न्याय सभी को मिलना चाहिए, इसके लिये देश की सरकार ने तरह-तरह के कानून बनाये है। न्याय की मांग के लिये ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायत है। न्याय के लिये हम पुलिस स्टेशन में अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है। लेकिन यदि देखा जाये तो लोगों को कई बार पुलिस स्टेशन के चक्कर काटने पड़ जाते हैं। वहां घंटो इंतजार करवाया जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो जल्दी इन्साफ नहीं मिलता है।
बच्चों के सर से पिता का साया छिन जाने का दुख सबसे अच्छी तरह से वहीं समझ सकता है जिसके सर पर पिता का हाथ न हो। आज आपको ऐसे बच्चे की कहानी बताने जा रहे है जिसके पिता की जान ले ली गईं थी। उसके बावजूद भी उस बच्चे को अपने पिता के लिये इन्साफ नहीं मिला। न्याय नहीं मिलने के कारण उसने पूरे सिस्टम को बदलने की ठान ली और सच्ची निष्ठा के दम पर IPS बना।
आइये जानतें है उस IPS की कहानी
यह कहानी सूरज कुमार राय (Suraj Kumar Rai) की है। सूरज कुमार राय उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के जौनपुर (Jaunpur) के रहने वाले हैं। वे बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी होशियार थे इसलिए उन्हें अपने परिवार का पूरा साथ मिला। सूरज को हमेशा से ही साइंस (Science) में काफी रुचि थी। 12वीं की शिक्षा भी उन्होंने विज्ञान विषय में ली। इंटर के बाद इलाहाबाद (Allahabad) के मोतीलाल नेहरु इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एडमिशन ले लिया। लेकिन कॉलेज में दाखिला लेने के 1 महीना बाद ही उनके पिताजी की जान ले ली गईं। यहा मामला पुलिस के पास गया। लेकिन इस घटना के 2 वर्ष बाद भी कोर्ट में पुलिस ज्यादा सबूत पेश नहीं कर पाई, जिसके कारण सूरज को अपने पिता के लिये इन्साफ नहीं मिला।
अपने पिता के केस में सूरज बताते है कि वह जब भी पुलिस स्टेशन जाते थे तो वहां उन्हें घंटो प्रतीक्षा करवाया जाता था। सिस्टम की इस मामले के छान-बीन में लापरवाही को देख कर सूरज कुमार ने निश्चय किया कि इस सिस्टम को सुधारने के लिये अधिकारी बनेगें। अपने द्वारा लिये गये निर्णय के लिये सूरज कुमार ने अपना भविष्य इंजीनियर में ना बनाकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद UPSC की तरफ ध्यान केंद्रित किया।
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सूरज कुमार ने बचपन में कभी भी आइपीएस बनने के बारें में विचार नहीं किया था। लेकिन कहते है न.. समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता है। यह हमेशा बदलते रहता है। आज कुछ तो कल कुछ और। किसके साथ कब क्या हो जाये ये कोई नहीं जानता। सूरज ने बताया कि वह जब अपने पिता के केस के सिलसिले में कोर्ट या थाने के चक्कर काट रहे थे, तब देखा की सरकार की कानून व्यवस्था बहुत धीरे और लाचार रूप से काम कर रही हैं। उनके जैसे हजारों लोगों को जो थाने और कोर्ट में मिलते उन्हें सिर्फ भरमाया जाता था। यह सब देख कर उन्होंने तय किया कि इस सिस्टम को सुधारना होगा और उसके लिये उन्हें सिविल सर्विस में आना पड़ेगा। तब से उनका सिर्फ एक ही लक्ष्य था UPSC.
गेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद UPSC की तैयारी करने के लिये दिल्ली (Delhi) चले गये। उसके बाद वह पूरे दिल-ओ-जान से इस परीक्षा की तैयारी में जुट गयें। सिविल सर्विसेज की परीक्षा में पहली बार में उन्होंने परीक्षा का शुरुआती चरण निकालने में असफल रहे। उसके बाद उन्होंने दूसरे प्रयास में परीक्षा का शुरुआती चरण प्री में सफल रहें लेकिन परीक्षा के दूसरे चरण मेन्स में फिर असफल रहें। 2 बार नाकामयाबी का सामना करने के बाद भी उनका मनोबल कम नहीं हुआ। वे अपने लक्ष्य के प्रति सजग रहे और उसके लिये कठिन परिश्रम करते रहे। मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। उनकी मेहनत रंग लाईं और उन्होंने आखिरकार UPSC की परीक्षा में सफलता के शिखर को छू ही लिया। सूरज कुमार ने यूपीएससी 2017 की परीक्षा में 117वां रैंक हासिल किया हैं। वर्तमान में वह एक IPS (Indian Police Service) है।
सूरज का कहना है कि वह इस जॉब में सेवा भाव से आये है, ताकी कुछ अलग और दूसरें की मदद कर सकें।
यूपीएससी के परीक्षा की तैयारी करने के बारें में उन्होंने बताया कि छात्र कितने देर पढ़ता है यह मायने नहीं रखता है, बल्कि कितना पढ़ने से कांसेप्ट क्लियर हो रहा है ये ज्यादा मायने रखता है। उसी के आधार पर पढ़ाई करनी चाहिए।
The Logically आइपीएस सूरज कुमार राय को सिस्टम में सुधार लाने के सेवा भाव को नमन करता है और उम्मीद करता है कि वह सच्ची भाव से देश की तथा जानता की सेवा करेंगे।