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पिता ने किराने की दुकार पर काम किया, मजदूरी कर बेटी को पढाया, दूसरे प्रयास में ही श्वेता UPSC निकाल बनी IAS

जहां हौसला और परिश्रम हो, वहां किसी भी मंजिल के शिखर को छुआ जा सकता है। कठिन मेहनत, हौसला किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। बड़े-बुजुर्गों ने कहा भी है, बिना कठिन परिश्रम के सफलता हाथ नहीं लगती है। मनुष्य के जीवन में चाहे जैसी भी परिस्थितियां आये उससे हौसला कम नहीं करना चाहिए बल्कि दृढ़ इच्छा-शक्ति से विपरीत परिस्थितियों से लड़कर मंजिल पाने की राह पर अग्रसर होना चाहिए।

आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, यह एक IAS बेटी की है, जिसके पिता ने दिहाड़ी मजदूरी के साथ सब्जी की दुकान चलाकर अपनी बेटी को आईएएस बना दिया। पिता के संघर्ष को बेटी ने बेकार नहीं जाने दिया। 2015 में UPSC की परीक्षा में 19वीं रैंक हासिल कर अपने पिता का सर हमेशा के लिये गर्व से ऊंचा कर दिया।

IAS श्वेता अग्रवाल के पिताजी का नाम संतोष अग्रवाल है और माता का नाम प्रेमा अग्रवाल है। उनके पिता जी 12वीं कक्षा तक पढ़े हैं और उनकी माता की शिक्षा 10वीं कक्षा तक ही हुईं है। संतोष अग्रवाल का जीवन दिहाड़ी मजदूरी से आरंभ होकर एक दुकान पर खत्म हो गया। संतोष अग्रवाल अपने बेटी को कुछ बड़ा बनते हुयें देखना चाहते थे। संतोष अग्रवाल ने कभी भी अपनी बेटी को किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी। उन्होंने श्वेता को अच्छे स्कूल में पढ़ाया और हमेशा ऊंचाइयों को छुने के लिये प्रेरित किया।

पिता की मेहनत रंग लाई। श्वेता एक IAS ऑफिसर है। IAS श्वेता अपने माता-पिता के बारे में कहती हैं कि वे विश्व के सबसे अच्छे पैरंट्स हैं। उन्होंने कभी भी गरीबी को आड़े नहीं आने दिया। अच्छे स्कूल में शिक्षा दिलाया। उनके माता-पिता हिन्दी माध्यम से शिक्षित है लेकिन उनहोंने अपनी बेटी श्वेता को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाया-लिखाया। श्वेता जब दूसरी कक्षा में थी तो बाकी बच्चों की तरह उन्हें भी घर से पैसे लाकर भोजन खरीदने के लिये कहा जाता था। इस बात पर उनके माता-पिता ने श्वेता से कहा था कि उनके पास पैसे नहीं है। वे सिर्फ एक चीज पर सबकुछ कुर्बान कर देंगे और वो है शिक्षा।

श्वेता अग्रवाल के संघर्ष का वीडियो देखें

श्वेता ने अपनी पढ़ाई कोलकाता से पूरी की है। ज्वाइंट परिवार होने के बाद भी उनके पिता व्यवहारिक रूप से बेरोजगार थे। उन्होंने अपनी बेटी श्वेता अग्रवाल के लिये काफी संघर्ष किये। दैनिक मजदूरी, किराने के दुकान में कार्य करना तथा सब्जी की दुकान भी चलाई। श्वेता ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई सेंट जेवियर कॉलेज, कोलकाता से पूरी की। वे सेंट जेवियर में अर्थशास्त्र में फर्स्ट आई थी। वह हमेशा से ही एक IAS बनना चाहती थी। श्वेता अग्रवाल 2 बार UPSC की परीक्षा में बैठी थी। कोलकता कैडर में शामिल होने पर वह गर्व की अनुभूति करती है।

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हमारे समाज में अक्सर यह सुनने को मिलता है कि लोग अपनी बेटियों की शिक्षा पर जीवन भर की पूंजी दांव पर नहीं लगाते हैं। मध्यम वर्ग के लोग हमेशा अपनी बेटियों को एक बन्धन में रखते हैं और ऐसे पिता कभी भी अपनी बेटियों के लिये खुले आसमान में उड़ने का सपना नहीं देखते हैं। मध्यम वर्ग के पिता का बस एक ही सपना होता है, बेटी की शादी। लेकिन ऐसे सोच से ऊपर उठकर संतोष ने अपनी बेटी के लिए एक ख़्वाब सजाया और बेटी को एक IAS बनाने में हमेशा उसका सहयोग किया।

The Logically आईएएस श्वेता अग्रवाल और उनके पिता संतोष अग्रवाल को बहुत बहुत बधाई देता है तथा उनके संघर्ष को सलाम करता है।

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