ग्रामीण परिवेश में रहकर स्वयं के लिए कुछ करना और आत्मनिर्भर बनना बहुत बड़ी बात है। इस बात का उदाहरण हैं लोहरदगा की महिलाएं जो औषधीय मटका खाद विधि द्वारा सफलता हासिल कर आत्मनिर्भर बनी हुईं हैं और ये आसानी से 7 हज़ार रुपये हर माह कमा रहीं हैं।
अगर आप भी मटका खाद के विषय में जानने के लिए उत्सुक हैं तो हमारे लेख पर बने रहें। इस लेख द्वारा हम आपको मटका खाद के निर्माण से लेकर उसकी विशेषता तक बताएंगे जो आप भी बनाकर अपने खेतों में छिड़काव कर पाएंगे।
क्या है मटका खाद
मटका खाद एक औषधीय खाद है जिसके निर्माण में गौ मूत्र, नीम, करंज तथा सिंदुवार के पत्तियों, गोबर तथा गुड़ का उपयोग होता है। ये सारे मटेरियल को मिश्रित कर 9 दिनों के लिए छोड़ा जाता है। जब ये तैयार हो जाता है तो इसे सिर्फ उर्वरक ही नहीं बल्कि कीटनाशक के तौर पर भी खेती में किया जाता है। इसे कोई भी आसानी से तैयार कर सकता है और ये फसलों के लिए बेहद लाभदायक भी है।
खाद का है खूब डिमांड
मटका खाद का निर्माण कैरो प्रमंडल की निवासी जितनी उरांव, छेनवा, संध्या, संगीता आदि अन्य महिलाओं द्वारा सम्पन्न होता है। वे बताती हैं कि उनके खाद का खूब डिमांड रहता है जिस कारण किसान इसे घर से खरीद लेते हैं और हमें बजारो के चक्कर नहीं काटने पड़ते। इस कार्य से उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है और जीवन खुशहाल।
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मिट्टी के लिए है लाभदायक
यहां के किसानों का ये मानना है कि इस मटका खाद के छिड़काव से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ रही है। साथ ही हम अब खेतों में केमिकल युक्त कीटनाशक का उपयोग नहीं करते। वे खेतों में मक्का, मडुवा तथा धान आदि अन्य फसलों के लिए मटका खाद का उपयोग करते हैं। उनका मानना है कि इससे हमारे मिट्टी फसल तथा हमारे शरीर तीनों को लाभ मिल रहा है जो सभी किसानों के लिए बेहतर है।
हो रही है तारीफ
शिव पूजन राम जो यहां के जिला कृषि पदाधिकारी हैं, वह महिलाओं की काफी सराहना करते हुए कहते हैं कि हम ये कोशिश करेंगे कि महिलाओं को हमसे हरसंभव मदद मिल सके। वह कहते हैं कि जब हमारे किसान इससे पूर्व खेतों में केमिकल युक्त कीटनाशक का छिड़काव करते थे तो खेती को हानि पंहुचती थी। साथ ही हमारे शरीर को भी इसलिए महिलाओं द्वारा मटका खाद का निर्माण करना सराहनीय है।