Tuesday, December 12, 2023

आंखों से रौशनी चली गई लेकिन हौसला बुलन्द रहा, IAS बनकर ललित ने सबको चकित कर दिया: IAS Lalit

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। जी हाँ, आज हम बात करेंगे एक शख्स की जिन्होने अपने हौसले के बदौलत दृष्टिहीन होने के बावजूद भी अपने सपने को साकार करके समाज के लिए एक मिशाल पेश किया है।

कौन है वह शख्स ?

हम बात कर रहे हैं IAS ललित (IAS Lalit) की, जो की दृष्टिहीन होने के बावजूद भी तरह-तरह के बाधाओं को पार करते हुए अपने मिशन में कामयाबी के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं। IAS ललित (IAS Lalit) एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनकी कम उम्र में ही आंखों की रोशनी चली गई और कई स्कूलों ने उन्हें अपने यहां दाखिला देने तक से मना कर दिया था। इस सबके बावजूद जिंदगी की मुश्किल राहों को पार करते हुए ललित ने प्रशासनिक सेवा की कठिन परीक्षा पास की थी। आज के समय में ललित (IAS Lalit) 2019 बैच के आईएएस अफसर बन चुके हैं। ―Despite being blind, a person has set an example by becoming an IAS officer.

 IAS Lalit

जन्म के बाद हुए दृष्टिहीन

ललित (IAS Lalit) शुरू से दृष्टिहीन नहीं थे। एक समय उन्होंने कोई दवा खाई और वह दवा रिएक्सन कर गया जिससे उनकी आंख की रौशनी चली गई। 8वीं क्लास के समय से ही आंखों की रोशनी इतनी कम हो गई थी कि वो अपनी परीक्षा लिख नहीं पाते थे। इसके बावजूद भी उन्होंने कभी भी फिजिकल डिसएबिलिटी को अपने रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया।

समान्य स्कुल की पढ़ाई

ललित (IAS Lalit) हमेशा सामान्य स्कुल में ही पढ़ाई किए हैं। शुरुआत में समान्य स्कुल के शिक्षक उन्हे स्कुल में पढ़ाने से मना करते हुए दाखिला नहीं करते थे। बाद में मुश्किल से ललित के पिता ने स्कुल के शिक्षकों को समझा बुझा कर उनका दाखिला समान्य स्कुल में ही करवाई। स्कूल में दाखिला नहीं करने के कारण के बारे में बात करते हुए स्कुल के शिक्षकों की यह सफाई थी कि दृष्टिहीन होने के कारण बच्चा आखिर कैसे पढ़ाई करेगा?

 IAS Lalit

माता-पिता के बदौलत तय हूई मंजिल

8वीं से ही दृष्टिहीन हुए ललित (IAS Lalit) पर बचपन से ही माता-पिता का हमेशा से ही उनपर ध्यान रहा है। बचपन से लेकर बड़े तक ललित के पैरेंट्स ही उनके शिक्षक के तरह उनपर ध्यान दिए। ललित की मां का उनके जीवन में खास रोल है क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन ही ललित की शिक्षा पर न्यौछावर कर दिया और हाइली क्वालीफाइड होने के बावजूद कभी जॉब नहीं कि ताकि ललित को पढ़ा सकें। पिता को भी जब समय मिलता था वे ललित के लिए पढ़ने का काम करते थे। ललित (IAS Lalit) की यूपीएससी तक की पढ़ाई ऐसे ही हुई है। ―Despite being blind, a person has set an example by becoming an IAS officer.

अंत में हुए सफल

सन 2018 में दृष्टिहीन होने के बावजूद भी ललित (IAS Lalit) ने पीएच श्रेणी में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की और साल 2019 बैच के आईएएस बने। ललित अपनी सफलता का श्रेय अपने मां-बाप को देते हैं। वो कहते हैं कि उनके संघर्ष और कभी गिवअप न करने वाले एटिट्यूड की वजह से ही वो आगे बढ़ सके। ललित (IAS Lalit) की कहानी उन युवाओ के लिए प्रेरणास्रोत है, जो कठिनाईयों से जूझते हुए IAS बनना चाहते हैं।