कहते हैं न, अगर किसी शख्स के अंदर सफलता पाने की जुनून हो तो उसे किसी बैसाखी की जरूरत नहीं पड़ती। जी हां, महाराष्ट्र के उल्हासनगर से ताल्लुक रखने वाली प्रांजल पाटिल के अंदर अपनी मंजिल को हासिल करने का ऐसा जुनून और जज्बा था कि उन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता को भी अपने मंजिल के रास्ते में बाधा नहीं बनने दिया।
6 साल की हीं उम्र में खोई अपनी आंखों की रोशनी
महाराष्ट्र (Maharashra) के उल्हासनगर की रहने वाली प्रांजल पाटिल (IAS Pranjal Patil) ने बहुत हीं छोटे उम्र से अपने जीवन में बहुत सारे उतराव- चढ़ाव को देखा। वो जब महज 6 साल की थी, तभी उन्होंने एक दुर्घटना में अपनी आखों की रोशनी खो दी। उस दौरान उन्हे ऐसा लगा कि अब उनका पूरा जीवन अंधकार में चला गया लेकिन उन्होंने अपना हिम्मत नहीं खोया और हार न मानते हुए लगातार मेहनत करती रहीं। आखिरकार उनकी मेहनत ने रंग लाया और वर्तमान समय में वे देश की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अफसर हैं।
अपनी अक्षमता को नहीं बनने दी अपनी कमजोरी
प्रांजल (IAS Pranjal Patil) ने अपने आंखों की रोशनी खोने के बावजूद भी अपने हौसलें को बरकरार रखा और अपनी शारीरिक अक्षमता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दी। उन्होंने उल्हासनगर के दादर स्थित श्रीमती कमला मेहता स्कूल से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ब्रेल लिपि में पूरी की। 10 वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपनी 12 वीं की पढ़ाई चंदाबाई कॉलेज से आर्ट्स विषय से पूरी की और 12वीं में उन्होंने 85% प्रतिशत अंक के साथ परीक्षा को पास किया था।
बता दें कि, इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में दाखिला लिया। इसी दौरान उनके किसी दोस्त ने यूपीएससी के बारे एक लेख पढ़कर इनको सुनाया। इस लेख ने प्रांजल को इतना प्रेरित किया कि उन्होंने बिना किसी से बताए अपने मन हीं मन यूपीएससी की तैयारी का फैसला ले लिया।
यूपीएससी की तैयारी करना किया शुरू
अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रांजल ने दिल्ली के जेएनयू कॉलेज में पीजी की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया और साथ हीं यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने एक खास प्रकार की सॉफ्टवेयर जॉब ऐक्सेस विद स्पीच का सहायता लिया, जो आंखों की रौशनी खो चुके लोगों के लिए हीं बना है। पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पीएचडी करने का फैसला किया।
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एक खास प्रकार की सॉफ्टवेयर की मदद लेकर किया यूपीएससी की तैयारी
प्रांजल (IAS Pranjal Patil) ने ठान लिया था कि चाहे कितना भी मेहनत करना पड़े लेकिन वो यूपीएससी की तैयारी करने से पीछे नहीं हटेंगी। तैयारी के दौरान उन्होंने किसी तरह की कोचिंग का सहारा नहीं लिया। केवल एक सॉफ्टवेयर की सहायता लेकर अपनी परीक्षा की तैयारी में जुटी रही। यह सॉफ्टवेयर एक खास प्रकार का सॉफ्टवेयर था, जो विशेषकर उन्हीं लोगों के लिए बना था जिन्होंने अपनी आखों की रोशनी खो दी हो। यह सॉफ्टवेयर आखों से अक्षमता लोगों के लिए किताबें पढ़ सकता था। इसलिए प्रांजल ने इस सॉफ्टवेयर की सहायता ली थी। इससे उन्होंने अपने मॉक टेस्ट पेपर भी हल किये थे और डिस्कशन में भी हिस्सा लिया था।
पहले हीं प्रयास सफलता मिलने में बाद भी नहीं मिली नौकरी
प्रांजल (IAS Pranjal Patil) वर्ष 2016 में प्रथम बार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुई और अपने पहले ही प्रयास में इन्होंने ऑल इंडिया 773वां रैंक हासिल कर परीक्षा को पास किया लेकिन दृष्टिबाधित होने के वजह से उन्हें भारतीय रेलवे लेखा सेवा में नौकरी नहीं मिली।
दूसरे प्रयास में बनी आईएएस अफसर
पहले प्रयास में नौकरी नहीं मिलने के बाद प्रांजल ने अपनी मेहनत को जारी रखा और फिर दूसरे बार भी यूपीएससी एग्जाम में बैठी। इस बार इनके मेहनत ने इतिहास रच दिया। प्रांजल ने अपनी मेहनत के बदौलत ऑल इंडिया 124वां रैंक प्राप्त कर यूपीएससी एग्जाम में सफलता का परचम लहराया।
यूपीएससी में सफलता प्राप्त करने के बाद प्रांजल का भारतीय प्रशासनिक सेवा ले लिए चयन हो गया। उन्होंने केरल के एर्नाकुलम में एक सहायक कलेक्टर का कार्यभार संभाला था और उसके बाद तिरुवनंतपुरम के उप-कलेक्टर के पद पर स्थापित की गई।