ज़्यादातर बच्चों का सपना होता है एक अच्छी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी कर एक अच्छी कंपनी में जाना, चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट। लेकिन तथागत की कहानी ठीक इसके विपरीत है।
तथागत बारोड़ मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के कालापीपल तहसील के छापरी गाँव के रहने वाले हैं।तथागत ने पढ़ाई तो इंजीनियरिंग से की लेकिन आज इनका प्रोफेशन खेती है। तथागत ने अपनी बीटेक की पढ़ाई मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल से करने के बाद आईआईटी बॉम्बे से मास्टर्स किया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद तथागत ने किसी मल्टीनेशनल कंपनी को चुनने की बजाए खेती को अपना कैरियर बनाना। तथागत ने बताया कि इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी कंपनी में जॉब के लिए रिज्यूम तक नहीं बनाया बल्कि पढ़ाई पूरी होते के साथ खेती में लग गए। क्योंकि उन्होंने बहुत पहले हीं तय कर लिया था कि उन्हें ऑर्गेनिक फार्मिंग करना है।
तथागत ने अभी से लगभग 3 साल पहले खेती का काम शुरू किया। फिर धीरे-धीरे उन्होंने पशु पालन और जैविक खाद बनाने का भी काम शुरू किया। उन्होंने एक गौशाला भी शुरू किया जिसमें 17 गयें हैं। गायों के दूध से भी तथागत उत्पाद बनाकर बेचते हैं, गोबर और मूत्र से खाद बनाकर खेतों में उपयोग में लाया करते हैं। यहां तक कि इन्होंने गोबर गैस प्लांट भी लगा रखा है जिससे इनके घर का भोजन पकता है।
तथागत के पिता तो डॉक्टर है लेकिन उनके चाचा किसान हैं इसलिए तथागत को भी पढ़ाई के साथ-साथ खेती में भी दिलचस्पी होने लगी थी। अपने बीटेक की पढ़ाई के बाद उन्होंने एक साल का ड्रॉप लिया और कई जगह घूमने गए, वहां के किसानों से मिले और खेती के बारे में जानकारियां ली। इस दौरान उन्होंने जैविक खेती भी शुरू की और ठेले लगा कर सब्जी भी बेचा। फिर उन्होंने इस क्षेत्र में और बेहतर तरीके से काम करने का सोचा। गेट की तैयारी कर आईआईटी बॉम्बे में दाखिला ले लिया वहां से टेक्नोलॉजी एंड डेवलपमेंट इन रूरल एरियाज़ में मास्टर्स की पढ़ाई पूरा कर 2016 में गांव वापस आ गए।
गांव वापस आकर उन्होंने कई किसानों को जैविक खेती के बारे में बताया लेकिन किसी भी किसान ने जैविक खेती की शुरुआत नहीं की। किसान ये सोचते कि कहीं घाटा लगा तब वे क्या करेंगे। तथागत ने खुद खेती के काम को अपना प्रोफेशन बना लिया और शुरू कर दिया जैविक खेती। सबसे पहले तो उन्होंने थोड़ी ज़मीन पर ही जैविक गेहूं की खेती की।
उत्पादन के बाद उन्होंने अपने परिचितों से इसके बारे में बताया। जिसके बाद उनके पास डिमांड आने शुरू हो गए। धीरे-धीरे उनका दायरा बढ़ता गया, फसलें बढ़ती गईं, उत्पादन बढ़ते गए और आज तथागत करीब 140 परिवारों तक अपना प्रोडक्ट पहुंचाते हैं।
तथागत ने खेती की शुरुआत तो थोड़े से जमीन से की थी लेकिन आज वो लगभग 18 एकड़ जमीन पर 17 फसलें उगा रहे हैं। जिनमें हल्दी, अदरक, लेमन ग्रास, चना, मोरिंगा, आंवला और भी ना जाने कई सारी फसलें शामिल हैं। जिससे उनकी आमदनी भी अच्छी खासी है। उनका कहना है कि उनकी कमाई प्रति एकड़ लगभग सालाना ₹50 हज़ार की है। यानी एक साल में लगभग 9 लाख की कमाई।
तथागत अपनी किसी भी फसल को जैविक के नाम पर बहुत महंगा करके भी नहीं बेचते हैं। जो रेट मार्केट का चल रहा हो उसी रेट में वे अपने उत्पाद अपने कस्टमर तक पहुंचाते हैं। वे उत्पाद के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का भी काम कर रहे हैं। वे धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर, जीरा पाउडर, सौंफ जैसी चीजें पैक कर ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि इस लॉकडाउन में इनके 10-12 ग्राहक और भी बढ़ गए हैं।
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तथागत का कहना है कि मैं चाहता हूं कि मेरे किसी भी ग्राहक को किसी भी चीज के लिए कहीं और नहीं जाना पड़े। किचन की सभी जरूरतें, मसाला से लेकर सब्जी, राशन, सबकुछ मैं पूरा कर सकूं। तथागत ने “माय फैमिली” नाम से सभी 140 लोगों का एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया है। जिससे वे किचन की ज़रूरत की हर चीज घर पर ही सप्लाई करवा सकें।
तथागत लोगों को जैविक खेती की शुरुआत करने की सलाह देते हुए बताते हैं कि जैविक खेती की शुरुआत पूरी जमीन की बजाय 10 फीसदी जमीन से ही करें। ताकि अगर प्रयोग सफल नहीं हुआ तो हमारे पास बैक सपोर्ट भी रहे। खेती करने से पहले उस जगह का सर्वे ज़रूर कर लें। मिट्टी कैसी है, किस मौसम में कौन-कौन सी फसलें होती हैं, उनकी डिमांड कितनी है? खेती शुरू करने से पहले हीं ज़मीन, जैविक बीज, जैविक खाद, खेती के उपकरण जैसे ट्रैक्टर, कीटनाशक, सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था ज़रूर कर लें। एक बात का ध्यान हमेशा रखें कि वेराइटी जितनी ज्यादा होगी डिमांड उतना हीं बढ़ेगा। इसलिए हल्दी, अदरक, धनिया जितनी वेराइटी हो सके उतनी की खेती करें। क्योंकि ये ऐसे प्रोडक्ट हैं जिनकी ज़रूरत एक आम पारिवार को होती हीं है। धीरे-धीरे दायरा बढ़ेगा, डिमांड बढ़ेगी, नए कस्टमर जुड़ते जाएंगे और मार्केट डेवलप होता जाएगा।
The Logically के लिए इस आर्टिकल को स्वाति सिंह ने लिखा है.