Sunday, December 10, 2023

लोगों ने उड़ाया मजाक, यौन शोषण की शिकार हुई लेकिन नहीं मानी हार, बनी देश की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सर्वेंट

हमारा देश कितना भी आगे निकल गया हो लेकिन आज भी समलैंगिक समुदाय का समाज में अपने हक और अधिकारों के लिए संघर्ष जारी है। आज भी हमारे समाज में ट्रांसजेंडर को लोग अपने आप से अलग समझते हैं और उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। ऐसे में काफी सारी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद भी इस समुदाय के लोग अब हर क्षेत्रों में बुलंदियों को छूकर एक अलग पहचान बनाने में सफल हो रहे हैं।

आज की यह कहानी भी एक ट्रांसजेंडर की है, जिसने समाज के रूढ़िवादी सोच का सामना करते हुए देश की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सर्वेंट (India’s First Transgender civil Servant) बनी। इसी कड़ी में चलिए जानते हैं उनके बारें में विस्तार से (Story of India’s First Transgender Civil Servant Aishwarya Rituparna Pradhan.)

कौन हैं वह ट्रांसजेंडर सिविल सर्वेंट?

दरअसल हम बात कर रहे हैं ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान (Aishwarya Rituparna Pradhan) की, जो ओडिशा के कन्धमाल जिले में स्थित कतिबागेरी गांव की रहनेवाली हैं। ट्रांसजेंडर होने के नाते उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा इसके बावजूद भी वह ओडिशा फाइनेंशियल सर्विसेज में पहली सिविल सर्वेंट के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुईं हैं।

सेक्सुअल ओरिएंटेशन के वजह से शिक्षकों ने उड़ाया मजाक

ऐश्वर्या को ट्रांसजेंडर होने का पता उस समय चला जब वह महज छठी कक्षा में थी। ट्रांसजेडर का पता चलने के बाद उनके जीवन में कठिनाईयों ने बसेरा ले लिया और उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाने लगा। एक गुरु को काफी उच्च स्थान देकर सम्मान किया जाता है लेकिन इसके विपरीत ऐश्वर्या के स्कूल के शिक्षकों ने उनका साथ देने के बजाय सेक्सुअल ओरिएंटेशन के वजह से उनका मजाक उड़ाने लग और उनके साथ दुर्व्यवहार करने लगे।

यह भी पढ़ें:- गटर में मिली एक अनाथ लड़की ने अपने बलबूते खङी किया कम्पनी Toraa: कल्पना वंदना

कॉलेज के दिनों में होना पड़ा यौन शोषण का शिकार

शिक्षकों और छात्रों द्वारा खुद का मजाक उड़ाने के बाद उनका हौसला कम नहीं हुआ और काफी संघर्षरत उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन से स्नातक और लोक प्रशासन में स्नाकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। इसके अलावा जब वह राज्य सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहीं थी उस समय भी उनका मजाक बनाया गया।

हालांकि, उनका ये सफर भी आसान नहीं रहा। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि, जब वह पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहीं थीं तो हॉस्टल में उनके साथ यौन शोषण किया गया था। इतना ही नहीं राज्य सिविल सर्विसेज में भर्ती होने के बावजूद भी लोग उन्हें शक की निगाहों से देखते थे क्योंकि उन्हें लगता था एक ट्रांसजेंडर द्वारा अपनी कर्तव्यों का निर्वहन अच्छे से नहीं हो पाएगा। लेकिन अब चीजें पहले की तुलना में बेहतर हुई है।

सिविल सर्वेंट बनने के बाद कराया जेंडर ट्रांसफॉरमेशन

एक ट्रांसजेंडर होने की वजह से ऐश्वर्या को साल 2010 में वह राज्य सिविल सर्विसेज में आने के बाद अपनी पहचान बनाने में 5 वर्ष से भी अधिक लम्बा सफर तय करना पड़ा। उस समय पारादीप पोर्ट टाउनशिप में उनकी पोस्टिंग बतौर मेल अफसर के रूप में हुई थी। लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक समुदाय को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दिया उसके बाद ऐश्वर्या ने अपना कानूनी रूप से अपने जेंडर को मेल से फिमेल में परिवर्तित करने का फैसला किया।

हालांकि, जेंडर ट्रांसफॉरमेशन के लिए कुछ कानूनी कार्रवाई को पूरा करना होता है जिसके बाद जेंडर आपके मन मुताबिक परिवर्तित हो जाएगा। ऐश्वर्या (Aishwarya Rituparna Pradhan) ने भी उन सभी कार्रवाइयों को पूरा किया और अपने लिए ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान नाम का चुनाव किया। Story of India’s First Transgender Civil Servant Aishwarya Rituparna Pradhan.

यह भी पढ़ें:- नज़रिया बदलने की जरूरत! देखिए भारत के इन 5 कैफ़े को जिसे ट्रांसजेंडर चलाते हैं

अब सर के जगह मैडम कहते हैं

ऐश्वर्या बताती हैं कि, सिविल सर्विसेज में आने के शुरुआती दिनों में उन्हें काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। उसके बाद उनके साथ काम करने वाले सहकर्मी, सुपीरियर और सबओर्डिनेंश ने उन्हें स्वीकार किया। परिणामस्वरूप उनके सीनियर हो या उनके दोस्त अब सभी उन्हें उनके नाम से बुलाते हैं। वहीं सबओर्डिनेंश उन्हें पहले सर कहते थे लेकिन अब “मैडम” कहते हैं।

ऐश्वर्या कहती हैं कि, न्यायपालिका कोशिश कर रही है कि समाज एलजीबीटी समुदाय को स्वीकार करें, जिससे उनका जीवन आसान बन सके। न्याय पालिका के कोशिशों के बदौलत अब वह दिन दूर नहीं जब समलैंगिक समुदाय भी आसानी से जीवन यापन कर सकेंगे। Story of India’s First Transgender Civil Servant Aishwarya Rituparna Pradhan.

ऐश्वर्या ने जिस प्रकार अपने साथ हुए दुर्व्यवहार और समाज की रुढिवादी सोच का सामना करते हुए देश की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सर्वेंट बनीं वह प्रेरणादायी है। The Logically उनके जज्बे को सलाम करता है।