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वैज्ञानिकों ने खोज निकाला दूध में मिलावट चेक करने की आसान विधि, आप भी जान लीजिए

हमारे देश में लोग शुरु से हीं खाने-पीने में दूध और दही को पसन्द करते हैं। दूध की बढ़ती मांग के बीच व्यापारी दूध में काफी मिलावट कर रहे हैं। लोगों को यह पता भी नहीं चल पाता है कि कौन सा दूध असली है और कौन मिलावटी? लोगों के इस समस्या का समाधान वैज्ञानिकों द्वारा निकाला जा चुका है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा बंदोबस्त किया है जिससे कोई भी व्यक्ति आसानी से मिलावटी दूध के बारे में पता कर पाएगा। आईए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) जो कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित है। वहां के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में पाया है कि दूध में आमतौर पर की जाने वाली यूरिया और पानी की मिलावट की परीक्षण में इस विधि को बहुत हीं प्रभावी पाया गया है।

Innovation of method that helps to test milk

इस बारे में प्रोफेसर सुस्मिता दास ने क्या कहा?

सुष्मिता दास (Sushmita Das) जो आईआईएसी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उनका कहना है कि दूध में मिलावट सभी के लिए एक बहुत बड़ी मुसीबत है। इसलिए इसके असली और नकली के बारे में पता करने के लिए हमने थोड़े से दूध को रखा और इवेपरेट होने का इंतजार किया, जब पूरी तरह से गायब हो गया और जो सॉलिड बचा उसमें अलग-अलग नमूने थे।

दूध परीक्षण में पानी अथवा यूरिया मिलाए दूध और असली दूध के सभी भिन्न-भिन्न वाष्पीकरणीय नमूना पाया गया है। वही मिलावटी दूध के वाष्पीकरणीय नमूना में एक में एक केंद्रीय, अनियमित कण जैसा नमूना होता है।

कैसे किया जाता हैं प्रशिक्षण?

दूध में पानी की मात्रा को पता लगाने के लिए लैक्टोमीटर की मदद ली जाती है परंतु वह पूरी तरह से सटीक नहीं होता है। जैसे कि हिमांक बिंदु तकनीक दूध की कुल मात्रा का केवल 3.5% तक ही पानी का पता लगा सकती है। वहीं यूरिया के प्रशिक्षण के लिए उच्च संवेदनशीलता वाले बायो सेंसर का उपयोग किया जाता है परंतु बहुत महंगा (Expensive) हो जाता है और इसकी सटीकता वक्त के साथ कम होती जाती है। इस प्रकार के पैटर्न का विश्लेषण का इस्तेमाल करके पानी की सांद्रता अधिकतम 30% तक और पतले दूध में यूरिया की सांद्रता न्यूनतम 0.4 % तक पता लगाने में असरदार पाई गई है।

सुष्मिता ने बताया कि उन्होंने देखा कि यूरिया अथवा पानी मिले दूध भिन्न-भिन्न पैटर्न है जबकि यूरिया मिला दूध इवेपरेशन के बाद उसमें क्रिस्टल जैसे सॉलिड बच गए थे। उन्होंने बताया कि अभी यह शुरुआती परीक्षण है, वहीं अभी पानी और यूरिया मिलावटी दूध का परीक्षण किया था। उनका कहना है कि आने वाले वक्त में वह तेल और डिटर्जेंट जैसे कई दूसरे मिलावट वाले सामग्री का परीक्षण करने वाले हैं।

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दूध में मिलावट हो सकता हैं, खतरनाक

मिलावटी दूध से पूरे देश में एक गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। हम सब यह देखते हैं कि कई अवसरों पर दूध की कमी होने के कारण अधिकांश मात्रा में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करने में असफल रहती है। दूध की कमी होने पर दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए ज्यादातर पानी के साथ यूरिया मिला दिया जाता है। यूरिया मिलाने से दूध को सफेद और झागदार बनाया जाता है। आपको बता दें कि मिलावटी दूध से कई तरह के गंभीर बीमारियां हो सकती है इसलिए मिलावटी दूध से हमेशा सावधान रहें।

सुष्मिता ने बताया कि यह तरीका बहुत ही आसान है परंतु सबसे पहले यह जानना जरूरी है की असली या फिर मिलावटी दूध का नमूना कैसा होगा। इन तस्वीरों को किसी सॉफ्टवेयर में अपलोड कर सकते हैं जहां पर कोई भी अपनी तस्वीर से इन्हें मिला सकता है। उन्होंने बताया कि यह परीक्षण कहीं पर भी कर सकते हैं और इसके लिए कोई प्रयोगशाला या किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने बताया कि कहीं दूर क्षेत्रों अथवा ग्रामीण जगहों में भी इसका प्रयोग कर सकते हैं। हालांकि सुष्मिता और उनकी टीम इस विषय पर और भी काम कर रही है जिससे आम लोग और दूर गांव तक इसकी जानकारी पहुंच सके। इस परीक्षण से हम असली और मिलावटी दूध की पहचान बखूबी कर पाएंगे।

दूध के आलावा और भी कई प्रोडक्ट्स का कर पाएंगे परीक्षण

दूध के अलावा इस तकनीक की सहायता से दूसरे लिक्विड पेय पदार्थों तथा प्रोडक्ट्स में भी मिलावट का परीक्षण किया जा सकता है। प्रोफेसर सुष्मिता ने बताया कि इस पद्धति से जो नमूना मिलता है वह किसी भी तरह की मिलावट के प्रति बेहद संवेदनशील रहता है। उन्होंने बताया कि इस विधि का प्रयोग वाष्पशील तरल पदार्थों में अशुद्धियों को जानने के लिए किया जाता है। जैसे शहद उत्पादों के लिए यह पद्धति और भी अधिक अभिरुचि होगा, जिसमें बहुत अधिक मिलावट की जाती हैं।

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