हमारे यहाँ एक कहावत है कि, अगर हौसले बुलंद हो तो कामयाबी जरूर मिलेगी। जी हाँ, आज हम बात करेंगे, इसी कहावत को चरितार्थ करने वाले प्रताप (Pratap) नामक एक शख्स की, जिन्होने अपने पिता के साथ खेत में काम किया तथा हल भी चलाया। साथ ही साथ पढ़ाई भी की और आज के समय में वे IPS आॅफीसर हैं।
उस कामयाब शख्स का परिचय
आईपीएस प्रताप आर दिघवाकर ( IPS Pratap R Dighvakar) का जन्म महाराष्ट्र (Maharastra) के नासिक के पास लितानिया नामक गांव में हुआ। प्रताप के गांव में एक ही स्कूल था।उनहोंने अपने गांव के ही स्कूल से प्रारम्भिक पढ़ाई पूरी की थी। उनके पिता किसान थे इसलिए घर की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी लेकिन प्रताप में अच्छी पढ़ाई कर कुछ करने का जुनून था। उनका कहना है कि, एक दिन उन्होंने आसमान में एक हवाई जहाज देखा। जहाज देखने के बाद उन्होंने अपनी मां से पूछा, ‘मां ये जहाज किसके होते हैं?’ मां ने बताया कि ये सरकार के होते हैं और तभी से उन्होंने ठान लिया कि उन्हें इस सरकारी सिस्टम का हिस्सा होना है। उन्होंने दिन रात पढ़ाई शुरु कर दी। वो सीनियर सेकेंडरी बोर्ड एग्जाम में पहले नंबर पर आए। गांव के आस-पास कोई कॉलेज नहीं था। गांव से 23 किलोमीटर दूर एक कॉलेज था, उन्होंने वहीं एडमिशन ले लिया। उन्होंने बताया कि कॉलेज 23 किलोमीटर दूर होने के बाद भी एक भी दिन कॉलेज मिस नहीं हुआ। परीक्षा में उनके 86% अंक आए लेकिन एक नंबर की वजह से उनका कॉलेज में एडमिशन नहीं हो पाया।
पिता के साथ खेतों में करते थे काम
1 नम्बर से एडमिशन नहीं होने पर प्रताप की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव सा आ गया। उनके पिता ने उनसे कहा कि पढ़ाई छोड़ दो और साथ में खेती में हाथ बटाओ लेकिन प्रताप को अपनी मंजिल का अंदाजा था। उन्होंने ठान रखा था कि जिंदगी में कुछ करना है तो करना है। वो पिता के साथ खेत में काम करने लगे। फिर एक दिन अपनी मां से 350 रुपये लेकर डिस्टेंस कोर्स में एडमिशन ले लिया। प्रताप दिन में पिता जी के साथ खेतों में काम करते थे और रात में पढ़ाई करते थे। इसी तरह उन्होंने अपनी डिग्री की पढ़ाई पूरी की।18 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी कर ली। उसी साल ‘सीडीएस’ और पुलिस सर्विस दोनों ही परीक्षाएं भी पास कर ली। यह वह समय था जब उनके जिंदगी के अच्छे दिन की शुरुआत होना शुरू हो गए। उनहोंने 1987 में मात्र 22 साल की उम्र में असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर की पोस्ट के लिए चुन लिए गए। प्रताप का कहना है कि ये उनकी जिंदगी का सबसे खुशी वाला दिन था।
IPS बनकर किए अपना सपना साकार
असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर की पोस्ट के लिए चुन लिए जाने के बाद भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और नौकरी में रहते हुए भी लगातार पढ़ाई की। वर्ष 2000 में प्रताप आईपीएस के लिए चुन लिए गए। एक किसान अब देश के सबसे सम्मानित पदों में से एक के लिए चुन लिया गया था। इसके बाद भी प्रताप यहीं नहीं रुके। उन्होंने गांव के बच्चों के लिए गांव में स्कूल खोला। तकरीबन 10000 कांस्टेबल के लिए हाउसिंग सोसाइटी बनवाई और इसके बाद उन्हें यूनाइटेड नेशन में भी बोलने के लिए बुलाया गया। प्रताप को वनश्री और इंदिरा प्रियदर्शिनी अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। प्रताप की मेहनत और लगन से उन्हें आपार सफलता मिली। आज के समय में वे सभी के प्रेरणा बने हुए हैं।