आधुनिक युग में आए दिन ऐसे अनेकों आविष्कार हो रहे हैं जिससे मनुष्य जीवन बहुत आसान हो गया है। कोई भी नया आविष्कार करने के लिए इन्सान का पढ़ा-लिखा होना आवश्यक माना जाता है लेकिन कई बार बहुत कम पढ़े-लिखे लोग भी कुछ ऐसी चीजें बना देते हैं जो लोगों की होश उड़ा देते हैं। हालांकि, नयी चीजें बनाने के लिए पढ़ना-लिखना जरुरी होता है लेकिन यदि इन्सान के अंदर जुनून हो तो वह कम शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी कुछ नया आविष्कार कर सकता है।
उपयुक्त कथन को एक 8वीं पास किसान ने एक बार फिर से सही साबित कर दिखाया है। उस किसान ने महज 8वीं पास होने के बाद भी अपनी सूझ-बूझ से बाइक से कीटनाशक स्प्रे मशीन का आविष्कार कर दिया है जिसे देखकर हर कोई हैरान परेशान है। इसी कड़ी में चलिए जानते हैं उस किसान के बारें में विस्तार से-
कौन है वह किसान?
हम बात कर रहे हैं जोधपुर (Jhodhpur) के झंवर इलाके के एक छोटे से गांव डोली के रहने वाले किसान फुसाराम पटेल (Fusaram Patel) की। वे सिर्फ 8 वीं कक्षा तक ही शिक्षा ग्रहण कर पाए हैं जिसके पीछे की वजह यह है कि गांव से स्कूल की 20 किमी दूर था। गांव से 20 किमी दूर स्कूल तक का सफर तय करने के लिए साधनों की बहुत कमी थी। ऐसे में उन्होंने 8 वीं तक की पढ़ाई करने के बाद खेती-बाड़ी करने का फैसला किया और पढ़ाई छोड़ दी।
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बाइक से बना दिया कीटनाशक स्प्रे मशीन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 42 वर्षीय किसान फुसाराम जो जैविक खेती(Organic Farming) करते हैं, कई नए-नए आविष्कार कर चुके हैं और हाल ही में एक अन्य नया आविष्कार किया है जिसमें उन्होंने बाइक को कीटनाशक स्प्रे मशीन (Pesticide Spray Machine) में तब्दील कर दिया है। इतना ही नहीं उनकी खेती करने के तरीके भी औरों से काफी अलग है जिसे देखकर हर कोई हैरान हो जाता है।
दरअसल, 2 बाई 2 की छोटी जमीन में उन्होंने एक के ऊपर एक मटकियां रखकर एक अलग तरह की बाड़िया तैयार की है। इसके अलावा उन्होंने एक हजार लीटर पानी की टंकी का प्रयोग कर गोबर गैस प्लांट का भी निर्माण कर चुके हैं और इसके गैस को ट्रैक्टर के टायरो में इकट्ठा करते हैं। इतना ही नहीं फुसाराम (Jodhpur Farmer Fusaram Patel) सात से आठ अलग-अलग तरह के कीटनाशक और खाद भी बना चुके हैं।
बच्चे ग्रहण कर रहे उच्च शिक्षा जबकी पत्नी चलाती हैं ट्रैक्टर
बहुत लोगों को लगता है कि गांव के लोगों को आधुनिक चीजों के बारें में जानकारी कम होती है लेकिन फुसाराम ने इस सोच को गलत साबित कर दिया है। गांव में रहने के बावजूद भी उनका पूरा परिवार आधुनिक युग में जीवन व्यतीत कर रहा है। उनके तीन बच्चे हैं जिसमें से उनका उनका बड़ा बेटा हंसराज IIT गोवाहाटी से सॉफ़्टवेयर इन्जीनियरिंग की डिग्री ले चुका है जबकी छोटा बेटा जगदीश अभी इण्टरमीडिएट की शिक्षा ग्रहण कर रहा है।
फुसाराम (Fusaram Patel) की 20 वर्षीय बेटी पूजा IIT की तैयारी में जुटी है। कुल मिलाकर उनका परिवार उच्च शिक्षा का महत्व समाझता है। इतना ही नहीं यदि उनकी पत्नी की बात करें तो वह ट्रैक्टर चलाने में माहिर हैं और वह अपने खेतों का सारा काम खुद से ही संभालती हैं। आज के समय में जहां गांव की महिलाओं को आज भी पर्दे में रहना पड़ता है वहां फुसाराम की पत्नी अपनी योग्यता सभी के सामने लाकर साबित कर रही हैं कि पर्दे में रहनेवाली औरत बाहर का काम भी कर सकती हैं।
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कैसे आया जैविक खेती करने का विचार?
फुसाराम ने साल 2014 में अपने पिता के साथ मिलकर परम्परागत खेती की शुरूआत की। लेकिन उस दौरान एक ऐसी घटना घटी जिसने फुसाराम को अंदर तक हिला कर रख दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनके गांव में एक समय खेतों में कीटनाशक का छिड़काव करने के दौरान एक युवक के नाम में उसकी गंध चली गई जिसका हिसाब उस युवक को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। इस घटना ने फुसाराम को झकझोर के रख दिया और तभी उन्होंने फैसला किया कि वे जैविक खेती की शुरूआत करेंगे।
जैविक खेती से कमा रहे सालाना 10 लाख रुपये
अपने फैसले पर अडिग रहते हुए उन्होंने जैविक खेती के बारें में जानकारी जुटानी शुरु की अन्ततः साल 2015 में ऑर्गेनिक फार्मिँग की शुरूआत की। उस दौरान कई लोगों ने उनसे कहा कि यह घाटे का सौदा है लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी और अपनी राह पर चलते रहे। हालांकि, जैविक खेती का यह सफर सरल नहीं था, खेतो में रासायनिक उर्वरकों की अधिकता होने की वजह से उन्होंने दो वर्षों तक खेतों में जैविक खाद का इस्तेमाल किया। लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2018 में उन्हें जैविक खेती में सफलता हाथ लगी। आज वह खेती से सालाना 10 लाख रुपये की आमदनी कमा रहे हैं।