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पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में जौनपुर डीएफओ जीसी त्रिपाठी की सराहनीय पहल, ऑनलाइन लेनी होगी पेड़ काटने की अनुमति

वर्तमान समय में पर्यावरण की सुरक्षा विश्व स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है। यूं तो समय-समय पर पर्यावरण की देखभाल को लेकर अधिकारियों द्वारा बड़े-बड़े दावे तो किये जाते हैं लेकिन उन दावों पर अमल कितना किया जाता है, यह किसी से छुपा नही है। सच तो यह है कि देश की प्रगति और विकास कार्यों के नाम पर पर्यावरण को हानि पहुंचाना और अवैध रुप से पेड़ों को काटना आज आम बात बन चुकी है।

लेकिन, अब जौनपुर जिला डीएफओ- जीसी त्रिपाठी (DFO-G C Tripathi) द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में बेहद सरहानीय पहल की है। जिसमें पेड़ों की कटाई के लिए ऑनलाइन अनुमति लेने होगी। दरअसल, इस सोच के पीछे का कारण काटे गये पेड़ों का ऑनलाइन रिकार्ड रखना है।

DFO-G C Tripathi  made a rule cutting trees

पेड़ों की अवैध कटाई पर रोक के लिए ऑनलाइन अनुमति की शुरुआत की गई है

वैसे तो पहले भी जौनपुर क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति लेने के प्रयास किये जाते रहे हैं लेकिन, उनका कोई रिकार्ड नही होता था। जिसका अंजाम यह होता कि बड़े पैमाने पर अवैध रुप से पेड़ों को काट दिया जाता था। विकास कार्यों के नाम पर पेड़ काटे जाने की इस प्रक्रिया से न केवल जनजीवन व वन्य प्राणी भी प्रभावित होते हैं। इन तमाम हालातों को देखकर यह फैसला लिया गया है।

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पिछले पांच वर्षों में यहां 6 हज़ार पेड़ काटे जा चुके हैं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जौनपुर क्षेत्र में गत 5 वर्षों में छः हज़ार से भी ज़्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। जिसकी तुलना में नव पौधा-रोपण की दर काफी कम रही। यूं तो पहले ही इस दिशा में रोकथाम के लिए नियम बनाये गये थे लेकिन उनका पालन सख्ती से नही हो रहा था। जिसका परिणाम इतने पेड़ों की कटाई है।

‘गोमती किनारे पौधारोपण योजना’ भी रही विफल

हालात यह हैं कि अब यहां नगर क्षेत्र में भी पेड़ों की संख्या बेहद कम है। इतना ही नही, सड़क किनारे भी न के बराबर पेड़ बचे हैं। दो साल पहले गोमती किनारे पौधारोपण की योजना शुरु की गई थी लेकिन उचित व सही कदमों के अभाव में वह योजना भी सफल न हो सकी और केवल 17 प्रतिशत ही पौधारोपण हो सका।

आगामी जुलाई माह में बड़े स्तर पर वृक्ष लगाने की योजना

पर्यावरण सुरक्षा में असफलता, लगातार पेड़ों की कटाई से जनजीवन में आ रहे विषम बदलावों की वजह के कारण साथ ही, प्रदूषण के स्तर को कम करने के उद्देश्य से क्षेत्रीय वन विभाग की तरफ से आने वाले जुलाई माह में बड़े स्तर पर वृक्ष लगाने की योजना को अंजाम दिया जाएगा।

सभी आवेदन पहुंचेंगे डीएफओ के पास

दुविधा की बात यह है कि यहां के रेंज अधिकारियों के पास कंम्प्यूटर नहीं है। इसके अलावा, लोग भी ऑनलाइन प्रक्रिया को लेकर अनजान हैं। ऐसे में ऑनलाइन प्रक्रिया को सुचारु रुप से लागू करने के लिए सभी आवेदन डीएफओ के पास पहुंचेंगे और वहीं से अनुमति पत्र भी जारी किये जाएंगे। इस संदर्भ में डीएफओ जीसी त्रिपाठी का कहना है- “शुरुआत में इस प्रक्रिया को लेकर तकनीकी दिक्कत आ रही थी, जिसमें अब सुधार कर लिया गया है। बिना अनुमति पेड़ काटने पर दस हजार रुपये तक का जुर्माना है। ऑनलाइन प्रक्रिया होने से पेड़ों की कटाने की जानकारी भी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी”

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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