बुलडोजर और JCB जैसी भारी और बड़े वाहनों का इस्तेमाल आमतौर पर घर-दुकानों और बिल्डिंग्स आदि को तोड़ने या जमीन की खुदाई करने के लिए किया जाता है। लेकिन हाल ही में एक ऐसी खबर सामने निकलकर आई है जिसमें कंस्ट्रक्शन के काम में इस्तेमाल होनेवाले इन वाहनों का प्रयोग कंस्ट्रकशन में न करके भंडारे में भोजन तैयार करने के लिए किया जा रहा है।
जी हाँ, हमेशा से अपनी अजीबो-गरीब खबर के सुर्खियां बटोरने वाला भारत का मध्यप्रदेश राज्य (Madhya Pradesh) में भक्तों के लिए भोजन तैयार करने में हलवाई के साथ-साथ JCB और सीमेंट कंक्रीट मिक्सर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। तो इसी कड़ी में चलिए जानते हैं इस खबर के बारें में विस्तार से-
सियपिय मिलन समारोह में पहुंच रहे हैं लाखों की संख्या में श्रद्धालु
दरअसल, मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के भिंड जिला (Bhind District) में प्रसिद्ध दंदरौआ धाम (Dandraua Dham) में सियापिय मिलन समारोह (Siyapiya Milan Festival) का आयोजन किया गया है जहां मशहूर बागेश्वर धाम के महाराज पंडित धीरेन्द्र शास्त्री भी हनुमंत कथा के लिए पहुंचे हैं और अमृतमयी वाणी से हनुमंत कथा सुना रहे हैं। इस समारोह में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुट रहे हैं और कथा में सम्मिलित हो रहे हैं।
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भंडारे में 700 हलवाई और 10 हजार स्वयं सेवक हैं कार्यरत
सियपिय मिलन सम्मेलन में प्रतिदिन पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक भंडारे का भी आयोजन किया गया है। इस भंडारे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आमतौर पर भंडारे में एक सीमित संख्या में हलवाई काम करते हैं वहीं इय भंडारे में भोजन बनाने के लिए 700 हलवाई और भोजन परोसने के लिए 10 हजार स्वयं सेवक दिन-रात लगे हैं।
सियपिय मिलन समारोह (Siyapiya Milan Festival in Dandraua Dham) में आयोजित भंडारे में कार्यरत हलवाईयों में पुरुष और महिला दोनों टीम मिलकर काम कर रही हैं, जिसमें पुरुष हलवाई की संख्या 450 और महिला हलवाई की संख्या 250 है। इसके अलावा लाखों लोगों का खाना बनाने के लिए हलवाई की टीम दो शिफ्ट में काम कर रही है।
भंडारे में क्या मिलता है खाना?
भंडारे में सुबह की शुरूआत नाश्ते से होती है जिसके लिए रोजाना 20 किलो पोहा और 8 क्विंटल सूजी की खपत होती है। भंडारे में बनने वाले नाश्ते और भोजन को श्रद्धालुओं समेत वहां रहनेवाले लोगों को भी दिया जाता है। उसके बाद जब दोपहर होती है तब भंडारा शुरु होता है। भंडारे में वहां पहुंच रहे भक्तों और वहां रहनेवालों को आलू की सब्जी, मालपुआ और पूड़ी परोसा जा रहा है।
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भंडारे में भोजन बनाने में हो रहा है JCB और सीमेंट-कंक्रीट मिक्सर का इस्तेमाल
यह भन्डारा इतना विशाल है कि भक्तों का खाना तैयारी करने के लिए JCB और सीमेंट-कंक्रीट मिक्सर मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। भंडारे में बन रहे आलू की सब्जी को वहां मौजुद दो कड़ाहे गंगा और यमुना का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन कड़ाहों की मदद से एक बार में 20 क्विंटल आलू की सब्जी बनकर तैयार हो जाती है। उसके बाद सब्जी को कड़ाह से निकालकर ट्रॉली में डालने के लिए JCB मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।
आलू की सब्जी के बाद यदि मालपुआ की बात करें तो, लाखों भक्तों के लिए यह बनाना मुश्किल है। ऐसे में इसे बनाने के लिए मालपुआ का घोल तैयार करने में सीमेंट-कंक्रीट मिक्सर मशीन का प्रयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं भक्तों के लिए भोजन तैयार करने में एक साथ 40 कड़ाही का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु जन भोजन ग्रहण कर रहे हैं।
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