यह सच है.. कुछ बड़ा पाने के लिए कई छोटी-छोटी चीजों को खोना पड़ता है। पर हमें क्या खोना है और क्या पाना है.. ये हम तय करते हैं। हो सकता है.. जो मेरा बहुत बड़ा ख़्वाब हो और जिसे पाने की कोशिश मैंने ताउम्र की हो.. उसे किसी ने बहुत छोटी सी बात समझ कर छोड़ दिया हो और किसी दूसरे ख़्वाब के पीछे भाग रहा हो। आज के समय में युवा पीढी भी पढ़ाई के बाद भी नौकरी के लिए यूं ही भटकते नज़र आते हैं। वहीं कुछ ऐसे युवा भी हैं जो नौकरी पाने के बाद अपना निर्णय बदल देते हैं और अपने अधूरे सपने को पूरा करने में लग जाते हैं। कोई समाज में हो रहे अत्याचार के खिलाफ जंग लड़ना चाहता है तो किसी में देशभक्ति की भावना रहती है। आज की हमारी कहानी एक ऐसी लड़की की है जो अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़ समाज की बेहतरी के लिए अपने देश लौट आई और आज लोगों की सेवा कर रही है।
लखनऊ की रहने वाली निहारिका भट्ट अमेरिका में ऐश-ओ-आराम की नौकरी छोड़ अपने वतन लौटकर IPS ऑफिसर बन देश की सेवा कर रही हैं। निहारिका अपनी स्कूलिंग के बाद लखनऊ के इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग से बी.टेक कर सफलता प्राप्त की और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गई। वहां जा कर अमेरिका के मिशिगन यूनिवर्सिटी से वह एम. टेक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह यूएस के वाशिंगटन डीसी में डिपार्टमेंट ऑफ़ फ़ूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन में रिसर्चर के तौर पर नौकरी ज्वाइन कर लगभग 18 महीनों तक वहां सेवाएं दी।
यह भी पढ़े :-
गांव के हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ने के बाद भी अपनी मेहनत और लगन से IAS बनीं सुरभि : प्रेरणा
निहारिका को अमेरिका में नौकरी करना पसंद नहीं था क्योंकि वह अपने देश के लिए कुछ करना चाहती थी। ऐश-ओ-आराम की नौकरी और अच्छी सैलरी मिलने के बावजूद भी उनका मन वहां रहने को राजी नहीं था। उनके मन में स्वदेश प्रेम की ऐसी भावना थी जो उन्हें अपने देश लौटने पर विवश कर दिया। अंततः वह भारत लौट आईं। 2014 में भारत आकर निहारिका UPSC की तयारी में लग गईं। इन सबमें उनके पिता ने पूरा साथ दिया जो एक डॉक्टर है।
निहारिका अपने देश वापस आकर पूरी लगन के साथ पढ़ाई करने लगी। वह 15-16 घंटों तक पढ़ाई करती। कुछ समय तक घर पर पढ़ाई करने के पश्चात वह दिल्ली चली गईं लेकिन वहां जाकर उन्होंने कोई कोचिंग या क्लास नहीं लिया.. केवल कुछ मार्क्स टेस्ट में शामिल हुई। उनके पढ़ाई में सबसे ज्यादा सहारा इंटरनेट से मिलता था। उन दिनों निहारिका ने खुद को बाहरी दुनिया से बिल्कुल ही अलग रखा और पूरा फोकस पढ़ाई पर ही किया।
निहारिका के अनुसार जब वह अमेरिका में नौकरी कर रही थी तो उन्हें अलग-अलग देश में जाने और ज़्यादा लोगों से मिलने का मौक़ा मिलता था। सरकारी मशीनरी के कामों के बारे में भी वहां उन्हें ज़्यादा जानकारी हासिल हुई। आगे उन्हें एहसास हुआ कि वह जो काम कर रही है उससे दूसरे देश को लाभ हो रहा है अपने देश को नहीं। तब वह अपने देश के लिए कुछ करने का सोचने लगीं और अपने वतन लौट पूरी निष्ठा से UPSC की तैयारी में लग गईं। पहले प्रयास में ही निहारिका ने 146 वां रैंक भी प्राप्त किया और IPS ऑफिसर बन गई। वह देश सेवा के लिए इसे एक बेहतर विकल्प चुनी।
विदेशों में नौकरी करना ज़्यादातर युवाओं का सपना होता है। उनमें से ही एक थीं निहारिका। लेकिन निहारिका ने अपने इस सपने को देश के आगे बहुत छोटा पाया और विदेश में नौकरी को अलविदा कह अपने देश की ओर अग्रसर हुई जो आज के युवा पीढ़ी के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। Logically IPS निहारिका भट्ट के देशभक्ति को नमन करता है।