बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहला आहार मां का दूध होता है। मां का दूध बच्चों की सेहत लिए काफी फायदेमंद और लाभदायक होता है। अगर बच्चे को अपने मां का दूध नहीं मिल पाता है तो आगे चलकर उस बच्चे को विभिन्न प्रकार की बिमारियों का सामना करना पड़ता है। मां अपने बच्चे को जन्म के छह महीने या उससे अधिक समय तक तक अपने दूध पिला कर उसका पालन-पोषण करती है जिससे बच्चा हिस्ट-पुष्ट रहता है।
मां का दूध नवजात बच्चों के लिए बहुत जरुरी है और नवजात बच्चे को छः महीना मां का दूध पिलाना अत्यंत आवश्यक है। परंतु दुनिया में कई ऐसे बच्चे हैं जिन्हें किसी भी वजह से उन्हें अपने मां का दूध नहीं मिल पाता है जिसकी वजह से वह आगे चलकर कई प्रकार के बीमारियां को झेलना पड़ता है और उनका आंतरिक विकास बेहतर तरीके से नहीं हो पाता। इन सभी चीजो को देखते हुए मदर्स मिल्क बैंक के जरिए नवजात बच्चों को मां का दूध मुहैया करवा रही हैं। यह मिल्क बैंक उन बच्चों को मां का दूध मुहैया करवाती है जिन बच्चों को अपने मां का दूध नहीं मिल पाता है।
आज हम एक ऐसी ही कहानी के बारे में बताएंगे जो मदर्स मिल्क बैंक (Mothers Milk Bank) के जरिए नवजात बच्चों के लिए मां अपना दूध डोनेट करती हैं जो बच्चे अपने मां का दूध का सेवन किसी वजह से नहीं कर पाते हैं उनके लिए कुछ माताएं अपनी दूध डोनेट करके उन सभी नवजात बच्चों की जान बचा रही हैं।
- डॉ. अमनदीप मिन्हास (Dr. Amandeep Minhas)
डॉ. अमनदीप दमन और दीव (Daman and Deev) में अपनी शिक्षा प्रारंभ की। इन्होंनें बारहवीं तक की पढाई दमन और दीव से ही की हैं। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए राजस्थान चले गए। इन्होंने राजस्थान के जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर में अपना नामांकन करवाया और यहां से इन्होंने एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद इन्होंने पीडियाट्रिक में एमडी किया। अमनदीप जब मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करती थीं तब वह वहां गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी हैं। इसके बाद साल 2015 में राजस्थान के अलवर में अमनदीप की विवाह हो गई।
अमनदीप (Amandeep) बताती हैं कि जब मेरी नौकरी गीत आनंद शिशु चिकित्सालय में लगी तो नौकरी का पहला दिन ही मुझे मदर्स मिल्क बैंक की सारी जिम्मेदारियां संभालने को दे दिया गया। इस जिम्मेदारियों के बारे में मुझे कुछ ज्यादा जानकारी नहीं थी परंतु फिर भी मैंने अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए लगन और मेहनत से अपना काम करने लगी। जिसकी वजह से आज राजस्थान में ही नहीं पूरे देश में फैला हुआ है और माताएं अपना दूध डोनेट करके उन सभी नवजात बच्चों की जान बचा रही हैं।
- मदर्स मिल्क बैंक की हुई शुरुआत
अमनदीप कहती हैं कि शादी के तुरंत बाद ही मुझे राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन (RPSC) की परीक्षा को पास कर के अलवर के डिस्टिक हॉस्पिटल में पीडियाट्रिशन में नौकरी मिल गई। जब मैं हॉस्पिटल में जॉइनिंग करने गई तो मुझे स्टेट एडवाइजर फॉर मेडिकल हेल्थ एंड एजुकेशन के देवेंद्र अग्रवाल से मुलाकात हुई। देवेंद्र अग्रवाल (Devendra Agrawal) मदर्स मिल्क बैंक (Mother’s Milk Bank) के कॉन्सेप्ट के लिए सभी डिस्टिक हॉस्पिटल को घूम-घूम कर सभी लोगों को जागरुक कर रहे थे। जब मेरी मुलाकात देवेंद्र अग्रवाल से हुई और उनसे काफी सारी बातें होने के बाद उन्होंने मुझे मदर्स मिल्क बैंक की सारी जिम्मेदारी थमा दिए।
इसके बाद मैंने अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए सबसे पहले हमने राजस्थान के उन 10 जिलों को चिन्हित किया जहां हाई डिलीवरी थे और फिर हमने इन्हीं 10 जिलों से मदर्स मिल्क बैंक की शुरुआत कर दी। हमारा यह मदर्स मिल्क बैंक का प्रोजेक्ट सबसे पहले अलवर से शुरु हुआ इसके लिए हमने उदयपुर में पांच दिनों की ट्रेनिंग कोई जो महाराष्ट्र और पंजाब से जो डॉक्टर आए हुए थे। उन्होंने हम सभी लोगों को इसके बारे में अच्छे से समझाया और इसके बारे में पर्याप्त जानकारी दिए।
- लोगों को समझाना काफी चुनौतीपूर्ण था
अमनदीप बताती हैं कि जब हमने मदर्स मिल्क बैंक की मुहिम चलाई थी तब शुरुआती दौर में बहुत सारी परेशानियां झेलनी पड़ी थी। सबसे बड़ी चुनौती हम लोगों के सामने यह थी कि हम लोग उन सभी माताओं को समझा पाएंगे या नहीं। हम सभी लोग इस मुहिम को चलाने के लिए इसके सेटअप के बारे में सोचने लगे थे। इसके साथ हम लोग यह भी विचार कर रहे थे कि जब हम लोगों के बीच इस मुहिम के बारे में बताएंगे तो मां अपना दूध कैसे डोनेट करेगी, लोगों के प्राइवेसी का क्या होगा या फिर अगर किसी मां को इससे इंफेक्शन तो नहीं हो जाएगी या फिर जिन सभी नवजात बच्चे को मां का दूध मिलने वाला था उनके परिवार वाले मानेंगे या नहीं।
इस प्रकार के विचार हम लोगों के दिमाग में चल रहा था। इस प्रकार के सवाल हम लोगों को काफी चुनौतीपूर्ण था जिसके बाद हम लोगों ने इन सभी सवालों का जवाब अधिकारियों को एक रैली कार्यक्रम के दौरान मीटिंग करके दिए। जिसने उन सभी को इसके बारे में अच्छे से समझाया और जानकारियां भी दी।
अब हमलोगों ने फील्ड स्तर पर काम करना शुरु कर दिया। हम सभी माताओं के घर-घर जाने लगे और उनसे नवजात शिशु को मिल्क डोनेट के बारे में बात करने लगे। हम लोग उन सभी माताओं को बताते थे कि जब आप अपनी बच्चे को दूध पिलाती हैं तो उसके अगले 2 घंटे में फिर से आपका दूध तैयार हो जाता है जो आप अपने दूध को डोनेट कर सकती हैं। इन सभी चीजों को हमने काफी अच्छे से समझाया परंतु परेशानियां तब उत्पन्न होने लगती थी जब माताएं समझ जाती थीं और उनके घरवाले मना कर देते थे। जिसके लिए हमें उन सभी घर के फैमिली से बात करनी पड़ती थी। इसके बारे में अच्छे से बताना पड़ता था तब जाकर पूरा परिवार दूध डोनेट करने के लिए मानते थे।
- शिशु मृत्यु दर को काम करने की कोशिश
जब माताएं अपना दूध डोनेट करने लगी तो हम लोगों ने उस दूध को प्रोसेस्ड करके उन नवजात बच्चों को देते थे जिन्हें किसी कारणवश अपनी मां का दूध नहीं मिल पाता था या फिर कोई ऐसा बचा जो हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती है, उन सभी बच्चों को हम दूध मुहैया करवा रहे थे। क्योंकि अगर किसी भी नवजात बच्चे को छः महीना मां का दूध नहीं मिल पाता है तो उसे विभिन्न प्रकार के बीमारियों का सामना करना पड़ता है। कई बार ऐसा भी होता है कि इसकी वजह से आगे चलकर उनकी मृत्यु भी हो जाती है। हमारा यही उद्देश्य है कि हम मां का दूध उन सभी नवजात बच्चों के लिए मुहैया करवाएं जिन्हें मां का दूध नहीं मिल पाता है और वह अपनी जिंदगी से हाथ धो देते हैं।
इसके बाद हमने अपने इस मदर्स मिल्क बैंक को पूरे राजस्थान में लागू करने के बारे में विचार किया जिसके लिए हम लोगों ने कई बड़े-छोटे संस्थाओं के साथ जुड़कर के उन लोगों के साथ एक मीटिंग की जिसके बाद हम लोगों ने राजस्थान में इस मदर्स मिल्क बैंक को लागू करने के लिए कई तरह के आर्डर तैयार किए जिससे यह मुहिम पूरे राजस्थान में लागू हो सके साल 2016 में हमने राजस्थान के अलवर जिला में पहला मदर्स मिल्क बैंक की शुरुआत कर दी।
- ब्रेस्टफीडिंग रहा मुख्य उद्देश्य
अमनदीप बताती हैं कि हम लोगों का मुख्य उद्देश्य था कि माताओं को ब्रेस्टफीडिंग के लिए सक्षम बनाना ना कि माताओं से सिर्फ मिल्क डोनेट करवाना था। आजकल बहुत ऐसी माताएं हैं जो अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाती हैं। अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाने से उन सभी माताओं को ब्रेस्टफीडिंग रेट बहुत कम हो जाती है जिसकी वजह से माताएं को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी बहुत सारी महिलाएं है जो हमारे मदर्स मिल्क बैंक में ब्रेस्टफीडिंग की समस्याएं लेकर आती हैं। हम लोगों ने अपने इस मदर्स मिल्क बैंक में उन सभी समस्याओं का समाधान मिल जाता है जो महिलाएं हम लोगों के सामने लेकर आती हैं।
अगर किसी भी माताओं को उनकी ब्रेस्ट भर गया होता है तो हम लोग उनकी ब्रेस्ट को मशीन की सहायता से मसाज करते हैं और उन लोगों को यह भी बताते हैं कि बच्चे को अच्छी तरह दूध पिलाएं जिससे आपका ब्रेस्टफीडिंग में कोई समस्या ना आए। जब हम लोगों ने सबसे पहले मदर्स मिल्क बैंक की शुरुआत की थी और माताओं को जागरुक किया था तब उसमें हम लोगों के पास लगभग 314 माताएं अपना दूध डोनेट करने आई थीं जिसमें हम लोगों के पास 12500 ml दूध हो गया था। यह हम लोगों के लिए एक बहुत बड़ी सफलता थी। जिसके बारे में हम लोगों ने सपने संजोए थे वह हम लोगों को शुरुआत में ही मिलना स्टार्ट हो गया था।
- कैसे करती हैं माताएं अपना दूध डोनेट
माताओं को दूध डोनेट करने के लिए हम लोगों ने बहुत सारी प्राइवेसी बना रखी है। इसके लिए एक डोनर रूम बनाए जाते हैं। जब माताएं उस डोनर रूम में जाती हैं तो हम कुछ मशीन के द्वारा दूध निकालते हैं. यह मशीन इस प्रकार काम करती है कि जब मशीन को ब्रेस्ट में लगाते हैं तो ऐसा लगता है कि एक नवजात शिशु मां का दूध पी रहा हो। इसके साथ-साथ उस मशीन को लगाने से वहां की मांसपेशियां काफी एक्टिवेट होने लगती है जिसकी वजह से माताओं के ब्रेस्टफीडिंग की समस्या भी खत्म हो जाती है। इसके साथ-साथ हम इसी कैंप के जरिए और भी महिलाओं को दूध डोनेट करने के लिए जागरुक करते हैं और उन्हें अपना दूध डोनेट करने को बोलते हैं। हम लोगों का यह तरीका काफी आसान और सुरक्षित है, जिसकी वजह से माताएं आसानी से अपना दूध डोनेट कर सकती हैं।
- 19 जिलो में मदर्स मिल्क बैंक
डॉ. अमनदीप बताती हैं कि हमारा यह मदर्स मिल्क बैंक मुहिम राजस्थान के 19 जिलो में चल रहा है। धीरे-धीरे हम लोग पूरे राजस्थान में लागू करने का विचार कर रहे हैं। शुरुआत में हमें इसे स्टार्ट करने के लिए काफी सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था परंतु अब हमें ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है। माताएं अब खुद से दूध डोनेट करने के लिए हमारे सेंटर पर चली आती हैं।
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आजकल के महिलाएं किसी से भी कम नहीं हैं वह किसी भी काम को करने में सक्षम हैं। आज हमने अपनी मेहनत और लगन के साथ इस मदर्स मिल्क बैंक की जिम्मेदारी को निभाया है और आगे भी निभा रही हैं आज मुझे दूसरा बच्चा होने वाला है फिर भी हम अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटी हूं और लगन के साथ काम कर रही हूं। मदर्स मिल्क बैंक अब पूरी दुनिया में काम्प्रिहेन्सिव लेक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर के नाम से जाना जाता है।
- प्रेरणा
डॉ. अमनदीप के इस कदम से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि आजकल की महिलाएं किसी भी काम को करने की ठान लें तो वह जब तक उसमें सफलता नहीं मिल जाती तब तक वह उस काम को नहीं छोड़ते। वह उस काम को अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेती हैं।