Sunday, December 10, 2023

गलवान घाटी की मुठभेड़ में डटने वाली बिहार रेजिमेंट की गाथा सन 1758 चली आ रही है: Bihar regiment

‘वीर बिहारिस’, ‘किलर मशीन’, ‘जंगल वॉरियर्स’, ‘बजरंग बली आर्मी’, ‘बिरसा मुंडा आर्मी’ जैसे अलग-अलग नामों से अपनी पहचान बनाने वाले बिहार रेजिमेंट की कहानी बहुत पुरानी है। बिहार रेजीमेंट भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। यह सेना के सबसे पुरानी पैदल सेना रेजिमेंट में से एक है। इसे भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। इसका गठन देश के स्वतंत्र होने के पूर्व ही 1941 में अंग्रेजों द्वारा किया गया था। 11 वीं (टेरिटोरियल) बटालियन, 19 वीं हैदराबाद रेजिमेंट को नियमित करके और नई बटालियनों का गठन करके किया गया था।

कर्म ही धर्म: बिहार रेजिमेंट




इस रेजिमेंट का नाम बिहार रेजिमेंट होने का मतलब यह नहीं है कि इसमें सिर्फ बिहार के लोग ही चुने जाते हैं। इसका सिर्फ़ नाम ही बिहार रेजिमेंट (Bihar Regiment) हैं।
इसका मुख्यालय पटना के दानापुर में है। दानापुर के आर्मी कैंटोनमेंट को देश का दूसरा सबसे बड़ा कैंटोनमेंट होने का गर्व हासिल है। राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ बिहार रेजिमेंट की देन है। सर्वप्रथम इन्होंने ही अशोक स्तंभ को अपने निशान के रूप में चुना था जिसे हम आज भी उनके कैप पर देख सकते हैं। फिलहाल बिहार रेजिमेंट अपनी 23 बटालियन के साथ देश की सेवा कर रही है। इनका नारा/ आदर्श वाक्य कर्म ही धर्म (Work is Worship) है। आमतौर पर ‘जय बजरंगबली’ और ‘बिरसा मुंडा की जय’ का नारा लगाते हुए दुश्मनों पर टूट पड़ते हैं।

अलग अलग युद्धों में बिहार रेजिमेंट के जवानों का योगदान

बिहार रेजिमेंट का इतिहास बहुत ही गौरवशाली व समृद्ध रहा है। बिहार रेजिमेंट के जवान देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। बात 1944 में जापानी सेना से लोहा लेने की हो या 1947 में पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष की। 1965 में पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने, 1971 में हुए बांग्लादेश युद्ध, या 1999 में हुई कारगिल की जंग। इन सभी युद्धों में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने अपने अतुलनीय वीरता का परिचय दिया है।




1999 में हुए कारगिल युद्ध में करीब 10 हजार सैनिक बिहार रेजिमेंट के थे। इस युद्ध के दौरान इन्होंने बटालिक सेक्टर के पॉइंट 4268 और जुबर रिज को दुश्मनों से छुड़ाया था। घाटी के उरी सेक्टर में पाकिस्तान से आए घुसपैठियों का सफाया करते हुए इस रेजिमेंट के 15 जवान शहीद हो गए थे। ये वो युद्ध था जिसमें हमारे देश के जवानों ने अपने शक्ति, शौर्य, देश प्रेम और बलिदान का परिचय देते हुए एक अमर गाथा लिखी थी।

Source- Internet

2008 के मुंबई हमले में भी बिहार रेजिमेंट के जवानों ने अपनी बहादुरी दिखाई थी जिसमे एनएसजी के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन टोरनांडो में शहीद हो गए थे। इसके अलावा 2016 में जम्‍मू-कश्‍मीर के उरी सेक्‍टर में पाकिस्‍तानी आतंकियों के विरूद्ध भी बिहार रेजिमेंट के जवानों ने मोर्चा लिया था और उस वक़्त पाकिस्तान में भारतीय सेना के द्वारा किये गए सर्जिकल स्ट्राइक में भी इस रेजिमेंट ने अहम भूमिका निभाई थी।

अपने बहादुरी के लिए कई बार हो चुके हैं सम्मानित

बिहार रेजिमेंट के बटालियन को उनकी बहादुरी और हिम्मत के लिए अब तक 3 अशोक चक्र, 2 महावीर चक्र, 7 परम विशिष्ट सेवा मेडल, 41 शौर्य चक्र, 5 युद्ध सेवा मेडल, 14 कीर्ति चक्र, 8 अति विशिष्ट सेवा मेडल, 15 वीर चक्र, 3 जीवन रक्षा पदक, 31 विशिष्ट सेवा मेडल, 153 सेना मेडल, 5 युद्ध सेवा मेडल और 68 मेंशन से सम्मानित किया जा चुका है।




ऐसे ही बिहार रेजिमेंट के जवानों ने वीरता की अनंत कथाएं लिखीं हैं। देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले बिहार रेजिमेंट (Bihar Regiment) के इन जवानों को The Logically का सलाम।