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जब भारत पड़ा चीन पर भारी , मार गिराए थे 300 से अधिक सैनिक

भारत और चीन विश्व के दो तेजी से उभरते हुए देश ! दोनों पड़ोसी देशों की हजारों किलोमीटर की सीमा एक दूसरे से जुड़ी है ! अब तक इतिहास को पलटा जाए तो दोनों के बीच बहुत मधुर संबंध नहीं रहे हैं ! युद्ध और झड़प मिलाकर कई बार दोनों देशों की सोनाएँ आमने सामने हुई हैं , द्वन्द भी चला है ! 1962 की लड़ाई भारत के लिए चीन से हार के रूप में भरसक दर्ज है पर पाँच साल बाद नाथु ला और चो ला की द्वन्द चीनी सेनाओं के मुँह पर भारत द्वारा जड़ा गया जोरदार तमाचा था ! उस घटना का जिक्र यहाँ बेहद महत्वपूर्ण है ! जिसमें भारतीय सेना ने चीनी सेना के दाँत खट्टे कर दिए थे ! आइए जानते हैं पूरी कहानी…

आखिर क्या हुआ था नाथु ला में

नाथु ला सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 50 किलोमीटर दूर पर अवस्थित है ! यहाँ भारत और चीन की सीमाएँ बहुत करीब-करीब हैं ! कहीं-कहीं तो उनके बीच महज 25 मीटर की दूरी थी ! यह बात चीन को हमेशा सालती रहती थी ! 6 सितम्बर 1967 को नाथु ला में पेट्रोलिंग के समय दोनों सेनाओं में बहस हो गई और उसके बाद धक्का-मुक्की भी हुई ! इस झड़प और प्राय: होने वाली बहसा-बहसी को खत्म करने हेतु सेना ने समाधान का एक रास्ता निकाला ! उस समय सीमा पर कोई घेराबंदी नहीं थी इसलिए तय किया गया कि नाथु ला के नजदीक स्थित सेबु ला और कैमल्स बैक तक एक बाड़ बिछा दिया जाए ! दोनों जगह सिक्किम में स्थित हैं ! यदि यह बाड़ बिछ जाती तो वहाँ से नाथु ला पर पैनी नजर रखी जा सकती थी और जो रोजाना दोनों सेनाओं के बीच झड़प होती थी वह रूक सकती थी ! 11 सितम्बर 1967 को बाड़ बिछाने का कार्य शुरू हुआ ! इसके लिए इंजीनियर्स की 70 कम्पनी और 18 राजपूत की 1 कम्पनी को इस कार्य में लगाया गया ! इसी बीच पॉलिटिकल कॉमिसार अपने चीनी सैनिकों के साथ आए और वहाँ मौजूद भारतीय लेफ्टिनेंट कर्नल राय सिंह से काम रोकने को कहा ! बातचीत के दौरान बात बढती चली गई और उसने एक विवाद का रूप ले लिया ! थोड़ी धक्का-मुक्की के बाद कॉमिसार अपनी सेना को लेकर लौट गए ! बाड़ लगाने का काम पुन: शुरू कर दिया गया ! लेकिन कुछ हीं देर बाद चीन ने वहाँ हमला कर दिया !

भारत का करारा जबाब

थापलियाल उस समय नाथु ला ब्रिगेड के कमांडर थे ! वे लिखते हैं कि चीन के उस हमले के समय भारत के 70 फील्ड रेजिमेन्ट और 18 राजपूत के जवान मौजूद थे जो खुले में थे ! खुले में रहने के कारण और विरोधी खेमा चीन की ओर से मशीन गन से चलने वाली गोलियों के कारण भारत के जवान शहीद होने लगे ! भारतीय सेनाओं ने भी मशीन गनों से गोलीबारी करनी शुरू कर दी उसके बाद भारत ने तोपों से हमला कर दिया ! भारत की आर्टिलरी की स्थिति चीन के तोपखाने से बेहतर थी ! एक के बाद एक निकले तोप के गोलों ने चीन को भीषण नुकसान पहुँचाया और चीन के लगभग 300 सैनिक मारे गए ! इतने कम समय में सेना के इतनी बड़ी संख्या को खो देना चीन के लिए बेहद दर्दनाक साबित हुआ ! तत्पश्चात 15 सितम्बर को दोनों तरफ से गोलीबारी बन्द हुई !

उसी साल चो ला में भी हुआ संघर्ष

नाथु ला की घटना को महीना भी नहीं बीता कि 1 अक्टूबर को चो ला में दोनों सेनाओं की पुन: झड़प हुई ! पूरे दिन चले इस संघर्ष के शुरूआत में भारत को थोड़ा नुकसान उठाना पड़ा लेकिन इसके बाद जो हुआ वह चीन सपनों भी नहीं सोंचा था ! भारतीय सेनाओं के वीरता भरी लड़ाई के कारण चीनी सेनाओं को 3 किलोमीटर अन्दर तक हटना पड़ा ! चो ला आज भी भारत के कब्जे में है ! नाथु ला और चो ला के संघर्ष में भारत के 75-80 जवान शहीद हुए पर भारतीय जाबाँजों ने 300 से अधिक चीनी सैनिकों को मार गिराया !

नाथु ला और चो ला में चीनी सैनिकों पर विजय पताका फहरा भारतीय सेना ने अपनी वीरता का अनूठा परिचय दिया जिससे उनके मनोबल में और अधिक वृद्धि हुई !

Logically नाथु ला और चो ला में शहादत को प्राप्त और उस युद्ध को लड़ने वाले सभी भारतीय जवानों को नमन करता है !

Vinayak is a true sense of humanity. Hailing from Bihar , he did his education from government institution. He loves to work on community issues like education and environment. He looks 'Stories' as source of enlightened and energy. Through his positive writings , he is bringing stories of all super heroes who are changing society.

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