आज के बदलते समय में बेटियां बेटों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं। बेटियां पुरुष प्रधान क्षेत्र में भी पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर उन्हें कड़ी टक्कर दे रही हैं साथ ही यह साबित कर रही हैं कि वह हर क्षेत्र में काम करने की काबिलियत रखती हैं। बिन्दुप्रिया ने भी घर की स्थितियों के वजह से आज वह अपने पिता का सैलून सम्भाल रही हैं।
कौन है बिन्दुप्रिया?
बिन्दुप्रिया (Bindupriya) हैदराबाद (Hyderabad) भद्रादी कोठागुडम जिले में स्थित मोंडीकुन्ता गांव की रहनेवाली हैं और BBA की पढ़ाई कर रही हैं। बिन्दुप्रिया तीन बहनें हैं जिसमें से वह सबसे छोटी हैं। उनके पिता सैलून का दुकान चलाते हैं और उससे जो कमाई होती है उसी से उनके परिवार का भरण-पोषण होता है।
महज 11 वर्ष की उम्र में सीख लिया सैलून का काम
चूंकि, पिता सैलून का दुकान चलाते थे इसलिए बिन्दुप्रिया अक्सर उनके लिए दोपहर का खाना लेकर जाती थी। उस दौरान वह पिता को बाल काटते और दाढ़ी बनाते हुए देखती थी और इस तरह महज 11 वर्ष की उम्र मे ही उन्होंने इस काम को सीख लिया था। इतने कम उम्र में यह काम सीखना आज बिन्दुप्रिया के काम आ रहा है और उनका घर-परिवार का गुजारा हो रहा है।
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पिता की स्थिति खराब होने के कारण खुद संभाली दुकान
बिन्दुप्रिया के पिता जब तक सैलून का काम करते थे तब तक घर की स्थिति सही थी लेकिन साल 2015 में जब उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया तब से उनके परिवार की परिस्थिति बिल्कुल ही परिवर्तित हो गई। ब्रेन स्ट्रोक आने की वजह से उनकी स्थित बहुत ही नाजुक हो गई थी और डॉक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह दिया। पिता की तबीयत बिगड़ने की वजह से दुकान कई दिन तक बंद रहा लेकिन अधिक दिनों उसे बन्द रखना संभव नहीं था।
एक इंटरव्यू के मुताबिक, बिन्दुप्रिया कहती हैं कि घर की स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने महज 12 वर्ष की उम्र में खुद दुकान सम्भालने का फैसला किया और सुबह के समय उन्होंने पिता की दुकान खोली। उसके बाद कैंची, रेजर ये सब उनके हथियार बन गए और वह दुकान पर आनेवाले लोगों के बाल काटने और दाढ़ी बनाने का काम करने लगी।
लोगों ने किया विरोध
हालांकि, बिन्दुप्रिया के लिए यह राह आसान नहीं थी क्योंकि सामाज में इस काम को पुरुष प्रधान समझा जाता है और इस बार इस काम को एक लड़की कर रही थी। वह जब भी दुकान में ग्राहकों के बाल काटती या दाढ़ी बनाती तो वहां आसपास के लोग और जाननेवाले उनका विरोध करने लगे। इतना ही नहीं दुकान पर आनेवाले लोग भी उनपर खराब प्रतिक्रिया देते थे। लोगों की इन बेकार और बेफिजूल की बातों को बिन्दुप्रिया ने अनसुना कर दिया और अपने काम में लगी रहीं।
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रोजना कितनी होती है कमाई?
बिन्दुप्रिया के पिता की तबीयत अभी भी सही नहीं है इसलिए दुकान को अकेले वही सम्भाल रही हैं। दुकान पर ग्राहकों के बाल काटकर और दाढ़ी बनाकर रोजाना उन्हें 200 से 300 रुपये की आमदनी होती है और उसी से उनके परिवार का गुजारा और पिता का इलाज होता है। उनकी मां पिछ्ले ही वर्ष इस दुनिया से हमेशा के लिए चली गईं। वहीं उनकी बड़ी बहन की शादी हो गई है और छोटी बहन मास्टर की पढ़ाई कर रही है।
पढ़-लिखकर IAS बनना चाहती हैं बिन्दुप्रिया
छुट्टी के दिनों में जैसे रविवार या किसी अन्य छुट्टी के दिनों में बिन्दुप्रिया (Bindupriya) सुबह 9 बजे से लेकर शाम के साढ़े 6 बजे तक दुकान खोलती हैं। सैलून का दुकान चलाकर अपने घर-परिवार का भरण-पोषण करनेवाली बिन्दुप्रिया पढ़-लिखकर IAS अधिकारी बनना चाहती हैं।
वाकई बिन्दुप्रिया लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं। The Logically उनकी हिम्मत को सलाम करता है और उनके सुनहरे भविष्य के लिए प्रार्थना करता है।