गर्मियों का सीजन शुरु हो चुका है, ऐसे में मार्केट में रसीले फल भी मिलने लगे हैं, जिसमें सबसे अधिक मांग तरबूज की होती है। तरबूज में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण इसका सेवन करने से हमारा शरीर हाइड्रेट रहता है और विषैले तत्वों को बाहर निकालता है।
वैसे तो बाजार में लाल तरबूज सभी ने देखा है और उसका स्वाद भी चखा है। लेकिन क्या आपने कभी पीले रंग के तरबूज (Yellow Watermelon) को देखा या उसका स्वाद चखा है, जिसकी खेती भारत के कुछ राज्यों में की जा रही है।
आजकल पीला तरबूज काफी चर्चा में है। वहीं झारखंड में लाल तरबूज के जगह पीले तरबूज की डिमांड अधिक होने के कारण वहां के किसान भी इस तरबूज की खेती धरल्ले से करने लगे हैं। उन्हीं में से एक किसान राजेंद्र बेदिया (Rajendra Bediya) हैं जिन्होंने भारत में एक ऐसे तरबूज को उगाने का कारनामा कर दिखाया है जिसकी खेती ताईवान में की जाती है।
झारखंड के किसान ने उगाया पीले रंग का तरबूज
जी हां, राजेंद्र बेदिया (Rajendra Bediya) झारखंड (Jharkhand) के रामगढ़ जिले में गोला प्रखंड में स्थित चोकड़बेड़ा गांव से ताल्लुक रखते हैं, ने ताइवानी तरबूज की खेती करके काफी चर्चा का विषय बने हुए हैं। उन्होंने पीले तरबूज की खेती एक प्रयोग के तहत शुरू की थी। इसके लिए राजेंद्र में ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से 800 रुपये की लागत लगाकर ताइवान (Taiwan) से 10 ग्राम तरबूज के बीज मंगवाए थे।
पीले तरबूज की खेती से हो सकती है तीन गुना अधिक मुनाफा
ताइवानी तरबूज की खेती के लिए शुरु में राजेंद्र ने छोटे से खेत का चयन किया। उसके बाद उन्होंने टपक सिंचाई विधि और प्लास्टिक मन्चिंग का प्रयोग करके पीले तरबूज की फसल तैयार की। उन्होंने 10 ग्राम बीज से 15 क्विंटल से अधिक उत्पादन करने में सफलता हासिल की है। इससे उन्हें लगभग 25 हजार रुपये का फायदा होगा और यह ताईवानी तरबूज की लागत से तीन गुना अधिक है। ऐसे में इसकी खेती करने से किसानों को अधिक मुनाफा हो सकता है।
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सामान्य तरबूज की तुलना में यह अधिक मीठा और स्वादिष्ट है
एक बार सफलता हाथ लगने के बाद राजेंद्र ने पीले तरबूज की खेती बड़े खेत में करने का निर्णय लिया। यह तरबूज सामान्य तरबूज की तरह ही बाहर से हरा दिखाई देता है, लेकिन अंदर से लाल के जगह पीले रंग का होता है। बता दें कि ताइवानी तरबूज एक प्रकार की हाइब्रिड किस्म है, जिसका स्वाद लाल तरबूज की तुलना में अधिक मीठा और स्वादिष्ट होता है। वहीं इसमें लाल तरबूज की अपेक्षा पानी की मात्रा अधिक होती है, जो हमारे शरीर को हाइड्रेट रखने में सहायता करती है।
अन्य किसान भी कर रहे पीले तरबूज की खेती
राजेंद्र बेदिया को देखकर राज्य के अन्य किसान भी अब अधिक मुनाफा कमाने के लिए सामान्य तरबूज की खेती ना करके पीले तरबूज की खेती कर रहे हैं। बता दें कि, क्षेत्र के किसान परंपरागत खेती की अपेक्षा आधुनिक खेती पर अधिक ध्यान देते हैं। वहीं कुछ किसान इजरायल से भी खेती की ट्रेनिंग ले चुके हैं। ऐसे में पीले तरबूज की खेती से वहां के किसानों को अधिक आमदनी कमाने का मौका मिलेगा।
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