21वीं सदी में आज भी अनेक लोग गांव की बहू और बेटियों को गंवार समझते हैं। उन्हें लगता है कि गांव की बहु-बेटियां सिर्फ चूल्हा-चौकी करने के लिये ही बनी है। आज भी समाज में ऐसे लोग हैं जो लडकियों के अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के खिलाफ रहते हैं। अभी भी लडकियों को तरह-तरह के ताने सुनने पड़ते है तथा कई प्रकार के बन्दिशो में भी रखा जाता है। परंतु इन सभी बाधाओं को पार कर लड़कियां, महिलाएं अपने लक्ष्य को प्राप्त कर रही हैं, तथा यह साबित कर रही हैं कि वे गंवार या सिर्फ चूल्हा-चौका के लिये नहीं बनी है। वह अन्य क्षेत्रों में भी अपनी योग्यता से सफलता हासिल कर सकती हैं।
आज हम आपकों ऐसी ही एक महिला IPS के बारें में बताने जा रहें हैं जिन्होंने उपर्युक्त सभी बेबुनियादी विचारधारा को बदल दी। एक ऐसी आईपीएस महिला जिसने बचपन से खेती-बाड़ी का कार्य करने से लेकर शादी के लिये ताने सुनने के बाद भी IPS बनकर अन्य दूसरे लड़कियों के लिये एक मिसाल पेश की है।
आइये जानतें है उस IPS महिला के बारें में।
आईपीएस सरोज (Saroj) राजस्थान (Rajasthan) के झुंझनू जिले के बुधानिया गांव की रहनेवाली हैं। वह जब 3 वर्ष की थी तब उनके पिता सेना से रिटायर हो गये। घर परिवार चलाने के लिये वह खेती मजदूरी करने लगे। पिता की काम में सरोज और उनके भाई ने सहयता करने लगे। सरोज ने बताया कि उनके परिवार पर उस वक़्त शादी का दबाव बनाया जा रहा था, लेकिन उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। वह बताती है कि उनकी मां को विश्वास था कि सरोज एक दिन अवश्य अधिकारी बनेगी। सरोज अपनी स्नातक की पढाई करने के लिये जयपुर गईं। वहां पोस्ट ग्रेजुएशन, उसके बाद उन्होंने चुरू के सरकारी कॉलेज से एमफिल किया।
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सरोज हमेशा किरण बेदी (Kiran Bedi) की कहानी से प्रभावित रही है। किरण बेदी की कहानी पढ़ने के बाद सरोज को भी महसूस हुआ कि वह भी उनके जैसा बन सकती हैं। लेकिन खेतों में काम करना और गाय-भैस का दूध दुहना जैसे कार्य करने वाली लड़की के लिये इतने बड़े पद पर जाना आसान नहीं था। लेकिन सरोज ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने किरण बेदी की कहानी से प्रेरित होकर संकल्प लिया कि उन्हें भी किरन बेदी के जैसा बनना है। वह आगे बढ़ने के लिये पूरी कोशिश की।
एक बार की बात है, जब सरोज अपने खेतों में कार्य कर रही थी तब हवा के तेज झोके के साथ एक अखबार की कटिंग उनके हाथ में आई जिसपर किरण बेदी की कहानी लिखी हुईं थी। सरोज ने अखबार के उस कटिंग को अपने भाई से दिखाया तो उनके भाई ने कहा कि तुम भी उनके जैसी एक महिला पुलिस अधिकारी बन सकती हो। उसके बाद सरोज ने दृढ़ निश्चय किया कि वे पुलिस अधिकारी बनकर ही चैन की सांस लेंगी। उसके बाद सरोज ने वर्ष 2010 में UPSC की परीक्षा में बैठी और आखिरकार उनका सपना सच हो गया। उनकी मेहनत रंग लाई, वह यूपीएससी की परीक्षा में सफल रही।
वह साल 2011 के गुजरात कैडर के अधिकारी है। उन्होंने बताया कि मैं जिस गांव और समाज से आई हूं , वहां IPS बनना बेहद कठिन था। उनके पिता आर्मी में थे, लेकिन 1987 वे रिटायर्ड हो गये। उस वक्त पिता की 700 रुपये की पेंशन और खेती से होने वाली आमदनी से चार भाई-बहन का गुजारा होता था। ऐसे में शिक्षा का खर्च निकलना भी बहुत मुश्किल था। लेकिन मां और पिता के द्वारा हमेशा मनोबल को बढ़ाना और प्रेरित करने के वजह से IPS बनने का सपना साकार हुआ है। सरोज जब अपने गांव लौटी तो शादी का ताना मारने वाले लोगों का भी सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
सरोज बोटाड में पोस्टिंग के समय सेक्स वर्कर्स के लिये काफी अधिक कार्य किया, जिससे उनकी बेहद प्रसंशा भी हुईं। सरोज ने वर्ष 2014 में गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड की आगवानी भी किया हैं। इसके अलावा सरोज एवरेस्ट पर चढाई करने वाली टीम की हिस्सा भी रह चुकी है।
Every drop counts!!!
Meet Ms. Saroj Kumari, an IPS officer in Vadodara, who along with a 12-member army of ‘Samajh Sparsh Ki’ is on a mission to arm children to fight against sexual harassment. https://t.co/Q4Lp8UERMH
— Maneka Sanjay Gandhi (@Manekagandhibjp) August 30, 2018
Ms.Saroj Kumari (IPS) presented a book to @Manekagandhibjp.
As SP -Botad, she had rehabilitated 35 women.
Ms.Saroj rescued them from sex trade.The stories of these women, elaborated in book are really a training course for officials who undertake rehabilitation services. pic.twitter.com/XiaRyGbzZa— Ranjan Bhatt (MP) (@mpvadodara) April 14, 2018
In this time of corona pandemic things seem Difficult but not impossible. Story of one of our DCP saroj kumari on Mother’s day@CMOGuj @PradipsinhGuj @GujaratPolice @ANI @InfoGujarat @dgpgujarat @Shamsher_IPShttps://t.co/joKsWtQhox
— Vadodara City Police (@Vadcitypolice) May 10, 2020
सरोज बताती है कि गांव वालों से मिलने वाला सम्मान से बहुत खुशी वाली हैं क्यूंकि बेटियों बारे में उनकी सोच अब बदल गईं है। उन्होंने बताया कि उनके गांव में लोग अब बेटियों को भी शिक्षा ग्रहण करने के लिये भेज रहे हैं। इसके साथ ही अब वे लड़कियो को नौकरी करने की अनुमति भी देने लगे हैं।
सरोज कहती है कि अतीत की बीती बातों को याद कर आज भी आंखे नम हो जाती है। IPS सरोज उन सभी के लिये एक मिसाल है जो चुनौतियों के सामने अपने घुटने टेक देते हैं।
The Logically सरोज को उनके मेहनत और लगन को सलाम करता है तथा उनकी सफलता के लिये बहुत बहुत बधाई भी देता है।