कहते हैं इंसान के अंदर यदि कुछ करने के लिए दृढ़ निश्चय, जुनून और लगन हो तो उसे सफलता की बुलंदियों को छुने से कोई नहीं रोक सकता है। वह व्यक्ति जीवन की तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए भी जीवन में कामयाबी हासिल कर ही लेते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी एक महिला की है जिसने सभी चुनौतियों को झेलते हुए महज 500 रुपये से बिजनेस शुरु किया था और आज करोड़ों का टर्नओवर हो रहा है।
कौन है वह महिला?
सफलता की यह कहानी है उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के बुलंदशहर एक छोटे-से इलाके से सम्बंध रखनेवाली कृष्णा यादव (Krishna Yadav) की, जो अपनी 4 कम्पनियों की मालिक है जिसका टर्नओवर करोड़ों में होता है। एक छोटे शहर से होने के बावजूद भी उन्होंने कामयाबी हासिल करके दूसरों के लिए मिसाल पेश कर दिया है।
शादी के बाद कृष्णा के जीवन में सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन पति की तबीयत बिगड़ने की वजह से घर-परिवार की जिम्मेदारी कृष्णा के कंधों पर आ गई। आमदनी नहीं होने की वजह से स्थिति इतनी खराब हो गई थी उन्हें अपना घर बेचने की भी नौबत आन पड़ी। इतना ही नहीं छोटे-छोटे तीन बच्चे और लगातार बिगड़ता पति का स्वास्थ्य और कर्ज जैसी सभी समस्याएं आने लगी।
उधार लेकर शुरु किया सफर
जीवन में आई इन सभी समस्याओं से कृष्णा घबराई नहीं और हिम्मत से काम लेते हुए काम के सिलसिले में दिल्ली आने का फैसला किया। उनके पास आर्थिक तंगी इस कदर व्याप्त थी कि उन्हें दिल्ली (Delhi) आने के लिए 500 रुपये का कर्ज लेना पड़ा और इसी कर्ज के सहारे वे दिल्ली चली गईं लेकिन राह इतनी सरल नहीं थी। दिल्ली में भी कई बार उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
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3 हजार रुपए की लागत से शुरु किया आचार का बिजनेस
चूंकि, कृष्णा और उनके पति किसान परिवार से सम्बंध रखते हैं ऐसे में उन्होंने जीवनयापन के लिए सब्जियां बेचनी शुरु की। इसके लिए उन्होंने किराए पर जमीन लेकर सब्जियां उगानी शुरु की और उसी सब्जियों में बाजार में बेचने लगे। इस तरह उन्हें जीवनयापन के लिए थोड़ी-बहुत कमाई होने लगी। उसके बाद उन्होंने साल 2001 में कृषि विज्ञान केंद्र से 3 महीने का खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लिया।
फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने आचार बनाने 2 अलग-अलग तरीके को सीखा। उसके बाद कृष्णा यादव (Krishna Yadav) ने आचार बनाकर बेचने का फैसला किया और 3 हजार रुपये की लागत से आचार बनाया जिसकी बिक्री करने के बाद उन्हें 5200 रुपये की आमदनी हुई। हालांकि, इतनी रकम कुछ अधिक नहीं है लेकिन जिस आर्थिक दौर से कृष्णा गुजर रहीं थीं उनके लिए यह एक अच्छी आमदनी थी।
घर-घर जाकर शुरु किया आचार बेचना
एक बार कमाई होने पर कृष्णा को यह एहसास हो गया था कि बाजार में आचार की काफी मांग है। ऐसे में यदि आचार का व्यवसाय (Pickles Business) शुरु किया जाए तो बेहतर आमदनी कमाई जा सकती है। इसी सोच के साथ उन्होंने आचार बनाना शुरु किया लेकिन अब था उसकी मार्केटिंग का जिसके लिए उनके पति ने घर-घर जाकर आचार बेचना शुरु किया। हालांकि यह काम थोड़ा कठिन था क्योंकि खुला आचार खरीदने से लोग हिचकते थे लेकिन अच्छी क्वालिटी होने के कारण लोगों का भरोसा बढ़ता गया और उनके आचार की बिक्री होने लगी।
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स्थापित की खुद की कम्पनी
कृष्णा के लिए यह सब करना काफी कठिन था क्योंकि आचार बनाने के लिए मसाले पीसना और फिर आचार डालने तक का सभी काम खुद से ही करती थीं। धीरे-धीरे ही सही लेकीन उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें आचार के ऑर्डर्स मिलने लगे। इस प्रकार उन्होंने कुछ समय बाद अपनी खुद की कम्पनी स्थापित की जिसका नाम “श्री कृष्णा पिकल्स” (Shri Krishna Pickles) है। कृष्णा और उनके पति ने साथ मिलकर इस कम्प्नी को खड़ा और आचार समेत अन्य चीजें भी बेचने लगे। वर्तमान में चार कंपनियों के मालिक हैं और चार करोड़ से अधिक का टर्नओवर हो रहा है।
कई अवार्ड्स से हो चुकी हैं सम्मानित
कृष्णा (Krishna Yadav) ने अपनी चारों कम्पनियों में कई लोगों को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है। इतना ही नहीं उन्हें अपने काम के कई सारे अवार्ड्स भी मिल चुके हैं। उन्हें सितंबर 2013 में गुजरात में हुए वाइब्रंट सम्मेलन में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किसान सम्मान के तौर पर 51 हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया था। इसी तरह उन्हें नारी शक्ति सम्मान, चैम्पियन किसान महिला अवार्ड जैसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
कृष्णा यादव (Krishna Yadav) ने सफलता हासिल करके उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा की मिसाल पेश की है जो जो जिंदगी की कठिनाइयों से डरकर हार मान जाती है। ऐसे में कृष्णा की कहानी से उन्हें सीख लेनी चाहिए कि कितनी भी समस्याएं क्यों न हो यदि आप ठान लें तो सबकुछ सम्भव है। Inspiring Story of Krishna Yadav.