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भारत का एक ऐसा मंदिर जहां भगवान को भोग लगाए जाते हैं 60 तरह की सिगरेट और 40 तरह की शराब

Various types of cigarettes, liquor are offered as offerings to God in Kaal Bhairav temple.

हिंदुस्तान की संस्कृति-सभ्यता पूरे विश्व में मशहूर है। इसकी संस्कृति में भगवान का प्रसाद भी शामिल है जिसका हमारे यहां काफी महत्व है। ये प्रसाद भोग, मूर्तियों के लिए वस्त्र आदि हो सकते हैं। वैसे तो हमारे हिन्दू धर्म में हज़ारों देवी-देवता हैं और उनके लिए विशेष प्रकार का प्रसाद बनता है परंतु भगवान शिव के प्रसाद की बात ही कुछ अलग है। आज हम आपको उज्जैन के बाबा भैरवनाथ के प्रसाद के विषय में बताएंगे जहां के भोग के तौर पर 40 तरह के शराब तथा 60 तरह के सिगरेट चढ़ाया जाता है।

भगवान काल भैरव

भगवान काल भैरव मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। वहां के प्रसाद की अपनी एक अलग ही प्रतिष्ठा है। जानकारी के अनुसार यहां ऐतिहासिक महत्व है कि इसका निर्माण राजा भद्रसेन ने किया था। भैरव अष्टमी के शुभ मौके के साथ अपने देवता को बेहतर भेंट चढ़ाने हेतु इस मंदिर का द्वार खोला गया। यह मंदिर उज्जैन में स्थित है जब यह मंदिर खोला गया तो यहां 1351 प्रकार के भोग चढ़ाए गए। तब से यहां महत्व बढ़ गई अब हर वर्ष यहां भगवान शिव का श्रृंगार होता है और उन्हें “महा भोग” लगाया जाता है।

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भोग में चढ़ता है 1352 तरह के भेंट

यहां जो 1351 भोग लगते हैं उसमें चरस, भांग , शराब, सिगरेट आदि कई प्रकार के पदार्थ मौजूद हैं। इन सारे प्रसादों को एक जगह इकट्ठा किया जाता है और भगवान को चढ़ाने के बाद उनके भक्तों को प्रसाद के तौर पर वितरित कर दिया जाता है। भक्त भी इस प्रकार से काफी खुश होते हैं। भगवान के इस मंदिर में काफी भीड़ भी लगती है और भक्त भगवान के दर्शन के लिए कतारबद्ध रहते हैं।

विशेष प्रसाद

यहां लगभग 390 तरह के अगरबत्ती, 60 तरह की गुजराती नमकीन, 180 तरह के फेस मास्क, 56 तरह के नमकीन, 45 तरह के बिस्किट एवं 55 तरह की मिठाईयां भी प्रसाद के तौर पर चढ़ती हैं। इसके अतिरिक्त यहां कई बेकरी मिठाईयां भी भोग लगाए जाते हैं। इसमें सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि यहां लगभग 60 तरह के सिगरेट के पैकेट, चिलम, भाँग एवं 40 तरह की शराब आदि पदार्थ शामिल है।

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जानकारी के अनुसार यहां से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है तो वह भगवान को प्रसाद चढ़ाते हैं और आगे यह परंपरा जारी रखते हैं। हर वर्ष या हो करोड़ों भक्त आते हैं और भगवान उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं जिससे उन्हें विशेष प्रकार के भोग चढ़ाया जाते हैं।

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