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कभी भीख मांग कर करना पड़ा गुजारा, आज चलाती हैं कैफेटेरिया

कहते हैं मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती। अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा है और आप उसके लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी। इसका उदाहरण हैं पटना की रहने वाली ज्योति। अब ज्योति ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है, जो किस्मत के आगे हार मान कर प्रयास करना ही छोड़ देते है। – Jyoti begged at the railway station is now running her own cafeteria.

कहते हैं कि कार्य के साथ ही हमारा बॉडी लैंग्वेज और बात करने का तरीका भी बदल जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ ज्योति के साथ भी, जो कभी रेलवे स्टेशन पर भीख मांग कर अपना गुजारा करती थी वह आज कैफेटेरिया चला रही है। दरअसल 1 साल की उम्र में ज्योति के माता-पिता उसे पटना रेलवे स्टेशन पर छोड़ गए थे इसलिए उसे अपने माता-पिता के बारे में कुछ भी नहीं पता। अनाथ और बेसहारा ज्योति को पटना रेलवे स्टेशन पर दातुन बेच रही एक महिला ने उसे गोद लिया।

पालने वाली मां की भी हुई मौत

ज्योति (Jyoti) पटना (Patna) जंक्शन पर भीख मांगती और कचरा उठाया करती थी, लेकिन किस्मत को उसकी इतनी भी खुशी मंजूर नहीं हुई। जब ज्योति 10 साल की थी तब उसकी उस मां की भी मृत्यु हो गई जिसने उसे पाल पोष कर इतना बड़ा किया था। ऐसे में ज्योति को जिला प्रशासन ने रैंबो राजवंशी नगर में रख दिया। वह शुरू से पढ़ना चाहती थी, लेकिन स्टेशन पर रह कर उनके लिए पढ़ना आसान नहीं था। हालांकि यहां आ कर उसके सपने को एक नया पंख लग गया।। – Jyoti begged at the railway station is now running her own cafeteria.

Jyoti used to begging now she manages a cafeteria in Patna

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ज्योति अकेले चला रही हैं कैफेटेरिया

रैंबो से ही ज्योति (Jyoti) पढ़ाई पर पूरा ध्यान दी। पढ़ने की उम्र तो बीत ही रही थी, परंतु ज्योति को जब से मौका मिला उसने कड़ी मेहनत की जिसके बदौलत मैट्रिक की परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास हुई। ज्योति ना केवल पढाई में बल्कि कला में भी काफी रुचि रखती है। ज्योति की मेहनत देखकर एक कंपनी ने उन्हें कैफेटेरिया चलाने का काम दिया। ज्योति बताती है कि वह पूरे दिन कैफे चलाती है और रात को पढ़ाई करती है। इससे ज्योति अपना खर्च खुद चलाकर अपने लक्ष्य की और बढ़ रही है।

ज्योति युवतियों के लिए बन चुकी है प्रेरणास्रोत

मार्केटिंग के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने का सपना लिए ज्योति आज भी मुक्त विद्यालय से आगे की पढ़ाई कर रही हैं। ज्योति (Jyoti) आज न केवल कई युवतियों की प्रेरणास्रोत बन गई है बल्कि ऐसी लड़कियों के आंख भी खोल रही हैं, जो छोटी सी समस्या सामने आने के बाद अपना पढ़ाई छोड़ देती हैं। ज्योति कहती भी हैं कि हौसला रख कर आगे बढ़ा जाय तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है। – Jyoti begged at the railway station is now running her own cafeteria.

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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