हमारे समाज के विकास में शुरू से ही महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है। इसके बावजूद भी हमेशा से महिलाओं के साथ भेदभाव होता रहा है। दरअसल, हमारे सामाजिक परिवेश की जड़ें ही ऐसी हो गयी है, जहां लड़के-लड़कियों में भेदभाव उनके जन्म से ही आरम्भ हो जाता है । यही भेदभाव शायद सबसे बड़ा कारण है नारी के पिछड़ेपन का। इसके बावजूद सभी बातों को दरकिनार करते हुए आजकल की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना प्रतिभा दिखा रही है। आज हम बात करेंगे, इन्ही महिलाओं मे से एक महिला रानी रामपाल (Rani Rampal) की, जिन्होने अपने मेहनत और प्रयास से समाज के उन तमाम लोगों का भ्रम दूर किया है,जो महिलाओं को पुरुषों से अलग दृष्टि से देखते हैं। उन्होंने भारतीय महिला हाॅकी टीम की कप्तान बनकर समाज को अच्छे संदेश से अवगत कराया है। ―The success story of Rani Rampal, the captain of the Indian women’s hockey team.
आइए जानते हैं रानी रामपाल (Rani Rampal) की संघर्षभरी कहानी।
कौन है रानी रामपाल (Rani Rampal) ?
रानी रामपाल (Rani Rampal) भारत (Bharat) की एक हॉकी खिलाड़ी हैं। वे मूल रूप से हरियाणा (Hariyana) की रहने वाली है, इनके पिता मजदूरी का काम करके घर का खर्च उठाया करते थे, लेकिन उनकी बेटी भारतीय हॉकी की ‘रानी’ कहलाती हैं। वे 2010 विश्व कप में भाग लेने वाली भारतीय हॉकी टीम की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थीं। वह अब भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान है। ―The success story of Rani Rampal, the captain of the Indian women’s hockey team.
14 साल के उम्र में की खेल की शुरूआत तथा भारत का नाम पूरी दुनिया मे किया गौरवान्वित
रानी रामपाल (Rani Rampal) ने 14 साल की उम्र में अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेला। इसके बाद 2010 में 15 की उम्र में वो महिला विश्व कप में खेली तथा सबसे कम उम्र की युवा खिलाड़ी बनी। आपको बता दें कि, उन्होंने 2009 में एशिया कप के दौरान भारत को रजत पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई। वह 2010 के राष्ट्रमंडल खेल और 2010 के एशियाई खेल के दौरान भारतीय टीम का हिस्सा थीं और उन्हें एफ़आईएच के ‘यंग वुमन प्लेयर ऑफ़ द इयर’ अवॉर्ड के लिए भी नामांकित हुई। 2010 के एशियाई खेल में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद एशियाई हॉकी महासंघ’ की ‘ऑल स्टार टीम’ का उनको हिस्सा बनाया गया। आपको बता दें कि अर्जेंटीना में आयोजित महिला हॉकी विश्व कप में उन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से भारत का नाम पूरी दुनिया मे उजागर कर दिया। इसमे उन्होंने सात गोल किये तथा भारत को अर्जेंटीना में आयोजित महिला हॉकी विश्व कप में रैंकिंग में सातवें स्थान पर ला दिया। इस प्रदर्शन को भारत का सन 1978 के बाद का हॉकी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन माना जाता है। इसके लिए रानी रामपाल को बेस्ट यंग प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट’ मिला। ―The success story of Rani Rampal, the captain of the Indian women’s hockey team.
हाॅकी प्रतिस्पर्धा में 38 साल बाद भारत को मेडल दिलाई
रामपाल (Rani Rampal) ने 2013 में जूनियर महिला हॉकी टीम में कांस्य पदक जीता, जो कि विश्व कप हॉकी प्रतिस्पर्धा में 38 साल बाद भारत का पहला मेडल है, इसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट’ का खिताब मिला। इस जीत का श्रेय रानी रामपाल और मनजित कौर का है। वह आमतौर पर सेंटर फॉरवर्ड पर खेलती हैं।
वर्ष 2016 में हुई अर्जुन अवार्ड से सम्मानित
आपको बता दें कि, बेहतरीन प्रदर्शन के वजह से वर्ष 2016 में उन्हें (Rani Rampal) राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। उसके बाद 2018 में एशियाई खेलों में रजक पदक जीता आज इन्ही के वजह से भारत राष्ट्रमंडल खेलों में चौथे स्थान पर और लंदन विश्व कप में आठवें स्थान पर रहा है। ―The success story of Rani Rampal, the captain of the Indian women’s hockey team.
शुरूआती दौर में घरवाले और रिश्तेदार ने किया हाॅकी खेलने का विरोध
रानी रामपाल (Rani Rampal) बताती हैं कि ‘मैं उस समाज से आती हूँ, जहाँ लड़कियों तथा महिलाओं को चारदीवारी के भीतर रखा जाता है। जब सबसे पहले मैंने हॉकी खेलने की इच्छा ज़ाहिर की थी तो मेरे माता-पिता और रिश्तेदारों ने साथ नहीं दिया”। उनका कहना है कि मेरे माता-पिता बहुत छोटी जगह से हैं और ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं। उन्हें लगता था कि स्पोर्ट्स में करियर नहीं बन सकता। उनलोगों के अनुसार, लड़कियों के लिए हाॅकी एकदम से ही सही नहीं है। उनके रिश्तेदार, उनके पिता को ताने भी देते थे। रिशतेदारों का कहना था कि ये हॉकी खेल कर क्या करेगी? हाॅकी के खेल के लिए ये छोटी-छोटी स्कर्ट पहन कर मैदान में दौड़ेगी जिसके कारण घर की इज्ज़त ख़राब होगा। लेकिन आज वही लोग इनका पीठ थपथपाते है और जब वह अपने घर जाती है तो बधाई देने खास तौर पर आ जाते है। ―The success story of Rani Rampal, the captain of the Indian women’s hockey team.
अब बनी भारतीय महिला हाॅकी टीम की कप्तान
सोमवार (02/08/2021) को भारतीय महिला हाॅकी टीम के कप्तान की घोषणा हुई, जिसमें रानी रामपाल (Rani Rampal) को कप्तान बनाया गया। अनुभवी स्ट्राइकर होने के कारण रानी रामपाल को अगले महीने होने वाले टोक्यो ओलंपिक के लिए ही भारतीय महिला हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया है। टोक्यो ओलंपिक का आयोजन अगले महीने 23 तारीख से होना है। इसके लिए हॉकी इंडिया ने कुछ दिनों पहले 16 सदस्यीय भारतीय महिला हॉकी टीम घोषित की थी। पहले उस समय कप्तान का ऐलान नहीं किया गया था। रानी रामपाल के अलावा डिफेंडर दीप ग्रेस एक्का और गोलकीपर सविता पुनिया को टीम का उपकप्तान बनाया गया है। भारतीय महिला हाॅकी टीम को रानी रामपाल से आगामी महीने होने वाले टोक्यो ओलंपिक के लिए काफी उम्मीदें हैं। ―The success story of Rani Rampal, the captain of the Indian women’s hockey team.
महिलाओं को दिया संदेश
हॉकी कप्तान रानी रामपाल (Rani Rampal) ने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि, ‘अपने लक्ष्य के प्राप्ति के लिए सबसे पहले महिलाओं को खुद विश्वास होना चाहिए तथा उनको कभी भी दूसरों से खुद को कम नही समझना चाहिए। आपको एक बात याद रखनी होगी तो जब आप खुद पर विश्वास करेंगी, तभी दूसरे आपके ऊपर विश्वास करेंगे। अपने लक्ष्य को निर्धारित कर उसको पाने की कोशिश भरपूर करनी चाहिए तभी आप जीवन मे अपनी एक अलग पहचान बना सकती है।’