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दहेज के लिए प्रताड़ित हुई, डिप्रेशन में गई लेकिन नहीं मानी हार, 5 हजार से स्टार्टअप शुरु करके हर महीने लाखों रुपये कमा रही

मौजूदा दौर में महिलाओं में शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में काफी बढ़ोतरी हुई है इसके बावजूद भी शादियों में दहेज की परंपरा अभी तक चली आ रही है। यह एक ऐसी सामाजिक बुराई है, जिसने न जाने कितनी औरतों को मौत के घाट उतारा है तो कईयों के जीवन को तहस-नहस कर दिया है। लेकिन महिलाएं भी अपने अधिकार को जानने लगी हैं जिससे वे इसके खिलाफ फैसले ले रही हैं।

आज की यह कहानी भी एक ऐसी ही महिला की है जिसे दहेज की वजह से प्रताड़ना सहना पड़ा लेकिन हार नहीं मानी और खुद का स्टार्टअप शुरु करके हर माह 5 लाख रुपये कमा रही है।

यह कहानी है झारखंड (Jharkhand) के जमशेदपुर (Jamshedpur) की रहनेवाली मधुमिता (Madhumita) की, जो आदिवासी परिवार से सम्बंध रखती हैं। वे हैंडीक्राफ्ट आइट्मस बनाकर प्रति माह 5 लाख रुपये की कमाई कर रही है।

हर मां-बाप का सपना होता है कि शादी के बाद उसकी बेटी ससुराल में खुशी-खुशी जीवनयापन करें। लेकिन मधुमिता के साथ ऐसा नहीं हुआ। साल 2012 में शादी होने के कुछ दिन तक तो सबकुछ अच्छे से चला लेकिन बाद में उन्हें दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा।

दहेज के लिए होना पड़ा प्रताड़ना का शिकार

वह कहती हैं कि, ससुराल की मांगों को उनके पिता ने एक-एक करके पूरा करते गए लेकिन उनका लालच कम नहीं हुआ। वे और अधिक और महंगी-महंगी चीजों की मांग करने लगे, जिसकी पूर्ति कर पाना अह मधुमिता के पिता के बस की नहीं थी। ऐसे में उन्होंने उनकी मांग को मानने से मना कर दिया। पिता द्वारा मांग पूरी करने से इन्कार करने के बाद मधुमिता को उनके ससुराल वालों ने प्रताड़ित करना शुरु कर दिया। कोई गंदी-गन्दी गालियां देता तो कोई ताना मारता। मधुमिता को सबसे अधिक बुरा उस समय लगा जब उनके पति ने भी उनका साथ न देकर लालची घरवालों का साथ दिया।

लोगों ने दिया ताना

वह आगे कहती हैं कि, प्रताड़ना सहने के बाद भी वे सबको इस बारें में समझाने-बुझाने की कोशिश करती थी लेकीन फिर उन्हें यह एहसास हुआ कि ऐसे लोगों के सामने सर पीटने से कोई फायदा नहीं है, यहां से निकलना ही बेहतर होगा। मधुमिता ने शादी के 8 महिने बाद ही पति से अलग होकर अपने गांव आ गई। पुरानी सोच के वजह से गांव वालों ने भी काफी कुछ कहा। उन्होंने तो इतना तक कह दिया कि, इसी ने कुछ किया होगा जिससे इसके पति ने इसे छोड़ दिया। कईयों ने तो उनके चरित्र पर भी उंगली उठाई, लेकिन उनके परिवार वालों ने हमेशा उनका साथ दिया।

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6 माह तक रही डिप्रेशन में

किसी भी महिला के लिए इतना सब कुछ सहन करना सरल नहीं होता है। मधुमिता लगभग 6 माह तक डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं, लेकिन वे हमेशा इससे बाहर निकलने की कोशिश करती क्योंकि एक ही बात को लेकर बैठे रहने से अच्छा है जिंदगी में आगे बढ़ा जाएं। अब वे खुद का कुछ करना चाहती थीं, उसी दौरान उनकी मुलाकात फुटपाठ पर की-चेन बेचने वालों से हुई जो खुद से बनाकर बेच रहे थे। वहीं लोगों को भी उनकी बनाई की-चेन काफी पसंद आ रही थी।

शुरु किया खुद का स्टार्टअप

की-चेन बेचने वालों से बातचीत करने के बाद उन्हें विचार आया कि, यदि महिलाओं को भी इसके बारें में प्रशिक्षित किया जाए तो इससे अच्छी-खासी कमाई की जा सकती है। उसके बाद उन्होंने साल 2014 में की-चेन वालों से सम्पर्क करके अपने गाँव लेकर आई और वहां 3 आदिवासी महिलाओं के साथ मिलकर खुद का स्टार्टअप शुरु किया। उन्होंने स्टार्टअप का नाम “पीपल ट्री” (Pipal Tree) रखा। इसके जरिए महिलाओं को सबसे पहले नेम प्लेट और की-चेन बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया। इस काम में कुल 5 हजार रुपये का खर्च आया। जब महिलाएं इस काम में निपुण हो गईं तो वे मार्केटिंग के लिए जमशेदपुर के अलग-अलग घरों में जाकर प्रोडक्ट सेल करने लगीं।

Jharkhand woman Madhumita started Pipal tree Startup brand of woodcraft

बनाती हैं अनेकों प्रोडक्ट

मधुमिता (Madhumita) ने बताया कि, हैंडमेड और कीमत कम होने के कारण लोगों को प्रोडक्ट पसंद आता था। वे जहां भी प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए जाते वहां लोग अपनी पसंद के अनुसार मांग करते। उसके बाद मधुमिता का स्टार्टअप लोगों की पसंद के अनुसार प्रोडक्ट बनाना शुरु कर दिया। पहले उनका स्टार्टअप नेम प्लेट और की-चेन बनाता था लेकिन डिमांड के बाद वह गिफ्ट आइट्मस, वॉल हैंगिग चेन, होम डेकोर आइट्मस आदि प्रोडक्ट बनाने लगा। और इस तरह उत्पादों की सन्ख्या में बढ़ोतरी होने लगी।

वह कहती हैं कि, एक वर्ष में ही उनका कारोबार अच्छा-खासा जम गया था। अब उनके पास अच्छे-खासे पैसे की आमदनी भी हो गई थी और वह चाहती थीं की इसका विस्तार किया जाएं। इस सोच के साथ उन्होंने अधिकाधिक संख्या में महिलाओं को प्रशिक्षित करना शुरु कर दिया। इसके पीछे एक वजह यह भी थी कि वे महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनें।

अभी तक खुल चुके हैं 9 आउटलेट्स

उन्होंने वर्ष 2015 में अपना पहला आउटलेट जमशेदपुर में खोला, जहां एक दुकानदार से उन्होंने अपने उत्पाद को बनाने और मार्केटिंग के लिए कुछ जगह ली थी। इस बार भी उन्हें लोगों का भरपूर प्यार मिला। अब क्या था उनका यह काम आगे बढ़ता गया। वर्तमान में सिर्फ जमशेदपुर ही नहीं बल्कि झारखंड के अलग-अलग शहरों में पीपल ट्री के 9 आउटलेट्स खुल चुका है।

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220 से अधिक लोगों को दिया रोजगार

मधुमिता ने 220 से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा है, जिसमें महिलाओं की संख्या अधिक है। वहीं उनके पास 200 से अधिक प्रोडक्ट हैं। मार्केटिंग के लिए उन्होंने कई बड़े-बड़े मॉल में भी उनकी दुकानें खोल रखी है। इसके अलावा वे अपने प्रोडक्ट को देशभर में सोशल मीडिया और वेबसाइट के जरिये बिक्री कर रही है। इसके माध्यम से हर सप्ताह में 100 से अधिक के ऑर्डर आते हैं।

ट्राइबल महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

उन्होंने बताया कि, इस काम के जरिए उन्हें एक नया मुकाम मिला है साथ ही वैसी कई ट्राइबल महिलाएं (Tribal Women) भी आत्मनिर्भर बनी हैं जो काफी गरीब परिवार से थीं। एक समय था जब इन महिलाओं के लिए दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होता था आज वे हर महिने 8 से 10 हजार रुपये की कमाई कर रही हैं। वह कहती हैं कि छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ प्रोफेशनल स्किल डेवलप हो सके इसके लिए उन्होंने कई स्कूलों से टाईअप किया है। उन स्कूलों में महिलाएं बच्चों को प्रशिक्षित करती हैं।

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