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ठंड से ठुतुरते भिखारी के पास DSP पहुंचे तो पता चला वह उनके ही बैच का ऑफिसर है

21वीं सदी में आज हर क्षेत्र में तीव्रता से परिवर्तन हो रहा है। हमारा देश तरक्की के नए मुकाम हासिल कर रहा है लेकिन इसके बावजूद आज तक भारत भिक्षावृत्ति के दलदल से उबर नहीं पाया है। ऐसा बहुत बार देखने को मिला है जिसे देख ऐसा लगता है कि यह सच नहीं है। कई बार कुछ चीजों को देख हम हक्का-बक्का हो जाते हैं और कुछ बोल नहीं पाते। ऐसा ही हुआ ग्वालियर के DSP के साथ।

ग्वालियर के DSP रास्ते से जा रहे थे तो रास्ते में उन्हें एक भिखारी दिखा जो ठंडी से कांप रहा था। उन्होंने उसके पास जाकर बात करने का निश्चय किया और जब वह वहां गए तो जो देखा उसके बाद यह निःशब्द हो गए। ये जो भिखारी था वह उन्हीं के बैच का ऑफिसर था।

Inspector finds his 10 years lost batchmate

यह जानकारी मिली की ग्वालियर (Gwalior) में हुए उपचुनाव की मतगणना के उपरांत DSP रत्नेश सिंह तोमर (Ratnesh Singh Tomar) और विजय सिंह (Vijay Singh) भदौरिया झांसी (Jansi) रास्ते से जा रहे थे। उन्होंने सड़क के किनारे एक भिखारी को देखा जो ठंडी से ठिठुर रहा था। ये वहां रुके ताकि उनकी कोई मदद कर सकें। किसी ने अपने जूते तो किसी ने जैकेट निकाल उन्हें दी। फिर उन्होंने उनसे बात करनी शुरू की और वह दंग रह गए क्योंकि वह भिखारी DSP के बैच का ऑफिसर निकला।

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10 वर्ष पूर्व हुए थे लापता

वह जो भिखारी थे वह 10 साल पूर्व पुलिस अफसर मनीष मिश्रा थे। जो अब इस भिखारी की हालत में दिखे। मनीष मिश्रा की 1999 में पुलिस के रूप नियुक्ति हुई और यह MP के विभिन्न थानों में थानेदार का कार्य चुके हैं। उनकी निशानेबाजी अचूक थी। उन्होंने वर्ष 2005 तक वह कार्य किया और लास्ट थानेदार के रूप में दतिया में अपनी जिम्मेदारी निभाई थी। आगे उनका मानसिक संतुलन खराब हुआ और उनके घरवालों ने उनका इलाज भी कराया। लेकिन उनके घर के व्यक्ति इनसे परेशान हो गए थे। एक दिन वह इनसे नजरें चुराकर भाग निकले। घरवालों ने उन्हें ढूंढा भी लेकिन वह नहीं मिले। आगे उनकी पत्नी ने भी उनसे तलाक ले लिया। अब उनको भीख मांगते हुए 10 वर्ष बीत चुके थे।

दोस्तों की मदद से हुआ इलाज शुरू

इन दोनों अधिकारियों ने मनीष को वहां से चलने के लिए बात करने के दौरान कहा। परन्तु मनीष तैयार नहीं हुए। तब उन्होंने मनीष को एक समाज सेवी संस्था में भिजवाया तब उनकी देखरेख वहां शुरू की गई। मनीष किसी छोटे घर से नहीं बल्कि उनके चाचा और पिता SSP के पोस्ट से रिटायर्ड हैं। उनके भाई भी थानेदार रह चुके हैं। मनीष की बहन भी दूतावास में अच्छी नियुक्ति पर कार्यरत हैं। उनकी जो पत्नी थी वह भी गवर्मेंट क्षेत्र से जुड़ी थी। अभी मनीष का इलाज उनके दोस्तों की सहायता से हो रहा है।

The Logically यह दुआ करता है कि मनीष मिश्रा जल्द ही ठीक हों और DSP रत्नेश एवं विजय को उनके कार्यों के लिए सलाम करता है।

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