अब खेती भी आमदनी का अच्छा जरिया बन चुका है। कुछ समय पहले तक किसानों का मुनाफा लागत से भी कम होता था परंतु अब किसान नई तकनीकों का प्रयोग कर नई ऊंचाई को छू रहे हैं। आज हम एक ऐसी महिला किसान की बात करेंगे, जिसने अपने अनोखे कार्यो से सभी को चौका दिया है। जिस खेत से लागत भी निकालना मुश्किल था, उसी खेत में इस महिला ने अपने मेहनत से टमाटर की फसल उगाई है। अब उनके टमाटर विदेश तक जा रहे हैं।
कनकलता ने शुरू की आधुनिक तरीके से खेती
52 वर्ष कनकलता (Kanaklata) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मिर्ज़ापुर ज़िला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर सीखड़ ब्लॉक में गंगा किनारे बसे विट्ठलपुर गांव में खेती करती हैं। कनकलता के खेत के टमाटर की मांग यूके (Uk) और ओमान (oman) जैसे देशों से हो रही है। कनकलता बताती हैं कि पहले पारंपरिक पुराने तरीकों से खेती की जाती थी, जिससे मुनाफा तो दूर लागत भी बहुत मुश्किल से निकल पाता था। कनकलता एक बार नाबार्ड और कृषि विभाग के कैंप में गईं, तब उन्हें आधुनिक तरीके से खेती की जानकारी मिली और उन्होंने इसकी शुरूआत की। उसके बाद से वह कई बार ऐसे कैंप में जा चुकी हैं।
विदेश से हो रही टमाटर की मांग
कनकलता बताती हैं कि पहले डेढ़ बीघा खेत में मटर और देसी किस्म का टमाटर लगाती थी, जिससे अच्छी पैदावार भी नहीं होती थी परंतु जब से कनकलता आधुनिक तकनीक से जैविक खाद का प्रयोग कर टमाटर की खेती की शुरूआत की तबसे बहुत ही कम लागत में बहुत अच्छी पैदावार होने लगी है। अब उनके खेत से रोज़ाना एक से डेढ़ क्विंटल टमाटर निकल रहा है। कनकलता पहली बार साठ हज़ार रुपए की लागत से ड्रिप इरीगेशन और मल्चिंग लगाकर डेढ़ बीघा खेत में जैविक खाद की मदद से चढ़ाव विधि से दुर्ग प्रजाति के टमाटर की खेती की है। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से लाल टमाटर पैदा की, जिसकी मांग लंदन और ओमान जैसे देशों से हो रही है।
लंदन तथा ओमान में टमाटर का सैंपल भेजा जा चुका है
कनकलता बताती हैं कि लंदन और ओमान में सौ किलो से ज्यादा टमाटर सैंपल के लिए भेजा गया था। अब वहाँ से ऑर्डर आने लगे हैं। अब हर हफ़्ते वहां से 10 से 15 क्विंटल टमाटर की मांग की जा रही है, इसलिए विदेश में हमारे खेत का दुर्ग प्रजाति के टमाटर की खेप पहुंचना शुरू हो गया है। कनकलता का कहना है कि अगर इस बार टमाटर की खेती से अच्छा मुनाफा हुआ तो वह आगे भी टमाटर की खेती करती रहेंगी। रोज़ाना उनके खेत से एक से डेढ़ क्विंटल टमाटर निकल रहा है। विदेशों के साथ-साथ उनके टमाटर घरेलू मंडियों में भी बहुत तेजी से बिक रहा हैं। यह नए प्रजाति का है इसलिए लोग इसकी मांग ज़्यादा कर रहे हैं।
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केवल साठ हज़ार रुपए की लागत से शुरू की खेती
कनकलता एक नवचेतना एग्रो सेंटर प्रोड्यूसर लिमिटेड नामक कम्पनी से जुड़ी हुईं हैं। जिससे उन्हें आधुनिक खेती की जानकारी मिलती रहती है। इस कंपनी के सीईओ मुकेश पांडेय (Mukesh Pandey) ने बताया की कनकलता इस कंपनी से जुड़ी हुई हैं। मुकेश पांडेय का कहना है कि वह एक ऐसी महिला किसान हैं, जिन्होंने दुर्ग प्रजाति के टमाटर को चढ़ाव विधि से जैविक खाद डालकर तैयार किया है। केवल साठ हज़ार रुपए की लागत से कनकलता ने टमाटर की खेती शुरू की है। अनुमान लगाया जा रहा है कि उन्हें इससे साढे 3 गुना लाभ होने वाला है।
यह टमाटर महीनों तक खराब नहीं होते
कृषि खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के प्रयास से दुर्ग प्रजाति के टमाटर को बाज़ार में एक नई पहचान मिल रही है। इस टमाटर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह टमाटर महीनों तक खराब नहीं होता है। नए प्रजाति के होने की वजह से इस टमाटर की मांग ज्यादा हो रही है। सरकार की एजेंसी एपीडा की देखरेख में इसके सैंपल ओमान और लंदन भेजा जा चुका है। दुर्ग प्रजाति के टमाटर में कामयाबी हासील करने के बाद अब कनकलता गर्मी के सीजन के टमाटर भी लगाने की तैयारी में जुटी हैं।
कनकलता की मेहनत से ज़िले को मिली नई पहचान
मीरजापुर ज़िले के कृषि उपनिदेशक डॉ अशोक उपाध्याय (Dr. Ashok Upadhyay) बताते है कि यह महिला किसान कनकलता नवचेतना एफपीओ से जुड़ी हैं। उन्होंने जैविक खाद डालकर चढ़ाव विधि से टमाटर की दुर्ग प्रजाति की खेती की हैं। टमाटर के निर्यात के लिए एपीडा कृषि खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से एफपीओ नवचेतना का टमाटर ओमान और लंदन जा रहा है। पहले विन्ध्य क्षेत्र का टमाटर बहुत अच्छा माना जाता था परंतु कनकलता की मेहनत और उनकी इस प्रयास से नई प्रजाति की टमाटर अब उनके ज़िले की पहचान बने वाली है।