देश मे कोरोना की दूसरी लहर ने पूरा हड़कंप मचा दिया है। हर तरफ तबाही ही तबाही छाई हुई है। इस कोरोना काल मे महंगाई अपने चरम सीमा पर है। कोई बीमारी से मर रहा है तो कोई भूख से। ऐसे में लोगो को कहीं इंसानियत नज़र नही आ रही है लेकिन झारखंड के एक ऑटो ड्राइवर ने यह साबित कर दिया कि इंसानियत आज भी जिंदा है।
कौन है वह ऑटो ड्राइवर
झारखंड (Jharkhand) राज्य की राजधानी रांची के रहने वाले रवि अग्रवाल (Ravi Agrawal) ने कोरोना नाम की इस तबाही में लोगों के बीच इंसानियत नाम की उम्मीद को जगाने का काम किया है। रवि, ऑटो चलाने का काम करते है और साथ ही साथ राम लखन सिंह यादव कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई भी कर रहे है। इस कोरोना महामारी में कोरोना मरीजों को सही समय पर अस्पताल पहुंचा कर एक मसीहा का काम कर रहे है।
क्या है मामला?
21 साल के रवि 15 अप्रैल को सवारी का इंतजार कर रहे थे, तभी उन्होंने एक बुजुर्ग महिला को देखा। जो एक कोरोना मरीज थी। वह बुजुर्ग महिला सड़क पर अस्पताल जाने के लिए ऑटो को रोक रही थी, लेकिन कोई भी ऑटो वाला उस महिला को बैठाने के लिए तैयार नही था। रवि की नज़र जैसे ही उस बुजुर्ग महिला पर पड़ी, वो तुरंत उस महिला के पास गए और उनको अपने ऑटो में बैठाया। उसके बाद उस बुजुर्ग महिला को RIMS तक छोड़ा। उतरते वक़्त उस बुजुर्ग महिला ने रवि को 200 का नोट दिया लेकिन रवि ने उसको लेने से साफ इंकार कर दिया। रवि को उस समय एहसास हुआ कि ऐसे ही बहुत कोरोना मरीज ऑटो के लिए परेशान होते होंगे। उसके बाद रवि ने फैसला किया कि आज के बाद वह कोरोना मरीज़ो को फ्री में सेवा देंगे।
सोशल मीडिया पर अपना नंबर किया शेयर
रवि ने उस घटना के बाद सोशल मीडिया पर अपना नंबर शेयर किया। और आज वो कोरोना मरीज़ो को सही समय पर फ्री में अस्पताल पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
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