हमसब बचपन से सुनते आ रहे हैं कि जल ही जीवन है। पानी अगर यूं ही बर्बाद करते रहे तो फिर एक दिन पीने का पानी खत्म हो जाएगा पर फिर भी हम सब पानी को बर्बादी करते हैं। आज भारत के कई हिस्सों में पीने के पानी की किल्लत है और वहां के लोग अब जाकर पानी के महत्व को समझ रहे हैं। ऐसे भी कई लोग हैं जिन्होंने उस परिस्थिति को महसूस तो नहीं किया पर देखा है और उससे सचेत होकर पानी बचाने की मुहिम शुरू की है। कुछ इसी तरह से मध्य प्रदेश के जितेंद्र चौधरी ने पानी बचाने के लिए एक वाटर फिल्टर शुद्धम का निर्माण किया है।
जितेंद्र चौधरी (Jitendra chaudhry)मध्य प्रदेश के रतलाम के एक किसान परिवार से तालुक रखते हैं। इन्होंने अपनी पढ़ाई दसवीं तक अपने गांव से की पर वह दसवीं में फेल हो गए। इसके बाद वह राजस्थान चले गए जहां से उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई की। जितेंद्र कहते हैं कि जो होता है अच्छे के लिए होता है। अगर वह दसवीं में फेल नहीं होते तो फिर उन्हें आगे की पढ़ाई आर्ट्स लेकर करना पड़ता और उन्हें पता ही नहीं चलता कि आर्ट्स के अलावा भी कई विषय हैं जिनसे वह आगे की पढ़ाई कर सकते है। जितेंद्र ने आईआईटी की तैयारी की पर वह उसमें असफल हो गए और फिर उन्होंने एमआईटी उज्जैन से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

शुद्धम बनाने का आईडिया
2013 में जितेंद्र मध्यप्रदेश के ही किसी गांव में एक ट्रिप पर गए थे जहां पर उन्होंने देखा कि गांव के लोग खाट पर बैठकर नहाते हैं और उस खाट के नीचे एक टब रहता है जिसमें वह पानी टब में जाकर स्टोर होता है और वही स्टोर किया हुआ पानी गांव के लोग कपड़े धोने में इस्तेमाल करते हैं। जितेंद्र ने पहले तो सुन रखा था कि पानी की किल्लत है और पीने का पानी धीरे-धीरे खत्म होते जा रहा है पर जिंदगी में पहली बार उन्होंने यह परिस्थिति देखकर महसूस किया था सच मे साफ पानी की किल्लत हो रही है। इस घटना के बाद जितेंद्र ने ठान लिया था कि उन्हें कुछ ना कुछ इस दिशा में करना है और इस तरह शुद्धम का निर्माण हुआ।
शुद्धम रोज़ 500 लीटर पानी साफ जर सकता हैं
शुद्धम(Shudham) एक वाटर फिल्टर है जो कि 500 लीटर गंदे पानी को हर दिन साफ कर सकता है। शुद्धम से शुद्ध किए हुए पानी का इस्तेमाल सभी प्रकार के कार्यों में किया जा सकता है। इस वॉटर फिल्टर की लागत 7000रुपये आई और एक साल में इसके रखरखाव पर 500 से 700रुपये खर्च होते हैं। इस वॉटर फिल्टर की खासियत यह है कि यह बिना बिजली के काम करता है। यह वाटर फिल्टर ग्रेविटी के कांसेप्ट पर काम करता है। इसमें कई तरह के चैंबर्स बने हैं। इसमे पानी को कई तरह की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। एक चैम्बर से साफ होकर पानी दूसरे चैम्बर में जाता हैं और सबसे नीचे वाले चेंबर में साफ पानी स्टोर होता है। जब यह वाटर फिल्टर 90,000 लीटर पानी साफ कर दें तब 6 महीने के बाद इसका ग्रेनयूल्स बदला जाता है।
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पानी कई फिल्टरेशन प्रक्रिया से होकर गुज़रती हैं
शुद्धम वाटर फिल्टर में गंदा पानी कई फिल्ट्रेशन प्रक्रिया से गुजर कर साफ होता है। इसमें सबसे पहले यह ग्रेन्यूलर चेंबर में चलता है उसके बाद पानी कार्बन अल्ट्रा फिल्ट्रेशन प्रोसेस से होकर गुजरता है। इस वॉटर फिल्टर में एंटी चौक मैकेनिज्म है जो कि फिल्टर में ब्लॉकेज नहीं होने देता हैं। यह गंदे पानी को साफ पानी में नही मिलने देता है।
यंगेस्ट साइंटिस्ट का अवार्ड
जितेंद्र चौधरी (Jitendra chaudhry) को अपने इस निर्माण के लिए मध्य प्रदेश काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के द्वारा यंगेस्ट साइंटिस्ट अवार्ड प्रदान किया गया है। जितेंद्र बताते है कि वह शुद्धम के तीन पेटेंट फ़ाइल कर चुके है । वह इसपर कई रिसर्च पेपर भी प्रकाशित कर चुके हैं। अभी जितेंद्र MIT उज्जैन में रिसर्च असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे हैं।
अगर आप जितेंद्र से संपर्क कर के उनके काम के बारे में जानना चाहतेहै तो उन्हें jchaudhry9694@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।
