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एक क्रिकेटर से बीसीसीआई अध्यक्ष बनने तक का सफर , पढ़िए सौरव गांगुली की सफलता की कहानी !

बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो सफलता के सफर पर एक बार जो अग्रसर होते हैं फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखते और नित सफलता की उँचाईयों पर चढते जाते हैं ! वे अपने सफलता के सफर पर इस कदर तीव्रता से बढते जाते हैं कि वे कब अपनी मंजिल को पारकर सफलता की पराकाष्ठा बन जाते हैं यह उनको भी मालूम नहीं होता है ! पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली सफलता के एक ऐसे हीं उदाहरण हैं ! आईए जानें क्रिकेट की दुनिया में परचम लहराने वाले इस शख्स की कहानी…

सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कलकत्ता में हुआ था ! इनके पिता चंडीदास गांगुली और माता निरूपा गांगुली हैं ! सौरव गांगुली के पिता कलकत्ता के एक सुप्रसिद्ध व्यवसायी हैं ! इनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स कॉलेजिएट स्कूल से पूरी की ! सौरव गांगुली उस समय फुटबॉल से ज्यादा लगाव रखते थे !

क्रिकेट खेलने की शुरूआत

यूं तो सौरव फुटबॉल बहुत रूचि से खेला करते लेकिन उन्हें क्रिकेट खेलना भी बेहद पसन्द था ! उनके भाई स्नेहाशीष गांगुली ने सौरव को क्रिकेट खेलने के लिए बहुत उत्साहित किया ! इसके बाद सौरव क्रिकेट में खूब रूचि लेने लगे ! स्कूल स्तर पर क्रिकेट खेलना जारी रखा ! इसके बाद सौरव गांगुली का चयन दिलीप ट्रॉफी , रणजी ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंटों में किया गया जहाँ सौरव गांगुली ने अपने शानदार प्रदर्शन से ना सिर्फ दर्शकों का दिल जीता बल्कि क्रिकेट विशेषज्ञों और चयनकर्ताओं का भी ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया !

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर

घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन करने के पश्चात गांगुली का चयन भारतीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में हो गया ! वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने अपने कैरियर का आगाज किया लेकिन उसमें उनका कोई खास प्रदर्शन नहीं होने की वजह से उन्हें बैठा दिया गया ! गांगुली ने हिम्मत नहीं हारी और अपने प्रयास और तेज कर दिए ! 1996 में इन्हें इंग्लैंड में होने वाले टेस्ट सीरिज के लिए चुना गया ! यह सीरिज सौरव गांगुली के लिए सफलता का द्वार खोलने वाला साबित हुआ ! अपने पहले टेस्ट मैच में शतक जड़कर सभी आलोचकों का मुँह बंद कर दिया ! यहाँ से सौरव गांगुली ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और निरन्तर रूप से भारतीय टीम का प्रमुख हिस्सा बने रहे !

कप्तान के रूप में गांगुली का कैरियर

अपने बेहतरीन प्रदर्शन के कारण और चयरकर्ताओं को इनमें नेतृत्व की झलक दिखने के कारण वर्ष 2000 में इन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान नियुक्त किया गया ! कप्तान के रूप में इन्होंने भारतीय टीम को लड़ना और जूझना सिखाया ! खेल के दौरान स्थिति जैसी भी बन पड़े लेकिन गांगुली आखिरी दम तक लड़ने में यकीन रखते थे ! इनकी कप्तानी में भारतीय टीम पूर्व से अधिक मैचों में जीत हासिल की ! 2003 विश्वकप में तीन शतक लगाकर भारत को फाइनल तक पहुँचाया ! टीम के ढाँचागत निर्माण और खेलने की कुशलता के विस्तार करने के कारण हीं भारत क्रिकेट में आगे चलकर नई उँचाईयाँ हासिल कर सका ! वे इंडियन प्रीमियर लीग के शुरूआत में कोलकाता नाईटराईडर्स के तथा बाद में पुणे वारियर्स के भी कप्तान रहे !

सौरव गांगुली क्रिकेट में आज एक लीजेंड बन गए हैं ! 2008 में क्रिकेट से सन्यास के बाद 2015 में वे बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष चुने गए तत्पश्चात 2019 में वे बीसीसीआई के अध्यक्ष के लिए पदभार सँभाला !

मिल चुके हैं कई पुरस्कार व सम्मान

खेल में उत्कृष्ट योगदान देने वाले सौरव गांगुली को अपने कैरियर में कई पुरस्कार और सम्मान मिला है ! 1998 में इन्हें अर्जुन पुरस्कार व स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर पुरस्कार दिया गया ! 2004 में गांगुली को तत्कालीन भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया !2013 में इन्हें बंगा विभूषण अवार्ड से नवाजा गया !

सौरभ गांगुली के लिए उनके फैंस की दिवानगी गजब की है ! उनके फैंस उन्हें दादा, बंगाल टाइगर , प्रिंस ऑफ कोलकात्ता आदि उपनाम से पुकारते हैं !

सफलता की नित नई उँचाईयाँ चढते सौरव गांगुली क्रिकेट में रूचि रखने वाले व इसमें कैरियर बनाने वाले युवाओं के लिए एक वृहद प्रेरणा हैं ! Logically इस महान क्रिकेट सितारे सौरव गांगुली की खूब प्रशंसा करता है !

Vinayak is a true sense of humanity. Hailing from Bihar , he did his education from government institution. He loves to work on community issues like education and environment. He looks 'Stories' as source of enlightened and energy. Through his positive writings , he is bringing stories of all super heroes who are changing society.

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