एक शिक्षक बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करता है। कोरोना महामारी के कारण सभी स्कूल बंद किए गए है। बच्चों को फिलहाल घर पर रहकर ही पढ़ाई करने की सलाह दी गई है, क्योंकि बाहर अभी भी संक्रमण का खतरा ज़्यादा है। इसके बावजूद भी शिक्षक बच्चों की पढ़ाई को लेकर हर संभव प्रयास कर रहें हैं। कभी ऑनलाइन क्लास देकर तो कभी बच्चों के घर तक जाकर। ऐसे ही एक शिक्षक है “के मूर्ति” जो बच्चों को पढ़ाने के लिए 100 km का सफर तय कर चुके है।
तेलंगाना (Telengana) के करूर (Karoor) में एक छोटे से गांव Thottiyapatti में एक शिक्षक “के मूर्ति” (K Moorthi) बच्चों का भविष्य संवारने के लिए 100 km का सफर कर चुके है। संक्रमण के खतरे के कारण बच्चें स्कूल नहीं जा रहे है, जिससे उनके पढ़ाई में बहुत बाधा उत्पन्न हो रही है। लेकिन मूर्ति 100 km का लंबा सफर कर 13 गांवों में बच्चों के घर जाकर किताबें बांटे ताकि उनकी पढ़ाई जारी रहें।
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सभी बच्चें ऑनलाइन पढ़ाई करने में सक्षम नहीं है क्योंकि हमारे समाज में हर तबके के लोग रहते हैं। कोई अमीर तो कोई बहुत गरीब। कुछ लोगों के पास दो वक्त का खाना तक मौजूद नहीं है। ऐसे में मोबाइल, टीवी, इंटरनेट आदि की सुविधाओं के बारे में उनके लिए सोचना भी मुश्किल है।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के अनुसार “के मूर्ति” (K Moorthi) पंचायत यूनियन प्राइमरी स्कूल के हेड मास्टर हैं। जो 57 विधार्थियों के घर-घर जाकर किताबें पहुंचाई ताकि उनके पढ़ाई में कोई बाधा न आए। एजुकेशन डिपार्टमेंट ने स्कूलों में किताबें भेज दी लेकिन बच्चों तक पहुंचना मुश्किल था। मूर्ति ने बच्चों या उनके पैरेंट्स को स्कूल तक बुलाने के बजाए खुद ही उनके घर जाकर किताबें पहुंचाने का नेक कम किया है। 100 km का लंबा सफर तय करके किताबें पहुंचाने के साथ मूर्ति ने गांवों में पेड़ के नीचे बच्चों को किताब का पहला अध्याय भी पढ़ाया।
बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए The Logically ‘के मूर्ति’ द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा करता है और अपने पाठकों से ज़रूरतमंद बच्चों की मदद करने की अपील करता है।