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तंगी में सफाईकर्मी का काम किये, लेकिन अपने अनोखे आईडिया से आज करोड़पति बन चुके हैं

कई बार ऐसा होता है कि हमारी रुचि किसी एक काम में न होकर कुछ अलग करने में होती है। कभी-कभी रुचि नहीं होने के बाद भी उस काम को करना पड़ता है जो हमारे मन लायक न हो। कुछ अलग करने के लिये यदि पैसों की जरुरत आन पड़े तो उसके लिये इन्सान कोई भी काम करने लग जाता है चाहे वह काम साफ-सफाई का हो या अख़बार बेचने का। इन्सान अपनी मंजिल को पाने के लिये हर सम्भव प्रयास करता है और आखिरकार लक्ष्य को पाकर सफलता के शिखर को छु ही लेता है।

आज की यह कहानी भी उपर्युक्त कथनों से मिलती-जुलती है। आज हम आपको इस कहानी के माध्यम से एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहें हैं जिसने सफाईकर्मी से अपने ज़िंदगी की शुरुआत की और आज करिड़पतियों की सूची में शामिल हो गया है। उस शख्स की कहानी ऐसे सभी लोगों के लिये एक मिसाल है जो परिस्थितयों के आगे अपने घुटने टेक देते हैं।

Amit qutub

आइये जानते हैं, उस शख्स और उसके करोड़पति बनने तक के सफर के बारे में

आमिर कुतुब (Amir Qutub) का जन्म उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के अलीगढ़ (Aligarh) में एक मध्यम वर्ग परिवार मे हुआ। आमिर का जीवन साधारण था। उनके पिता सरकारी नौकरी से रिटायर्ड है और माता गृहिणी है। आमिर के पिताजी चाहते थे कि वह एक डॉक्टर या इंजीनियर बने लेकिन आमिर कुतुब बिजनेस करना चाहते थे। अपने पिता की चाहत के अनुसार आमिर ने B.Tech में दाखिला लिया। लेकिन आमिर को आरंभ से ही पढ़ाई-लिखाई में रुचि नहीं थी। आमिर को एक शिक्षक ने यह भी कह दिया कि तुम जीवन में कुछ नहीं कर पाओगे।

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इंजीनियरिंग करने के बाद आमिर कुतुब को नौकरी का ऑफ़र मिला परंतु आमिर ने उसे अस्वीकृत कर दिया। उसके बाद वह दिल्ली चले गये। वहां उन्होंने कुछ समय तक होण्डा में नौकरी किया। इन सब कार्यों के दौरान भी उनके मन में बार-बार बिजनेस करने का ख्याल आता रहता था। कुतुब ने अपनी नौकरी छोड़ दिया और फ्रीलॉंन्सींग करने लगे। वह वेबसाइट डिजाइन करने का कार्य करते थे। कुतुब के कुछ क्लाइंट्स अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी थे।

आमिर ने अपने कार्य को आगे बढ़ाने के लिये विचार कर रहे थे। उसी दौरान उनके एक क्लाइंट ने ऑस्ट्रेलिया में आकर कम्पनी आरंभ करने की बात कही। ऑस्ट्रेलिया (Australia) में कम्पनी शुरु करने के लिये कोशिश करने लगे तभी जानकारी मिली कि वह स्टूडेंट वीजा पर ही ऑस्ट्रेलिया जा सकते है। वहां जाने के लिये आमिर ने MBA में दाखिला लिया। स्टूडेंट वीजा पर आमिर ऑस्ट्रेलिया गये और वहां बिजनेस आरंभ करने के बारे में विचार करने लगे। इन्सान को कुछ करने के लिये पैसे की आवश्यकता होती है। आमिर को भी पैसों की जरुरत आन पड़ी। पैसे की समस्या से उबरने के लिये उन्होंनें नौकरी की खोज करने लगे। उन्होंने 150 से अधिक कम्पनियों में सम्पर्क किया, लेकिन उन्हें कहीं भी नौकरी नहीं मिली। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में भारत के कार्य अनुभव को नहीं माना गया।

आमिर को बहुत ही कठिनाई से एयरपोर्ट पर सफाईकर्मी की नौकरी मिली। इस काम में उनको प्रति घंटा 20 डॉलर मिलते थे। उनकी यह नौकरी दिन में थी, इसलिए पढाई और कम्पनी सेटअप करने के लिये समय नहीं मिल रहा था। उसके बाद आमिर ने रात के 3 बजे से लेकर सुबह से 7 बजे तक अखबार बांटने का कार्य आरंभ किया। वे अपने सपने को पूरा करने के लिये पूरी कोशिश कर रहे थे। उन्होने हार नहीं मानी। जैसे-तैसे कर के उन्हें एक गैराज मिला, वहां से उन्होंने अपने कार्य को आरंभ किया।

एक दिन आमिर को बस में एक आदमी मिला जिसे आमिर ने अपने कार्य के बारे में बताया। उस इन्सान को आमिर ने एक ऐसा सिस्टम का निर्माण कर के दिया जिससे उसको प्रत्येक महीने 5 हजार डॉलर की बचत होने लगी। उसके बाद वह इन्सान काम से प्रभावित होकर आमिर को कुछ क्लाइंट्स दिलाए। आमिर की मेहनत रंग लाई। वेबसाइट डिजाईनिंग का कार्य चलने लगा। वर्तमान में आमिर कुतुब के कम्पनी का टर्न ओवर 10 करोड़ रुपये है। उनकी कम्पनी में 100 स्थायी और 300 अस्थायी कर्मचारी कार्य करते हैं।

The Logically आमिर कुतुब को उनके सफलता के लिये बधाई देता है। उनके साहस और बुलंद हौसले को सलाम करता है।

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