हमारे देश के किसानों को प्रकृति से लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है। चुकीं हमारे देश मे दो तिहाई कृषि वर्षा और मानसून पर आधारित है इसलिए किसानों को कभी सूखा तो कभी बाढ़ की स्थिति का सामना करना पड़ता है। सूखा होने पर फसल सुख जाती है तो बाढ़ आने पर फसल बह जाती है। आज हम जो घटना बताने जा रहे है वो महाराष्ट्र राज्य की धामनगांव की है जब एक किसान ने वर्ष 2016 मे सुखाड़ के कारण आत्महत्या कर ली थी। उस समय इस गांव में बारिश नहीं होने के कारण यहां की नदी सुख गई थी और भूजल स्तर काफी नीचे चला गया था। यहां के लोग अपने पेट पालने के लिए खेती पर ही निर्भर है इसलिए किसानों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
जब इस घटना की खबर इसी गावं के एक युवक डॉ. उज्जवल चौहान (dr ujjawal chauhan), जो मुंबई में संयुक्त आयकर आयुक्त है, को मिली तो वो स्तब्ध रह गए। उन्होंने उसी समय ये तय कर लिया किसी भी हाल में मुझे इस संकट से अपने गांव को निकालना होगा।
परिचय
डॉ उज्जवल चौहान (Dr. Ujjawal chauhan)भारत के महाराष्ट्र राज्य के धामनगांव( dhamangaw) के रहने वाले है। इनके पिता एक किसान थे और माता विद्यालय मे शिक्षिका थी। चुकीं उज्वल एक किसान परिवार से तालुक रखते थे इसलिए इनको किसानों का मेहनत पता था। इसी कारण उनका लक्ष्य एक प्रशासनिक अधिकारी बनने का था ताकि वो जमीनी स्तर का सुधार कर सके। इसी कारणवश वो एमबीबीएस करने के बाद वर्ष 2010 मे “यूपीएससी” की परीक्षा में शामिल हुए।
लोगो को किया जागरूक
उन्होंने सबसे पहले गांव के लोगो को जागरूक करने का फैसला लिया। गांव के लोगो को एकत्रित करना शुरू किया, पहले तो सभी इनको शक की निगाहों से देखते थे लेकिन इन्होंने यकीन दिलाया कि अगर हम सब मिलके प्रयास करेंगे तो इस संकट से एक ना एक दिन छुटकारा जरूर मिलेगा तब लोगो ने भी इनका साथ देना शुरू कर दिया।
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इस प्रयास मे ग्रामीणों सहित स्कूल के शिक्षकों ने भी बढ़-चढ़ के हिस्सा
डॉ. उज्ज्जल चौहान बताते है,” यह एक सामुहिक प्रयास था। इसमें ग्रामीणों, अधिकारियों, गैर-सरकारी संगठनों से लेकर स्कूल के शिक्षकों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ये सभी जल संकट के खतरों से वाकिफ थे, जिसने लोगों के जीवन को काफी प्रभावित किया था।”
जल संरक्षण योजना का किया शुरुआत
काफी प्रयासों के बाद उन्होंने गांव में जल संरक्षण योजना की शुरुआत किया। हर साप्तह अपने गांव आने लगे और लोगो की मदद से गांव में छोटे जलाशयों और बांधो का निर्माण किया। उनका उद्देश्य गांव को जल संकट से निकालना था। परिणाम यह निकला कि आज उनका गांव सुखाड़ मुक्त है, यहां 22 हजार करोड़ लीटर जल को संरक्षित किया जा सकता है जिससे अब किसानों को खेती करने में कोई परेशानी नहीं होती। डॉ उज्जल का कहना है कि वो अभी तक अपने आस-पास के लगभग 16 ऐसे गांवों को इस विकसित कर चुके है, अब किसान चैन के नींद सोते है।
डॉ उज्जवल जैसे लोग हमारे समाज में बहुत कम देखने को मिलते है, हमें भी अपने गांव या शहर के लिए कुछ अच्छा करने का सोचना चाहिए।