Sunday, December 10, 2023

IIT इंजीनियर का अनोखा स्टार्टअप, घर और रेस्टुरेंट के कचड़ों से बना रहे हैं अनोखे उत्पाद

किसी भी चीज़ का महत्त्व अगर जानना हो तो उस व्यक्ति से पूछिए जिसके पास उस चीज़ की कमी हो। बात अगर खाने की हो तो अधिकतर रेस्टोरेंट या मंडियों में भोजन या सब्जियां फेंक दी जाती हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें अपना खाना कचरे से उठाकर खाना पड़ता है। आज हम आपको ऐसे शख्स की कहानी बताएंगे जिन्होंने कचरों और कीड़ों से कामयाबी की दास्तां लिखीं हैं। इन्होंने एक ऐसे रोजगार शुरू किया है, जो सड़ी-गली सब्जियों, खाने वाली सामग्रियों जिन्हें कचरों में फेंक दिया जाता। इससे यह प्रत्येक माह 8 लाख रुपये कमा रहें हैं।

इन्होंने सिर्फ पर्यावरण संरक्षण का कार्य ही नहीं किया बल्कि जैविक खाद का निर्माण और “ब्लैक शोल्जर फ्लाई” का उत्पादन भी कर रहे हैं। साथ ही अपने इस कार्य से अधिक-से-अधिक मुनाफा भी कमा रहे हैं। यह हैं आईआईटियन आलोक बागडिया (Alok Bagdiya) । यह अपने मित्र अभी के साथ मिलकर इसे और आगे बढ़ाना चाहतें हैं। यह किसानों को खाद और मत्स्य पालन के साथ पॉलिटी फार्म वालों को कीड़े देकर हर महीने 8 लाख की आमदनी बना रहें हैं।

Iitian alok bagadiya startup

कृषि मंत्रालय से मिली है मदद

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट काशीपुर के माध्यम से इन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए कृषि मंत्रालय ने लगभग 25 लाख रुपए की मदद की जा रही है। यह महाराष्ट्र (Maharashtra) के जलगांव के रहने वाले हैं।
इन्होंने एक ऐसा कार्य किया है जिससे हर किसी का ध्यान उनकी तरफ केंद्रित हो चुका है। इंजीनियरिंग कंप्लीट करने के उपरांत इन्होंने अपने दोस्त अभी के साथ मिलकर इस स्टार्टअप को प्रारंभ किया है।

कीड़ो में होती है प्रचुर मात्रा में प्रोटीन

इस बात की जानकारी हर किसी को है कि हमारे देश में प्रत्येक दिन लाखों टन की तादाद में फूड को कचरे में फेंका जाता है। अत्यधिक मात्रा में सब्जी मंडी, अनाज मंडी, होटल या रेस्टोरेंट से फूड वेस्ट निकलता है। इसलिए इन्होंने फूड वेस्ट से ही अपने कार्यों को शुरू करने का तरीका ढूंढा। इन्होंने जैविक खाद का निर्माण तो कर लिया लेकिन सिर्फ जैविक खाद तक इसको बाधित नहीं रखा। बल्कि “ब्लैक शोल्जर फ्लाई” का निर्माण कर उन्हें बेचने का निश्चय किया। ये जो कीड़ें हैं, वे प्रचुर मात्रा में प्रोटीन से परिपूर्ण रहते हैं।

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शुरुआत हुई 5 सौ ग्राम से

अंकित ने यह जानकारी दिया कि इस स्टार्टअप का शुभारंभ उन्होंने बेंगलुरु (Bengaluru) में वर्ष 2019 में किया। इस कार्य को उन्होंने 500 किग्रा वेस्ट मटेरियल से प्रारंभ किया लेकिन अभी यह प्रतिदिन दो टन से अधिक हो रहा है। यह अपने इस कार्य से प्रतिदिन लगभग 2 सौ किलोग्राम से भी अधिक मात्रा में ब्लैक शोल्जर फ्लाई का उत्पादन कर रहें हैं। यह 7 प्रमुख सिटी में अपने इस प्लांट को शुरू करने में लगे हैं ताकि इनके इस कार्य को लोग अच्छी तरह से जाने पहचाने और इन्हें एक अलग पहचान प्राप्त हो। हालांकि उनका यह काम पर्यावरण संरक्षण की हीत के लिए भी है।

आखिर कैसे करतें हैं ये कार्य???

होटल, रेस्टोरेंट या लोकल सब्जी मंडी से इन सभी वेस्ट फूड को एकत्रित किया जाता है और फिर इसे प्रोसेसिंग यूनिट में एक स्पेशलन ट्रे में रखा जाता है। इसके बाद इस वेस्ट के अंदर ब्लैक शोल्जर फ्लाई डाल दिए जाते हैं। बहुत ही कम दिनों में इन ब्लैक शोल्जर फ्लाई कीड़ों की संख्या अधिक-से-अधिक हो जाती है। इनकी संख्या 4 गुनी होने के साथ-साथ इनकी आकृति भी अधिक बड़ी होती है। फिर इन्हें ट्रे से निकाल कर इनका सप्लाई होता है। इस पूरी प्रक्रिया के लिए लगभग 100 से भी अधिक व्यक्तियों को कार्य भी दिया जा रहा। उन्होंने बताया कि एक्वेरियम मछली के लिए भी भोजन है, वह हमारे देश के बाहर से आता है। इसीलिए हम इस कार्य में लगे हैं कि वेस्ट मैनेजमेंट के माध्यम से इसके आहार का निर्माण कर देश को सबसे बड़ा बाजार उपलब्ध करा सकें।

कचरों का सही उपयोग कर उनसे उर्वरक बनाने के साथ मछलियों और मुर्गियों के लिए भोजन बनाने का जो कार्य आलोक और उनके दोस्त अभी कर रहें हैं, वह सराहनीय है। The Logically इन दोस्तों को बधाई देते हुए उम्मीद करता है कि यह और भी आगे बढ़ें और पर्यावरण का संरक्षण करने के साथ देश का नाम भी रोशन करें।