संस्कृत की पढ़ाई करने पर लोगों ने खूब मजाक उड़ाया, वही पढाई कर बने अफसर: IRS Aditya Kumar Jha

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संस्कृत ऐतिहासिकता की दृष्टि से संसार की सभी भाषाओं की जननी है। इस प्रकार से वेदों की संस्कृत संसार के सब मनुष्यों के सभी प्राचीन ऋषियों व पूर्वजों की मातृ भाषा थी और ईश्वर ही प्रथम पीढ़ी व बाद के सभी मनुष्यों को भाषा व वेदों का ज्ञान देने वाली माता सिद्ध होती है। संस्कृत को विश्व की अन्य भाषाओं की जननी माना जाता है । दुनिया भर में सिर्फ संस्कृत ही एक ऐसी भाषा है जो पूरी तरह सटीक ( accurate ) है । इसका कारण हैं इसकी सर्वाधिक शुद्धता । कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए भी संस्कृत को ही सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है, लेकिन फिर भी इसे कंप्यूटर के लिए प्रयोग नहीं किया जाता । इतना ही नहीं देश और दुनिया की तरक्की और सभ्याचार में संस्कृत भाषा का महत्व महत्वपूर्ण योगदान है। आज के समय में संस्कृत की हालत बहुत दयनीय है। अब हमारे यहाँ लोग संस्कृत को पढ़ने और बोलने वाले लोगों कि मजाक उड़ाते हैं। आज हम बात करेंगे एक शख्स की, जिसके संस्कृत बोलने और पढ़ने के चलते लोग गँवार कहते थे और आज वही लड़का UPSC एग्जाम देकर अफसर बन गया है।

‌ कौन है वह लड़का :-

‌बिहार (Bihar) के मधुबनी(Madhubani) जिले के एक गाँव लखनौर में जन्म लेने वाले आदित्य कुमार झा (IRAS Aditya Kumar Jha) की शुरू से ही संस्कृत में दिलचस्पी थी। उन्होंने अफसर बनकर ना केवल परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि छोटी मानसिकता के वे लोग जो संस्कृत पढ़ने की वज़ह से उन्हें ताने देते थे उसके लिए सबक भी बने।

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‌परिवार के सभी सदस्य संस्कृत से जुड़े हैं :-

‌आदित्य कुमार झा के पिताजी संस्कृत के प्रोफेसर हैं। घर में अब तक सभी संस्कृत के विद्वान शिक्षक ही हुए हैं। जाहिर-सी बात है कि उनके पिताजी के मन में उनके और भाइयों के लिए कुछ अलग बनने की आकांक्षा थी। उसके बाद उन्होंने आदित्य कुमार झा को कक्षा 6 में बड़े भाई के साथ इलाहाबाद भेज दिये। जब वे इलाहाबाद पहुँचे तो सिविल सेवा के प्रति बचपन से ही उनका आकर्षण बढ़ गया। इंटरमीडिएट करने के पश्चात उन्होंने भूगोल, संस्कृत एवं राजनीति विज्ञान विषयों से ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद उन्होंने MA की पढ़ाई दिल्ली में जाकर किया। आदित्य ने हिन्दी माध्यम से पढ़ाई की थी इसलिए कुछ लोग ने गंवार कहकर उन्हें ताना मारा करते थे, आदित्य ने अपनी काबिलियत से उस वक़्त लोगों का मुंह बंद कर दिया, जब उन्होंने वर्ष 2018 में यूपीएससी का एग्जाम (UPSC Exam) पास किया। उन्होंने इस परीक्षा में 339 रैंक प्राप्त की।

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‌IB में सहायक सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर के पद पर जॉइन नहीं की तो पिताजी हुए नाराज :-

‌ शुरूआती तैयारी करने के बाद आदित्य ने राज्य सिविल सेवा की ओर रुख किया। इसी बीच IB में सहायक सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर के रूप में पहली सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने यह निर्णय किया कि IB जॉइन नहीं करनी है। इस बात पर उनके पिताजी नाराज भी हो गए। सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम प्रयास वर्ष 2015 की मेन एग्जाम आदित्य ने पूरे उत्साह से दिया परन्तु उस समय उनको सफलता नही मिली थी।

‌दूसरे प्रयास में आदित्य ने वैकल्पिक विषय के रूप में संस्कृत को चुना और UPSC में सफलता पाई :- :-

‌आदित्य बताते हैं कि, उन्होंने वर्ष 2015 के मुख्य परीक्षा में फेल होने के बाद साल 2016 की परीक्षा दी। टेस्ट सीरीज, सामान्य अध्ययन भी औसत से बेहतर हो चली थी। मुख्य परीक्षा में संतोषजनक प्रदर्शन के उपरांत “एटा” जिले में जिला बचत अधिकारी के रूप में जॉइन कर लिया।‌ यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में सफल होने पर आदित्य के परिवार के लोग बहुत खुश थे। आदित्य ने वैकल्पिक विषय के रूप में संस्कृत को चुना और UPSC में सफलता पाई। उसी रात लगभग 9 बजे वो एक दुर्घटना का शिकार हो गए और पैर फ्रैक्चर हो गया। फिर अगले दो माह बिस्तर पर पड़े-पड़े इंटरव्यू की तैयारी की।

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‌ पैर में फ़्रैक्चर हो जाने पर भी आत्मविश्वास नहीं खोया :-

‌ इंटरव्यू के ठीक पहले पैर में फ़्रैक्चर हो जाने पर भी आदित्य कुमार झा ने आत्मविश्वास नहीं खोया और उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर इंटरव्यू देने की ठानी। यहां मॉक इंटरव्यू के लिए आदित्य की बड़ी बहन उन्हें व्हीलचेयर पर बैठाकर लेकर गईं। मुखर्जी नगर से राजेन्द्र नगर जगह-जगह घूमकर वो दोनों पहुंचे। आखिरकार सफलता मिली और दिल्ली एवं अंडमान-निकोबार सिविल सेवा’ में चयनित हो गए।

‌सभी परीक्षाओं में पास कर के बने हुए हैं समाज के लिए प्रेरणा :-

‌ Indian Railway Accounts Service (IRAS) के अंतिम परिणाम में जैसे ही आदित्य ने अपना नाम 503वें स्थान पर देखा तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। इसी उत्साह को निरन्तर रखते हुए Civil Services Examination साल 2017 की मुख्य परीक्षा दी और IRAS के प्रशिक्षण को जॉइन किया। साल 2017 की Civil Services Examination में 431 रैंक पर DANICS सेवा हेतु चयन प्राप्त हुआ। इतना ही नहीं आदित्य साल 2018 में भी UPSC की परीक्षा दे चुके हैं और उन्होंने 339 रैंक हासिल की थी। आज अपनी कामयाबी से वह हम सभी के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।

निधि बिहार की रहने वाली हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी बतौर शिक्षिका काम करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही निधि को लिखने का शौक है, और वह समाजिक मुद्दों पर अपनी विचार लिखती हैं।