहले प्रयास में ही IAS बने।

राकेश शर्मा

यह कहानी है हरियाणा (Hariyana) के रहने वाले राकेश शर्मा (Rakesh Sharma) की। राकेश जन्म से ही नेत्रहीन हैं। जन्म के बाद इनके माता-पिता को लोगों ने राकेश को अनाथाश्रम में डालने की राय दी, परंतु इनके माता-पिता ने बिना लोगों की बात को अनसुना कर दिया और इन्हे आगे बढ़ने का मौका दिया। राकेश शुरू से ही पढ़ने में काफी तेज तर्रार थे। राकेश दृष्टिहीन होने के बावजूद भी सामान्य छात्र की तुलना में काफी तेज थे।

Ias rakesh sharma

राकेश शर्मा कि पढाई का सफ़र

राकेश शर्मा (Rakesh Sharma) अपनी 8वीं तक की शिक्षा हरियाणा में ही प्राप्त किए। परंतु उसके बाद हरियाणा में अच्छा ब्लाइंड स्कूल ना होने की वजह से इनके माता-पिता ने इनका नामांकन दिल्ली (Delhi) के JPM Blind Senior Secondary School में कराया। यहाँ से राकेश ने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। राकेश के अच्छे मार्क्स के कारण Kirori Mal Collage (Delhi) में इनका नामांकन हुआ वहाँ से इन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।

यह भी पढ़ें :- नौकरी छोड़ IAS बनने का निश्चय किया, लगातार 5 परीक्षाओं में फेल होने के बाद आखिरी बार मे सफलता मिली

Ias rakesh sharma

राकेश शर्मा का IAS बनने का सफ़र

राकेश का सपना IAS बनने का था। वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद युपीएससी UPSC की तैयारी में जुट गए। इन्होंने बहुत सारे Academic entrance exam दियें, इसी बीच उनका सोशल वर्क एंटरेन्स निकला तब इन्होंने M.A किया। उसके बाद साल 2018 में राकेश पहली बार युपीएससी UPSC की परीक्षा में बैठें और पहली बार में ही 608 वीं रैंक के साथ एग्जाम क्लियर कर लिए। परंतु राकेश को यह रैंक मंजुर नहीं था। वह अगले वर्ष 2019 में फिर से एग्जाम दियें और उसमें 512वीं रैंक प्राप्त किये।

जहाँ पर सामान्य व्यक्ति को यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में सफ़ल होंने में सालों की मेहनत लग जाती हैं, वहीं राकेश शर्मा नेत्रहीन होने के बावजूद पहले प्रयास में ही सफ़ल हुए। इनसे आने वाली पीढ़ी को सीख लेनी चाहिये।

The logically राकेश शर्मा के हौसले की सरहाना करता है और उनको इस कामयाबी के लिए बधाई देता है।