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ताइवान नस्ल के अमरूद की खेती कर कमा रहे हैं 30 लाख रुपये सलाना, 6 महीने में तैयार होता है फसल: तरीका सीखें

एक तरफ जहां हमारे देश के युवाओं का रुझान इंजीनियर, डॉक्टर और साइंटिस्ट बनने की ओर है तो वहीं दूसरी तरफ वे कृषि क्षेत्र मे भी अपना भविष्य देख रहे हैं। आजकल जैविक खेती का प्रचलन काफी अधिक बढ गया है। चाहे वह युवा वर्ग हो या बुजुर्ग सभी लोग जैविक खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और इससे लाखों-करोड़ों की कमाई भी कर रहे हैं। जैविक खेती से तरह-तरह के फल, सब्जियां तथा अनाज उगाये जा रहे हैं। जैविक तरीके से उगाए गए खाद्य पदार्थों के सेवन से हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता है। जिसके कारण इसकी मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती हीं जा रही है।

आज हम आपकों ऐसे ही एक किसान के बारें में बताने जा रहे हैं जो जैविक तरीके से अमरूद का उत्पादन करके 25 से 30 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं। अमरूद स्वास्थ्य के बहुत फायदेमंद है। उससे होनेवाले फायदे को जानकर आप सभी भी अमरूद की खेती करना चाहेंगे। अमरूद में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है जिससे यह अनेकों बिमारियों में लाभकारी होता है। प्रतिदिन अमरूद के सेवन से कब्ज की समस्या दूर होती है। यह मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है जिससे शरीर में कॉलसट्राल की मात्रा को नियंत्रित होता है। इसकी पत्तियां मुहं के छालों को भी दूर करती है। अमरूद पाचन शक्ति को सही करता है। आइए जानते है उस किसान के बारे में जिसने फायदे से भरपूर अमरूद की खेती की और वे लाखों की आमदनी कर रहे हैं। इस कहानी को पढकर आप अमरूद की खेती करने के तरीके भी जान सकते हैं।

Jitendr Patidar

जितेंद्र पाटीदार मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की सुवासरा तहसील के गांव धनपट से ताल्लुक रखते हैं। वे ताइवनी अमरूद की खेती जैविक विधि से करते हैं। कुछ वर्ष पहले जितेन्द्र अमरूद के दूसरे किस्म की खेती करते थे और उससे भी उनको अच्छा मुनाफा मिलता था। लेकिन तभी उनको ताइवानी अमरूद के बारें में जानकारी मिली। जितेंद्र ने कई स्थानों (कोलकाता, बेंगलुरु तथा हैदराबाद) पर अमरूद के इस किस्म की खेती के बारें में जानकारी हासिल किया। उसके बाद 2 वर्ष पूर्व पौधे मिलने पर करीब उन्होंने 15 एकड़ में ताइवानी अमरूद के पौधे लगाए।

पौधे तैयार होने की विधि

जितेन्द्र पाटीदार ने बतया कि, वे बेंगलुरु में टिशू कल्चर विधि से इसके पौधे को तैयार करवाते है। पौधे बनाने के लिये 6 माह पहले बताना पड़ता है। उन्होंने कहा कि वे लगभग प्रत्येक वर्ष 40 हजार पौधे मंगाते हैं जिसके लिए कुल खर्च 1 से डेढ़ लाख रुपए आता है। इसके साथ हीं वे अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को इसके पौधें उप्लब्ध करवाते हैं।

ताइवानी अमरूद के 800 पौधों को 1 एकड़ में लगाया जाता है। यह 6 माह से 1 वर्ष के अंदर फल देना शुरु कर देते है। पौधे लगाने के पहले साल एक एकड़ से 8 से 10 टन अमरूद का उत्पादन होता है। ताइवनी अमरूद के हर पौधे से 8-10 किलों फल का उत्पादन होता है। लेकिन दूसरे हीं वर्ष हर पौधे से 20 से 25 किलो अमरूद निकलता है जिससे उत्पादन में वृद्घि होती है और कुल उत्पादन 25 टन तक हो जाता है।

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ताइवानी अमरूद के लिए कब और कैसे तैयार किया जाता है खेत

इसके पौधों को लगाने के लिए सबसे पहले खेतों की जुताई कर लेना चाहिए। उसके बाद खेत में पकी हुईं गोबर खाद के साथ बायो कल्चर प्रोडक्ट डालना चाहिए। इसके बाद ट्रैक्टर से पाल बनाना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कतार से कतार की दूरी 9 फीट तथा पौधे से पौधे की दूरी 5 फीट रखना चाहिए। ताइवनी अमरूद के पौधे को आधे फीट की गहराई में बोना चाहिए। इसे लगाने का सही समय बारिश के वक्त जुलाई-अगस्त का महीना होता है। जितेन्द्र जैविक खेती करते हैं। वे अपने खेतों में जिवामृत, वर्मी कम्पोस्ट तथा मटका खाद का प्रयोग करते हैं। जितेन्द्र ताइवानी अमरूद की सिंचाई के बारे में बताते है कि वे टपक विधि से पौधों की सिंचाई करते हैं। गर्मी के मौसम में जितेन्द्र 5 से 7 दिन में डेढ़ से दो घंटे सिंचाई करते हैं। जितेंद्र सामान्य दिनों में रोज सिंचाई करते हैं।

सामान्यतः ताइवानी अमरूद के फल वर्ष में 3 बार आते हैं। लेकिन जितेन्द्र नवंबर महीने में इस किस्म के अमरूद की फसल लेते है। उन्होंने बताया कि जुलाई माह में इसमे फूल आते है तथा नवंबर माह में फल पक कर तैयार हो जाते है। यह फरवरी-मार्च महीने तक चलता है।

बरसात के दिनों में जितेन्द्र फल मक्खी नियंत्रण के लिए फॉरमैन ट्रैप तथा अन्य कीटों से पौधे को बचाने के लिए स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करते हैं। फोरमैन ट्रैप से फल मक्खी को अपनी ओर आकर्षित करने वाली गंध निकलती है। स्टिकी ट्रैप में चिपचिपा पदार्थ लगा रहता है जिस पर किट चिपक कर मर जाते हैं।

ताइवानी अमरूद की विशेषता

• इसका फल तोडने के एक सप्ताह बाद भी खराब नहीं होता है।

• 6 से 12 महीने बाद ही यह फल देना शुरु कर देता है।

• इसका फल के अंदर हल्का गुलाबी रंग होता है। इस्का स्वाद भी बहुत अच्छा होता है।

• ताइवानी अमरूद का वजन 300 ग्राम से 800 ग्राम तक होता है।

उत्तर प्रदेश, दिल्ली के साथ अन्य प्रांतों मे अमरूद के इस किस्म की मांग बहुत अधिक है। जितेन्द्र ने बताया कि वहां के स्थानीय व्यापारी उनसे अमरूद की खरीददारी करते हैं। थोक में अमरूद की कीमत 40 रुपये होता है। मौसम बीतने के बाद इसकी कीमत 25 से 30 रुपये रहती है। पिछले वर्ष जितेन्द्र ने अमरूद और उसके बीच में उगाये गये अन्य फसल जैसे हल्दी, प्याज, अश्वगंधा, पपीता से लगभग 30 लाख रुपये तक की कमाई किए थे। इस वर्ष उनका लक्ष्य 40 लाख तक है।

किसी भी जानकारी के लिए जितेन्द्र जी निम्नलिखित माध्यमों पर सम्पर्क किया जा सकता है।

जितेन्द्र पाटीदार, जेपी फ़ार्म आर्गेनिक फार्म्स
पता- गांव धलपट, तहसील सुवासरा, जिला मंदसौर, मध्यप्रदेश
मोबाइल नंबर – 9770269992

जिन्तेद्र पाटीदार जी ने जिस तरीके से जैविक खेती कर ताइवानी अमरूद की बृहद उत्पादन वाली कृषि कर रहे और उनके पौधों के बीच अन्तर फसलों का उत्पादन कर रहे वे कृषि से जुड़े व्यक्तियों के लिए प्ररेणा हैं। The Logically जितेन्द्र पाटीदार जी की खूब सराहना करता है।

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