हमें अंग्रेजो की गुलामी से भले ही आजाद हो गया हो लेकिन अपने धकियानुसी सोच से आज भी अजाद नहीं हो पाए हैं। बदलते दौर में जहां दुनिया मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश में जुटी है वहां आज भी हमारे समाज में लड़का और लड़की में फर्क किया जाता है। जबकी मौजूदा समय में लड़कियाँ आसमान में उड़ान भरने से लेकर चांद तक का सफर भी कर चुकी हैं इसके बावजूद भी उनपर बन्दिशे हैं।
हमारी सोसाइटी में यदि किसी के घर लड़की का जन्म होता है तो लोग उन्हें ताना मारते हैं। इतना ही नहीं यदि लड़की आगे बढ़कर बुलंदियों को छूना चाहती है तो उसे यह कहकर ताना दिया जाता है कि वह एक लड़की है और ये सब लड़कियों के बस की बात नहीं। कुछ ऐसी ही कहानी है देश की पहली महिला फॉर्मूला रेसर की तो चलिए जानते हैं उनके प्रेरणादायी सफर के बारें में कि कैसे उन्होंने लोगों की वाहियात सोच का सामना करते हुए देश की पहली महिला फॉर्मूला रेसर बनी।
देश की पहली महिला फॉर्मूला रेसर
यह प्रेरणादायी कहानी है देश की पहली महिला फॉर्मूला रेसर मीरा इरडा (Meera Erda) की, जो गुजरात के वडोदरा से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल करके के लिए महज 9 वर्ष की उम्र से ही कोशिशें शुरु कर दिया था जब बच्चों के खेलने-कूदने की उम्र होती है और आज 21 वर्ष की आयु में इतिहास रच दिया है। India’s First Female Formula Racer Meera Erda.
पिता ने दिया साथ
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मीरा के पिता उन्हें बचपन से ही अक्सर अपने साथ रेसिंग ट्रैक पर लेकर जाते थे जहां मीरा अपने भाइयों को गाड़ियां दौड़ाते हुए देखती थी। तेज रफ्तार में गाड़ियां चलाते देखकर मीरा के मन में उत्साह जगाता था कि वे भी ऐसे ही तेज रफ्तार से गाड़ियां दौड़ाएं। वहीं से उन्होंने रेसर बनने का सपना देखा जिसमें उनके पिता ने हमेशा उनका साथ दिया और महज 9 वर्ष की आयु से ही मीरा भी रेसिंग ट्रैक पर गाड़ियों को दौड़ाने लगी।
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लोगों ने दिया ताना
अक्सर सड़कों पर रफ्तार से वाहन चलाते हुए पुरुष नजर आते हैं, वहीं यदि रेसिंग कार की बात करें तो इस क्षेत्र में महिलाओं को कम आंका जाता है और इस क्षेत्र को पुरुष प्रधान समझा जाता है। इतना ही नहीं कुछ वर्ष पहले बहुत कम ही महिलाएं मोटर स्पोर्ट्स में करियर का चुनाव करती थीं लेकिन मीरा इरडा (Racer Meera Erda) ने मोटर स्पोर्ट्स को अपने करियर के रुप में चयन किया।
हालांकि, उनका यह सफर आसान नहीं था। मोटर स्पोर्ट्स को पेशेवर तौर पर चुने जाने के बाद उन्हें लोगों ने ताना मारने में कोई कसर नहीं छोड़ी, उनकी काबिलियत पर भी प्रश्न किए गए। इतना ही नहीं उनके रिशतेदारों ने यह भी कह डाला कि एक लड़की होकर वह मोटर स्पोर्ट्स में अपना करियर कैसे चुन सकती है। तेज रफ्तार में हवाओं से बातें करते हुए ट्रैक पर मोटरकार दौड़ाना आसान काम नहीं है।
बनी देश की पहली महिला फॉर्मूला रेसर
मीरा ने भी इस क्षेत्र में करियर बनाने का दृढ़निश्चय कर लिया था ऐसे में उन्होंने लोगों की बातों पर ध्यान न देकर अपने इस सपने को हकिकत में बदलने के लिए जी तोड़ मेहनत शुरु कर दिया। कहते हैं न मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। मीरा की मेहनत भी बेकार नहीं गई और आज उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज करके देश की पहली महिला फॉर्मूला रेसर बनकर इतिहास रच दिया है।
मीरा इरडा (India’s First Female Formula Racer Meera Erda) ने सफलता हासिल करके साबित कर दिया कि लड़की भी वह सबकुछ करने की काबिलियत रखती है जिसे समाज की नजरों में सिर्फ पुरुष करते हैं। महिलाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। मीरा कई महिलाओं के मिसाल बनी हुई हैं।