Sunday, December 10, 2023

एलोवेरा की खेती से झारखंड की महिलाएं लिख रहीं सफलता की कहानी, आमदनी हो रही दुगुनी

हमारे देश का लगभग 1/3 भाग खेती पर आश्रित है और लोगों की आय का स्रोत खेती ही है। परन्तु यहां के खेतिहर किसानों की परिस्थितियों से हम सभी भली-भांति परिचित हैं। आए दिन किसानों की आत्महत्या की काहानी हम पढ़ते रहते हैं जो खेती में फसलों की बर्बादी से हार मानकर अपने जीवन को त्याग देते हैं। परन्तु आजकल हमारे देश के किसान अपने खेतों में उन फसलो की बुआई करते हैं जिनके लाभ तथा हानि के विषय में उन्हें अच्छे से जानकारी है। आज खेती में बेहतर विकल्प होने के साथ कई ऐसे साधन तथा तकनीक आ चुकें हैं जिन्होंने किसानों को एक नई ज़िन्दगी दी है।

एलोवेरा की खेती में मिली सफलता

आज हम आपको झारखंड (Jharkhanad) के निवासी भागमनी तिर्की तथा उनके पति के साथ उनके ग्रामवासियों के विषय में बताएंगे जिन्होंने खेती के तरीकों को बदलकर खेती में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। खेती में उनकी उपलब्धि का कारण बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी को जाता है। बीएयू द्वारा इस क्षेत्र में एलोवेरा की खेती प्रारंभ की गई जो इंडियन काउंसलिंग ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के फंड द्वारा हुआ।

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Women are earning double profit by cultivating aloe vera in Jharkhand

खेती हेतु है बेहतर क्षेत्र

ये जगह एलोवेरा की खेती के लिए काफी बेहतर है जिस कारण यहां के किसानों को बहुत जल्द बेहतर लाभ भी मिल रहा है। यहां के अन्य किसान भी इस खेती को देख काफी आर्कषित हुए एवं उन्होंने ने भी इससे प्रेरित होकर इसे प्रारंभ करने का निश्चय किया। यहां के लोगों का ये मानना है कि हम जो पहले फल तथा सब्जियों की खेती करते थे उसके अपेक्षा हमें एलोवेरा की खेती से खूब लाभ भी मिल रहा है।

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मार्केट में है काफी डिमांड

एलोवेरा की खेती कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स के तौर पर तथा अन्य कई रूप में होता है। जिस कारण इसका डिमांड दिन-प्रतिदिन मार्केट में बढ़ते जा रहा है। यहां के एलोवेरा का भी मार्केट में खूब डिमांड है जिस कारण यहां अभी और ज्यादा संख्या में खेती बढ़ानी है ताकि इसकी पूर्ति हो सके।