अक्सर लोग अपमान का बदला दूसरों को नीचा दिखाकर या बेइज्जती करके लेते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं इन्स्ल्ट का बदला इन्स्ल्ट करके नहीं बल्कि खुद की इज्ज्त बढ़ाकर लेते हैं। बेइज्जती का बदला लेने के लिए खुद की इज्जत बढ़ा लेना सबसे अच्छा तरीका है और इसी तरीके को अपनाकर बिहार के एक युवक ने अपने पिता के अपमान का बदला लिया है।
ठेले पर छोले-भटूरे बेचने वाले पिता का बेटा बना जज
यह कहानी है कि कमलेश कुमार (Kamlesh Kumar) की, जो बिहार (Bihar) के सहरसा जिले (Saharsa District) के रहनेवाले हैं। उन्होंने साल 2022 में बिहार न्यायिक परीक्षा (Bihar Judiciary Exam) में 64वीं रैंक लाकर सफलता हासिल की है और अपने माता-पिता का सर गर्व से ऊंचा किया है।
अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए एक पिता हर संभव कोशिश करता है। कमलेश के पिता भी उनकी पढ़ाई के लिए कभी कूली का काम किया, कभी रिक्शा चलाया। जब इससे कुछ नहीं हुआ तब उन्होंने ठेले पर छोले-भटूरे बेचकर परिवार का भरण-पोषण करने लगे।
With Judge Kamlesh Kumar . He cleared Bihar Judiciary 2022 with 64th Rank ⚖️🇮🇳 pic.twitter.com/6jiRLRy80V
— Rahul Yadav – Judiciary (@RahulJudiciary) October 23, 2022
झुग्गी-झोपड़ी में रहने को मजबूर थे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, काफी गरीब परिवार में जन्में कमलेश कुमार दस भाई-बहन हैं। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि इतने बड़े परिवार का जीवनयापन करना कितना मुश्किल काम है। फिर भी अपने परिवार का पेट भरने के लिए कमलेश के पिता दिल्ली चले गए जहां उन्हें झुग्गी-झोपड़ी में रहकर अपना जीवन गुजारना पड़ा। हालांकि, अधिक दिन तक वे वहां नहीं रह सके, क्योंकि सरकार ने लाल किले के पीछे बनी अवैध और अस्थाई झोपड़ियों और घरों को हटाने का आदेश दिया था जिसके निर्देशानुसार सभी अवैध घर गिरा दिए गए।
आप समझ सकते हैं कि परिवार के सर से छत हट जाए तो जीवन कितना चुनौतीपूर्ण होता है। कमलेश के परिवार के लिए अब जीवन बहुत कष्टमय हो गया। झोपड़ी गिरने के बाद अब कमलेश के पिता ने यमुना नदी के किनारे किराए पर घर लिया और परिवार के साथ रहने लगे। हालांकि, परिवार का भरण-पोषण करने के लिए जीविका का साधन भी जरुरी था ऐसे में उनके पिता दिल्ली के चांदनी चौक पर ठेला लगाकर छोले भटूरे बेचने का काम करने लगे।
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पिता की बेइज्जती देख किया जज बनने का फैसला
हर किसी के जीवन में एक टर्निंग प्वाइंट आता है और वह कभी भी आ सकता है। कमलेश के साथ भी ऐसा ही हुआ। दरअसल, कमलेश दसवीं कक्षा उतीर्ण कर चुके थे और अपने पिता की मदद के लिए ठेले पर जाते थे। उसी दौरान एक दिन ठेला बन्द करवाने के लिए पुलिस ने उनके पिता को एक थप्पड़ जड़ दिया। पुलिस द्वारा की गई इस जबरदस्ती को कमलेश और उनके पिता ने कैसे भी करके पी गए। लेकिन कमलेश के लिए इस घटना को भुला पाना सम्भव नहीं था।
इस घटना के बाद उन्हें अपने पिता द्वारा कही बात याद आई। दरअसल उनके पिता ने कहा था कि पुलिस को जज से डर लगता है। यही बात को कमलेश के दिल में बैठ गई और उन्होंने उसी समय जज बनने का निश्चय कर लिया। पढ़ने में अधिक होशियार नहीँ होने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपमान का बदला लेने के लिए जी तोड़ मेहनत करने लगे।
Bihar Judiciary Exam 2022 में हासिल की सफलता
जज बनने के लिए कमलेश कुमार (Kamlesh Kumar) को साल 2017 में उत्तर प्रदेश न्यायिक परीक्षा में असफलता हाथ लगी। उसके बाद वह Bihar Judiciary Exam की तैयारी करने लगे लेकिन यहां भी असफलता ने उन्हें घेरे रखा। उसके बाद कुछ साल कोरोना महामारी खा गया। लेकिन फिर भी कमलेश के मन में अपने पिता का अपमान याद था। वे बिना हार माने मेहनत करते रहे और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने साल 2022 में Bihar Judiciary Exam में 64वीं रैंक हासिल की।
कमलेश को जब अपनी सफलता की खबर मिली उस समय उनके पिता परिवार का जीवनयापन करने के लिए दिल्ली के चांदनी चौक पर छोले-भटूरे बेच रहे थे। कमलेश के पिता और परिवार के सदस्यों को जब उनकी सफलता के बारें में जानकारी मिली तक उन सभी के आंखों से खुशी के आंसू छलक आए। वास्तव में माता-पिता के लिए बच्चों की सफलता से बड़ी कोई खुशी नहीं होती है।
The Logically कमलेश कुमार (Kamlesh Kumar) को उनकी सफलता के लिए ढेर सारी बधाई देता है।