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खाने के लिए कभी मजदूरी की तो कभी रिक्शा चलाया लेकिन नहीं मानी हार, आज गोंड पेंटिग से बनाई अलग पहचान

अक्सर हम देखते हैं कि छोटे बच्चे जमीन पर या घर की दीवारों पर हमेशा कुछ न कुछ कलाकृतियां बनाते रहते हैं। लेकिन किसे पता होता है कि बचपन में कलाकारियों से खेलने वाला बच्चा एज चलकर जीवन में कुछ ऐसा हासिल करेगा जिससे देश का गौरव बढ़ेगा। वेंकट रमन सिंह श्याम (Venkat Raman Singh Shyam) भी उन्हीं में से एक हैं।

वेंकट भी शुरु से हो घर की दीवारों से लेकर मवेशियों के पीठ पर भी कुछ-न-कुछ कलाकारी करते रहते थे। अब देखिए न किसे पता था कि उनके बचपन का यह हुनर गांव की मिट्टी और दीवारों से ऊपर उठकर विदेशों के गैलरीज की दीवारों की शोभा बढाएगी।

चाचा के घर आने पर घर की दीवारों पर की चित्रकारी

IGNCA की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना साल 1986 की है जब रमन के चाचा जनगढ सिंह श्याम जो एक गोंड कलाकार (Gond Artist) हैं, उनके घर पहुंचे तो देखा कि घर की सभी दीवारों पर अलग-अलग चित्रकारी की गई थी। कहीं शिरडी के साई बाबा की आकृति बनी थी तो कहीं पेड़-पौधें तो कहीं घर की आकृतियां बनी हुई थी। Inspirational Journey of Gond Artist Venkat Raman Singh Shyam.

चित्रकारी करने के लिए पहुंचे भोपाल

रमन के चाचा समझ गए थे कि रमन को कलाकृतियां बनाने में बेहद रुचि है, ऐसे में यदि उसे सही शिक्षा दी जाएं तो वह बहुत आगे तक जाएगा। फिर क्या था उन्होंने रमन को सुझाव दिया कि वे सिन्झोना ग्रामीण विद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भोपाल (Bhopal) आ जाएं और वहां आकर चित्रकारी के गुण सीखें।

रमन ने चाचा द्वारा दिए गए सुझाव का पालन किया और पढ़ाई पूरी करके भोपाल चले गए। भोपाल पहुंचकर चाचा ने उन्हें अपना सहायक बना लिया। भोपाल में रमन की मुलाकात कई मशहूर आर्टिस्ट्स से हुई जिन्होंने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

Inspirational Journey of Gond Artist Venkat Raman Singh Shyam

बचपन से ही करते थे चित्रकारी

रमन के मामा भी चित्रकार थे, ऐसे में जब भी वह चित्रकारी करते थे तो रमन उन्हें बहुत ही ध्यानपूर्वक देखते थे। वहीं गोंड कलाकार उनके चाचा चित्रकारी सीखाने के लिए अपने साथ लेकर गए। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि उनके खून में ही चित्रकारी थी। वे शुरु से ही अपने गांव के नजारों को देखते तो उसे कागजों पर उतारने की कोशिश करते रहते। हालांकि, उस समय उनके पास चित्रकारी करने के बारें में अधिक कुछ जानकारी नहीं थी।

दिल्ली में कई संघर्षों का करना पड़ा सामना

रमन चाहते थे कि कला की दुनिया में उनकी एक अलग पहचान बनें, लोग उन्हें एक अलग नाम से जाने। इसी सोच के साथ वे भोपाल में 3 वर्षों तक चाचा के साथ काम करने के बाद दिल्ली चले गए। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया कि, वे जीवन में कई संघर्षों का सामना करके आगे बढ़ें। उन्हें खाने के लिए भी माफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता।

जीवनयापन करने के लिए उन्होंने कई काम किए जैसे कभी बावर्ची का काम, कभी मजदूरी, कभी रिक्शा चलाते तो कभी घरों की दीवारों पर पेंटिग्स करते। उस समय जीवन गुजारने में उन्हें इतना संघर्ष करना पड़ा के उस दौर में गोंड पेंटिग ठंड पड़ गई।

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वापस लौट आए भोपाल

कहते हैं न कि एक कलाकार कभी भी अपनी कलाकारी नहीं छोड़ सकता। रमन का जीवन भी बिना कलाकारी के अधूरा था। ऐसे मे उन्होंने पेंटिग का काम शुरु किया और कभी फिल्म पोस्टर्स, तो कभी होर्डिंग्स आदि को पेंट करने का काम करने लगे लेकिन ये काम भी अधिक समय तक नहीं चल सका। साल 1993 में दिल्ली में उन्हें सेरीब्रल मलेरिया बीमारी ने घेर लोया और उनका यह सफर उसी समय रूक गया। वे दिल्ली से वापस भोपाल चले आए और यहां साइन बोर्ड पेंटर का काम करने का फैसला किया।

चाचा की मौत ने अंदर तक झकझोर दिया

रमन (Gond Artist Venkat Raman Singh Shyam) ने भोपाल में लगभग 8 वर्षों तक साइन बोर्ड पेंटर का काम किया। उसी दौरान उन्हें 3 जुलाई 2001 की सुबह को सूचना मिली कि उनके चाचा, गुरु और गोंड आर्टिस्ट जनगढ़ सिंह ने जापान में आत्म’हत्या कर लिया है। चाचा की मौत की खबर सुनते ही उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। Story of Gond Artist Venkat Raman Singh Shyam

चाचा के काम को आगे बढ़ाने का किया निर्णय

चाचा की मौत के बाद रमन ने फैसला किया कि वे उनके काम को आगे बढ़ाएँगे। इसके लिए उन्होंने पोस्टर और होर्डिंग वाले पेंटिग ब्रश की छोड़कर गोंड पेंटिग (Gond Painting) करने का फैसला किया। हालांकि, उस दौरान उनकी पेंटिग्स लोगों को पसंद नहीं आ रही थी। यहां तक कि उनके पेंटिग्स को म्युजियम में भी लगाने की अनुमति नहीं मिलती थी। कुछ लोगों ने कहा कि वे युवा आर्टिस्ट हैं। लेकिन रमन ने हार नहीं मानी और चाचा द्वारा दी गई शिक्षा “खुद की पहचान बनाओ” के पथ पर निकल पड़े।

लोगों की आंखों से बनाना शुरु किया पेंटिग्स

रमन ने इस बार पेंटिग्स बनाने से पहले विदेशों के म्युजियम्स में घूमने लगे और उसके बारें में करीब से जानना शुरु किया। इसी के साथ उन्होंने पिकासों के काम को भी काफी नजदीक से देखा और समझा। उसके बाद उन्होंने वैसी पेंटिग्स बनानी शुरु किया जो लोगों को पसंद आ सके। इसके लिए उन्होंने गोंड स्टाइल के साथ कलाकारी करने के तौर-तरीकों, रंगों और डिजाइनस को परिवर्तित किया और तब पेंटिग्स बनाने लगे।

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देश-विदेश के म्युजियम्स की शोभा बढ़ा रही हैं रमन की बनाई पेंटिग्स

आज वेंकट रमन (Gond Artist Venkat Raman Singh Shyam) द्वारा बनाई गई पेंटिग्स कई मशहूर जगहों पर लगाई गई है जिसमें मुम्बई के छत्रपति शिवाजी म्युजियम, भोपाल स्थित भारत भवन और बेंगलुरु के चित्र कला परिषद जगहें शामिल हैं। सिर्फ देश ही में बल्कि विदेशों के गैलरीज और म्युजियम्स में भी उनकी बनाई पेंटिग्स को सजाया गया है। इसके अलावा उनकी बनाई पेंटिंग्स लॉस एंजेलिस कंट्री म्यूजियम आफ आर्ट, क्विंसलैंड आर्ट गैलरी समेत ओटावा नेशनल गैलरी में भी चार चान्द लगाया है। इस तरह उनकी गोंड पेंटिग्स (Gond Paintings) पूरी दुनिया में मशहूर है।

मध्यप्रदेश सरकार कर चुकी है सम्मानित

बेहतरीन कलाकृतियां बनाने की वजह से वेंकट रमन सिंह को मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2002 में सम्मानित किया था। बता दें कि, वेंकट रमन अपनी पेंटिग्स के माध्यम से धरती के समस्याओं को दिखाने का प्रयास करते हैं। Inspirational Journey of Gond Artist Venkat Raman Singh Shyam

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