हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) को उत्तर भारत का सबसे खुबसूरत और आकर्षक हिल स्टेशनों में से एक माना जाता है। 2200 M की उँचाई पर स्थित शिमला की प्राकृतिक खुबसूरती को एक बार देखने के बाद पर्यटक बार-बार यहां आना पसंद करते हैं, क्योंकि यहां का वातावरण बेहद लुभावना होता है। इसके अलावा लोग शिमला के पहाड़ों का आनन्द लेने के साथ-साथ यहां स्थित औपनिवेशिक शैली की इमारतें और कई ऐतिहासिक मंदिरों समेत अन्य जगहों की सैर करने के लिए भी आते हैं।
शिमला (Shimla) में घूमने के लिए कई सारी जगहें हैं जिसमें रिज, मॉल रोड और जाखू हिल आदि मुख्य हैं। जाखू हिल (Jakhu Hill) पर एक जाखू नामक मंदिर (Jakhu Temple) स्थित है जिसे शिमला के प्रमुख पर्यटक स्थलों में एक माना जाता है, क्योंकि इसका इतिहास आज से नहीं बल्कि रामायण काल से ही है। तो इसी क्रम में चलिए जानते हैं जाखू मंदिर (Jakhu Temple) से जुड़े इतिहास के बारें में-
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शिमला की सबसे ऊँची चोटी है जाखू हिल
जाखू हिल शिमला की सबसे ऊँची चोटी (Jakhu Hill, The highest Peak of Shimla) है जहां से पूरे शहर को देखा जा सकता है। शिमला से इसकी दूरी 2 किलोमीटर है जबकी इसकी उँचाई 8 हजार फीट है और यह सैलानियों के लिए सबसे पसंदीदा स्थान है। हालांकि, शिमला सिर्फ प्रकृति प्रेमियों के लिए नहीं बल्कि तीर्थयात्रियों के लिए भी प्रसिद्ध जगह है क्योंकि जाखू हिल पर बहुत ही पुराना मंदिर है जिसे जाखू मंदिर के नाम से जाना जाता है।
हिन्दू धर्म के देवता हनुमान जी को समर्पित है यह मंदिर साथ ही स्थापित है विशालकाय प्रतिमा
इस मंदिर में हिन्दू धर्म के भगवान प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी (Hindu Deity Lord Hanuman) की मूर्ति है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। हालांकि, मंदिर के अलावा वहां हनुमान जी एक बहुत बड़ी मूर्ति भी स्थापित है जिसकी उँचाई 108 फीट है। (108 Feet High Statue of Hindu Deity Lord Hanuman) अब आप सोच रहे होंगें कि यह मंदिर शिमला के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक क्यों है तो बता दें कि हनुमान जी संजीवनी लाते समय यहां रुके हुए थे।
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क्या है जाखू मंदिर का रोचक इतिहास (Jakhu Temple History)
विश्व प्रसिद्ध इस मंदिर के बारें में यह माना जाता है कि जब प्रभु श्री राम औए लंकापति रावन के बीच युद्ध चल रहा था उस दौरान रावण के पुत्र मेघनाद ने श्री लक्ष्मण जी को शक्ति बाण मारी थी तो वह मुर्छित होकर गिर पड़े। उसके बाद एक वैद्य द्वारा बताए गए संजीवनी बूटी लाने के लिए जब हनुमान जी आकाश मार्ग से होते हुए हिमालय की ओर जा रहे थे। उसी दौरान उन्हें तपस्या में लीन एक ऋषि पर नजर पड़ी जिनका नाम यक्ष ऋषि था।
हनुमान जी संजीवनी बूटी के बारें में जानकारी जुटाने और आराम करने के लिए यक्ष ऋषि के पास जा उतरे। वहां उन्होंने संजीवनी बूटी के बारें में जानकारी हासिल लेकर वापस लौटते समय तपस्या में लीन ऋषि को मिलने का वचन देकर द्रोण पर्वत की ओर चले गए। आगे जाने पर मार्ग में उन्हें रावण का भेजा हुआ राक्षस कालनेमि का सामना करना पड़ा जिससे उन्हें समय की कमी हो गई और सूर्योदय होने के पहले संजीवनी लेकर पहुंचना जरुरी था। ऐसे में उन्होंने संजीवनी बूटी लेकर छोटे मार्ग से होते हुए वापस लौट गए।
यक्ष ऋषि को वचन देने के बाद हनुमान जी के वापस नहीं लौटने पर ऋषि काफी व्याकुल हो गए। उसके बाद उन्हें हनुमान जी ने अपना दर्शन दिया और वहीं उनकी स्वयंभू मूर्ति प्रकट हो गई। उसी के बाद यक्ष ऋषि ने उस स्थान पर श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी का मंदिर बनवाया जो आज भी वहां मौजूद हैं। वर्तमान में यह मंदिर देश-विदेश के सैलानियों के लिए प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बन गया है।
मौजूद है हनुमान जी के पद चिन्ह
मंदिर के अलावा उसके प्रांगण में हनुमान जी की बहुत ही विशाल मूर्ति बनी हुई है, जिसे शिमला के किसी भी स्थान से देखा जा सकता है। (108 Feet High Statue of Hindu Deity Lord Hanuman) इसके अलावा हनुमान जी ने संजीवनी लेने जाते समय जब वहां पहली बार पैर रखे थे वहां उनके चरणों के चिन्ह को संगमरमर से बनवाया गया है। यक्ष ऋषि के नाम पर ही इस जगह का नाम जाखू बना जो यक्ष से याक फिर याकू और फिर जाखू में परिवर्तित हुआ।
देख सकते हैं अद्भूत नजारा
आप सोच रहें होंगे वहां सिर्फ मंदिर ही मौजूद होंगे लेकिन ऐसा नहीं है। वहां से आप प्रकृति के अद्भूत नजारे को देख सकते हैं। वहां का हरा-भरा नजारा आपके मन को मोहित कर लेगा। इसके अलावा वहां कैफेटेरिया भी मौजूद हैं जहां आप आराम से खा-पी सकते हैं।
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