एक छोटा बच्चा जो घर और स्कूल के रास्ते में एक पेंटर को होर्डिंग्स बनाते देख रुक जाता था. पेंटर द्वारा उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग रंग उसे बहुत भाते थें. उस पेंटर से प्रेरणा लेकर वह भी घर आकर होर्डिंग्स की आकृति सादे पन्ने पर उकेरने की कोशिश करने लगा.
दिन प्रतिदिन बच्चे की चित्रकारी निखरते गई. कला के प्रति आकर्षण ने उम्र के हर पड़ाव पर उसके रचनात्मकता को मजबूती दी. फिर एक समय ऐसा भी आया जब उसने चित्रकारी में महारत हासिल कर ली और अंतरराष्ट्रीय कलाकार मेहदी शॉ (Mehdi Shaw) के नाम से अपनी पहचान बनाई.
चित्रकारी के साथ साथ और भी बहुत कुछ करते हैं मेहदी शॉ
मेहदी शॉ बिहार (Bihar) के छपरा (Chhapra) से ताल्लुक रखते हैं. वह सिर्फ एक चित्रकार हीं नहीं बल्कि बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति हैं. वह मूर्तिकार, फोटोग्राफर, फिल्म मेकर और स्क्रीन प्ले राइटर भी हैं. इतना हीं नहीं फिल्मों में स्क्रिप्ट राइटिंग और डायरेक्शन का भी काम करते हैं. मॉरिशस और यूनाइटेड किंगडम के आर्ट एग्जिबिशन में भी उनकी बनाई पेंटिंग तारीफ़ बटोर चुकी है. अपनी इन अलग-अलग क्षमताओं के बारे में मेहदी शॉ कहते हैं, “जीवन में कुछ भी पर्याप्त (enough) नहीं है. हमें हर वक्त कुछ न कुछ नया सीखते रहना चाहिए. जीवन समुद्र की तरह है, जहां हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम दूर तक सफ़र कर कई तरह के सीप शंख इकठ्ठे कर सकें.”
बचपन से चित्रकारी और फिल्म में है रुचि
The Logically से बात करते हुए मेहदी शॉ ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “मैं बचपन में कोलकाता (Kolkata) में रहता था. वहीं लगभग 10 साल की उम्र में एक पेंटर को देखकर मैंने चित्रकारी की शुरुआत की थी. मैंने किसी गुरु से शिक्षा नहीं ली है पर उस पेंटर को गुरु की संज्ञा ज़रूर दे सकता हूं. चित्रकारी के साथ साथ मुझे बचपन से हीं फिल्म कैसे चलती है, इसमें भी रुचि थी. मैं हर वक्त प्रोजेक्टर बनाने की कोशिश करता रहता.
फिर मैं छपरा आ गया और वहीं जिला स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की. साथ हीं चित्रकारी का अभ्यास भी जारी रखा लेकिन पिताजी को मेरा पेंटिंग करना पसंद नहीं आता था. वह अक्सर कहते, “सड़क पर जो पेंटिंग करतें, वही करोगे.” आज भी देश के कई हिस्सों में लोग कला और कलाकार को नहीं समझ पाते, तब तो और भी कोई नहीं जानता था.
कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद पटना की एक पब्लिकेशन में मेहदी शॉ ने कमर्शियल आर्टिस्ट के रूप में अपना करियर शुरू किया. वहां उन्होंने बहुत सारी किताबों के इलस्ट्रेशन एवं बुक कवर डिजाइन किए हैं जिनमें राष्ट्रकवि दिनकर जी की तीन किताब (हुंकार, परशुराम की प्रतीक्षा और नीलकमल) का कवर भी शामिल है.
सात साल पटना में काम करने के बाद मैं दिल्ली गया. दिल्ली की एक ऐड एजेंसी में आर्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया. बिहार के एक छोटे से शहर से निकलकर दिल्ली में आर्ट डायरेक्शन का काम मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी जीत थी. फिर मुंबई और उसके बाद वापस अपने शहर छपरा.”
छपरा: मेहदी शॉ की नज़र से
कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और छपरा तक का उनका यह साइकिल अब भी चलता रहता है. काम के सिलसिले में आज यहां तो कल वहां. छपरा के बारे में मेहदी शॉ कहते हैं, “यह मेरी अपनी जगह है, यहां अपने लोग हैं, यहां मुझे बहुत सुकून मिलता है, बस दुःख इस बात का है कि यहां आर्ट के क्षेत्र में लोगों का कमर्शियल व्यू कमज़ोर है.”
ट्रेनिंग सेंटर के रूप में लगा पौधा आज पेड़ बन गया है
तब छपरा आकर मेहदी शॉ ने आर्ट के फील्ड में बच्चों को ट्रेनिंग देना शुरू किया. उनके विद्यार्थियों ने उन्हें गुरुजी की उपाधि दी. कुछ नाम लेते हुए कहते हैं कि अशोक कुमार, रवि, नीरज, मोनू, नेहा नूपुर, अंकिता नूपुर, प्रीति गुप्ता, साक्षी वर्मा, प्रीति श्रीवास्तव ये सभी आज अपने अपने फील्ड में बेहतर काम कर रहें हैं. आगे वह कहते हैं, मैंने ट्रेनिंग सेंटर के रूप में एक पौधा लगाया था जो आज पेड़ बन गया है और ये सभी उसके मीठे-मीठे फल हैं.
पेंटिंग प्रदर्शनी (Painting Exhibition of Mehdi Shaw)
2019- A National level Art Exhibition, Arpana Art Gallery, New Delhi, 2017- A Group Exhibition, Rang-E-Aabsaar India habitat centre, New Delhi, 2014- A Group Exhibition, Colors in Bombay. The art entrance Gallery, Mumbai, 2013- A Group Exhibition, Birla academy of art and culture Kolkata, 2013- Be-Bop Art Exhibition, The art Gallery, Bootle, L20 2AA, U.K, 2013- Solo Paintings Exhibition, Artic vision Gallery, Malad West, Mumbai Discovery 2013 A Group Exhibition Lalit kala academy, New Delhi, 2012- Uttarakhand First Fine Art Group Exhibition, Almora, 2012-Samanvay International Group Show, Port Louis, Mauritius, 2012-A Group show, Art Life Gallery, Noida 2012-Artistic Creation A Group Exhibition Triveni kala sangam, New Delhi, 2012-Solo Paintings Exhibition Rangayan Art Gallery,Bhopal, 2010 Paintings Exhibition, Lokayata Art Gallery, New Delhi, 2010 Kala Care Group Show “Balti Blast Lokayata Art Gallery, New Delhi, 2009-Solo Painting Exhibition, Abhyashrya Gallery, Patna 2008-A Group Exhibition of Painting,Qeritica, Gallery, Varanasi, 2008-Devi Cultural Foundation Group Show. Chapra, Bihar
मेहदी शॉ बताते हैं, “पेंटिंग एग्जिबिशन जैसी कोई चीज होती है, पहले पता हीं नहीं था. पेंटिंग बनाता था पर इसका उपयोग नहीं जानता था. 2008 में वाराणसी में हुए अपने पेंटिंग प्रदर्शनी के बारे में मेहदी शॉ बताते हैं, “वहां मेरी एक पेंटिंग 10,000 में बिक रही थी पर मैंने नहीं बेची. वह पेंटिंग आज भी मेरे पास मौजूद है. मेरा मानना है कि हमें अपनी पेंटिंग्स वहां बेचनी चाहिए जहां लोग तहज़ीब से रख सकें न कि वहां जहां लोग संभाल भी न सकें.
एम एफ हुसैन और सत्यजीत रे को मानते हैं अपनी प्रेरणा
चित्रकारी में एम एफ हुसैन को और फिल्म मेकिंग में सत्यजीत रे को अपनी प्रेरणा मानने वाले मेहदी शॉ कहते हैं, “ख़ुद पर यकीन और सोच में ऊंचाई होनी चाहिए.” फिर हंसते हुए कहते हैं, “आख़िर सोचने में पैसे थोड़े हीं लगते हैं. हां, लेकिन कभी ख़ुद पर घमंड नहीं होना चाहिए. घमंड और यकीन में फर्क होता है. यकीन में हम एफर्ट लगाते हैं बल्कि घमंड में नहीं.”
मॉरिशस में मेहदी शॉ की पेंटिंग ‘सन एंड सीजर’
मेहदी शॉ की दो पेंटिंग्स ‘सन एंड सीजर’ और ‘लव बर्ड’ क्रमशः मॉरिशस और यूनाइटेड किंगडम के पेंटिंग प्रदर्शनी का हिस्सा रह चुकी है. 2012 में मॉरीशस के पोर्ट लुइस में समन्वय इंटरनेशनल ग्रुप शो की ओर से आयोजित प्रदर्शनी में उनकी पेंटिंग सन एंड सीजर प्रदर्शित हुई थी।
यूनाइटेड किंगडम में मेहदी शॉ की पेंटिंग ‘लव बर्ड’
2013 में यूनाइटेड किंगडम (यूके) के लीवरपुल शहर में ‘एलिस द आर्ट गैलरी’ की ओर से पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था. आयोजनकर्ता ने ईमेल के जरिए उनकी पेंटिंग ‘लव बर्ड’ के चयनित होने की जानकारी दी और उन्हें आमंत्रित किया. हालांकि, आर्थिक कारणों से मेहदी शॉ वहां नहीं जा सकें पर अपनी चयनित पेंटिंग के बारे में बताते हैं कि प्रेम बहुत ही खूबसूरत और सुखद एहसास का नाम है। यही वजह है कि मोनालिसा और द-विंची की उन्होंने पूरी सीरीज बना डाली जिसमें से एक ‘लव बर्ड’ है.
चित्रकला व खूबसूरत पेंटिंग में रुचि रखने वाले मेहदी शॉ कहते हैं कि आर्ट के फील्ड में अपनी जगह यूं हीं एक दिन में नहीं बनती. इसके लिए कभी दौड़ना तो कभी रेंगना होता है. The Logically ऐसे कलाकार को उनकी कामयाबी के लिए बधाई देता है.