वैसे हर इंसान के जीवन में विपरीत परिस्थितियां आती हीं रहती है लेकिन इन परिस्थितियों में कुछ लोग अपने मंजिल से भटक जाते हैं तो कुछ हार न मानते हुए अपने हौसले को बुलंद रख निरंतर प्रयास को जारी रखते हैं।
आज हम बात करेंगे यूपी के मिर्जापुर के रहने वाले आईएएस राम प्रकाश के बारे में, जो कभी घर के हालात सही नहीं होने के कारण बकरियां चराया करते थे लेकिन आज अपने मेहनत के बदौलत आईएएस बनकर अपने परिवार और समाज का नाम रोशन कर रहे हैं।
स्कूल के बाद बकरियां चराई
आईएएस राम प्रकाश (IAS Ram Prakash) यूपी (Uttar Pradesh) के मिर्जापुर जिले के जमुआ बाजार के एक बेहद हीं साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे बचपन से हीं पढ़ाई में काफी होनहार थे। स्कूल के शुरुआती दौर में परिवार वालों की मदद करने हेतु स्कूल की छूटी के बाद वे अपने दादी मां के साथ बकरियां भी चराया करते थे।
बता दें कि, 2007 में बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद राम प्रकाश के मन में यूपीएससी की तैयारी करने का ख्याल आया और उन्होंने इसकी तैयारी करना शुरू कर दिया।
तैयारी के दौरान बहुत सारी बाधाओं का किया सामना
वर्ष 2007 में आईएएस राम प्रकाश ने अपनी बारहवीं की पढ़ाई श्रद्धानंद सरस्वती इंटरमीडिएट कॉलेज रोहनिया, वाराणसी से पूरी की। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी का मन बनाया। इस तैयारी के दौरान उन्हें काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा था लेकिन हार ने मानते हुए उन्होंने तैयारी को जारी रखा।
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छठे प्रयास में मिली सफलता
आईएएस राम प्रकाश (IAS Ram Prakash) लगातार पांच बार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए लेकिन हर बार उन्हे असफलता हीं हाथ लगी। लेकिन उन्होंने खुद को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया और लगातार प्रयास को जारी रखा। फिर वर्ष 2018 में वे छठे बार यूपीएससी एग्जाम में शामिल हुए। लेकिन इस बार उन्होंने 162वीं रैंक के साथ यूपीएससी एग्जाम में सफलता का परचम लहराया। बता दें कि, उन्होंने यूपीएससी 2018 में 275 में से 151 अंक प्राप्त किया था।
ट्विटर पर रहते है खूब एक्टिव
आईएएस राम प्रकाश अपने बचपन में बकरियां चराने से लेकर अपनी सफलता तक की स्टोरी की कहानी ट्विटर पर शेयर करते है। वे ट्विटर पर खूब एक्टिव दिखते है और 74 हजार लोग उन्हे फॉलो भी करते हैं।
उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर अपनी बचपन की एक स्टोरी शेयर करते हुए लिखा था कि, ” हम 5-6 लोग जून 2003 को बकरियां चराने गए थे। वहीं पर आम के पेड़ की डाल पर झूला झूल रहे थे। अचानक से डाल टूट गई पर किसी को चोट तो नही लगी, लेकिन मार खाने से बचने के लिए हम लोग मिलकर पेड़ की डाल ही उठा लाए थे जिससे पता ही ना चले कि डाल टूटी है या नही”
उन्होंने हाल हीं में अपनी बचपन की एक और कहानी अपने ट्विटर हैंडल शेयर करते हुए लिखा कि, “7वी कक्षा में पढ़ते हुए जीजी के साथ बकरी चराने जाया करता था।
एक दिन किसी काम की वजह से जीजी ने बोला तू जा, साथ वाले चरवाहे भी होंगे। मैं उनके साथ खेलने लग गया और बकरियां कहीं चली गई, बाद में सब ढूंढने गए, शुक्र है दबकन में मिल गई।”
आईएएस राम प्रकाश वर्तमान समय में राजस्थान के पाली जिले में CEO जिला परिषद के पद पर तैनात होकर देश की सेवा कर रहे हैं।