Wednesday, December 13, 2023

बेटे की पढ़ाई के लिए पिता ने गिरवी रख दी जमीन, बेटा UPSC में सफलता हासिल बन गया IAS अधिकारी

रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी कविता ‘वीर’ की एक बहुत खुबसूरत पंक्ति है, “मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है।”

कई बार परिस्थितयां अपने अनुकूल नहीं होने के कारण मनुष्य अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने से पीछे हट जाता है। लेकिन यदि कोई भी व्यक्ति चाहे तो लाख विपत्तियों का सामना करते हुए भी जीवन में कामयाबी को हासिल कर सकता है, क्योंकि सफलता कभी भी सरलता से प्राप्त नहीं होती है। उसे हासिल करने के लिए पूरे तन, मन से कठिन परिश्रम करनी पड़ती है। कुछ ऐसी ही कहानी है माधव गिट्टे (IAS Madhav Gitte) की, जिन्होंने बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति और अनेकों चुनौतियों का सामना करते हुए आखिकार IAS बनकर ही दम लिया।

कम उम्र में ही मां चल बसीं

उनका जन्म महाराष्ट्र (Maharashtra) नादेड़ जिले में हुआ था और वे 5 भाई-बहन हैं। उनके पिता खेतों में काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि परिवार का जीवनयापन करना कितना कठिन काम है। अभी जिंदगी जैसे-जैसे चल ही रही थी कि उनकी मां को कैंसर जैसी घातक बीमारी ने घेर लिया और वे हमेशा के लिए अलविदा कह गईं। उस समय माधव महज 10 वीं कक्षा के छात्र थे।

इस दुनिया में बच्चे को सबसे अधिक प्यार उसकी मां ही करती हैं शायद इसलिए कह जाता है मां से बढ़कर इस दुनिया मे कुछ भी नहीं है। मां को खोने का दर्द वहीं समझ सकता है जिसकी मां नहीं है। माधव को उनकी मां की मौत ने अंदर तक झकझोर दिया था लेकिन फिर भी उन्होंने अपने आप को जैसे-जैसे संभाला। माधव शुरु से ही पढ़ने में काफी तेज थे इसलिए दिक्कतें आने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी।

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नहीं थे फीस के पैसे तो करने लगे खेतों में काम

माधव की पढ़ाई में कई सारी बाधाएं खड़ी थीं। जब वे 11 वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने हेतु वे प्रतिदिन साइकिल चलाकर 11 किलोमीटर का सफर तय करते थे। आर्थिक तंगी में भी उन्होंने 11 वीं की शिक्षा हासिल कर ली लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। दयनीय स्थिति होने के वजह से वे अपनी पढ़ाई छोड़ खुद के साथ लोगों की खेतों में भी मजदूरी करने लगे। इससे उन्होंने 12वीं में नामांकन के लिए फीस जुटा लिए।

आर्थिक तंगी के कारण करनी पड़ी फैक्ट्री में नौकरी

माधव (IAS Madhav Gitte) ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई तो पूरी कर ली लेकिन उनके जीवन में आ रही मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही थी। वे चाहते थे कि ITI की पढ़ाई करके वे नौकरी करेंगे लेकिन उनकी बदकिस्मती थी कि किसी भी सरकारी ITI में उन्हें दाखिला नहीं मिला। इसके विपरीत परिवार की जिम्मेदारी भी उनके ऊपर आ गई जिसे पूरा करने के लिए वे पुणे स्थित एक कारखाने में 2,400 रुपये मासिक तन्ख्वाह पर नौकरी करने लगे। हालांकि, कुछ समय बाद वे वापस अपने घर लौट कर फिर से खेतों में काम करना शुरु कर दिए। इसी तरह मेहनत करके उन्होंने जुटाए पैसों से पॉलिटेक्नीक में दाखिला लिया और अच्छे मार्क्स से सफलता हासिल की।

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पिता ने जमीन गिरवी रख कर पढ़ाया

पॉलिटेक्नीक करने के बाद अब उन्हें कई सारी नौकरियां मिल रही थी लेकिन इस बार उन्होंने आगे पढ़ने का फैसला किया। आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद भी उनके पिता ने जैसे-जैसे पैसों की जुगाड़ की और उनका इन्जीनिरिंग में दाखिला करा दिया। नामांकन तो हो गया लेकिन फिर अगली फीस के पैसे नहीं थे, ऐसे में उनके पिता ने अपनी जमीन गिरवी रख दिया और 1 लाख रुपये जुटाए।

पहले ही प्रयास में ही पास की UPSC की परीक्षा

इन्जीनिरिंग करने के बाद उन्हें सॉफ़्टवेयर इन्जीनियर नौकरी मिल गई जहां वे 3 सालों तक काम किए। उसके बाद उन्होंने साल 2017 में UPSC की परीक्षा देने का मन बनाया और इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया ताकि वे इसकी तैयारी अच्छे से कर सकें। UPSC में सफलता हासिल करने के लिए उन्होंने कठिन मेहनत शुरु कर दी।

आखिरकार साल 2018 में पहले ही अटेमप्ट में उन्होंने ऑल इंडिया 567 वां रैंक हासिल किया। हालांकि, उनका सफर यहीं नहीं रुका। उन्होंने फिर से इस परीक्षा को दिया और इस बार उन्होंने 201 वां रैंक हासिल करके IAS ऑफिसर के लिए चयनित हो गए। Inspiring Story Of IAS Madhav Gitte Of Maharastra.

माधव गिट्टे (IAS Madhav Gitte) ने जीवन में तमाम मुश्किलें आने के बाद भी हार नहीं मानी और सफलता के शिखर तक पहुंच गएं। The Logically उनकी सफलता के लिए ढेर सारी बधाई देता है।