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खपरैल झोपड़ी में पली, गरीबी से जूझते हुए आगे बढ़ी, लाखों की नौकरी लगने के बाद पहली सैलरी टीचर को

Success Story Of Kanchan Dixit

कहते हैं मंजिल पाने के लिए कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है लेकिन जो लोग सफलता हासिल करने के लिए लगातार परिश्रम करते हैं तो वह कामयाबी हासिल करके ही दम लेते हैं। आज के हमारे इस लेख में हम आपको एक ऐसी लड़की से रूबरू कराएंगे जिसने कभी छप्पर के मकान में रहकर गुजारा किया लेकिन गरीबी को मात देते हुए लाखों की नौकरी हासिल की और जब उन्हें तनख़्वाह मिली तो अपने शिक्षक को दिया।

कंचन दीक्षित (Kanchan Dikshit)

वह लड़की हैं कंचन दीक्षित (Kanchan Dikshit) जो उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने गर्वमेंट स्कूल में शिक्षा हासिल किया। उन्हें मैट्रिक में 80% तथा 72% अंक प्राप्त किये। आगे वह इंजीनियरिंग करना चाहती थी लेकिन नामांकन नहीं हो रहा था। जिसके लिए उन्होंने काफी परिश्रम किया।

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शिक्षक ने निभाया पिता का फर्ज

कंचन दीक्षित (Kanchan Dikshit) कहती हैं कि उनकी मदद अमित सर ने किया। उन्होंने जब कंचन की आंखों में आंसू देखा तब वह मदद के लिए आगे आए। उन्होंने ही कंचन का दाखिला साइंस ब्रांच में कराया। मेरी पढ़ाई का पूरा खर्चा उन्होंने उठाया और मुझे काबिल बनाया।

शिक्षक को दिया भेंट

उन्होंने जी-तोड़ मेहनत किया और लाखों पैकेज की नौकरी मिली। सर ने उनका खर्चा उठाते हुए पेड इन्टरशिप एवं नौकरी के लिए हैदराबाद के लिए भेजा। उनकी मां का नाम नीलम दीक्षित तथा संजय कुमार दीक्षित है उन्होंने भी अपनी बेटी का खूब सपोर्ट किया।

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गरीब बच्चों की करेंगी मदद

जब उन्हें सैलरी मिली तो उन्होंने गीता खरीदा और अपने शिक्षक को सैलरी दिया। हलांकि उन्होंने ये सैलरी वापस कर दिया जो उनकी तरफ से आशीर्वाद बोला गया। वह कहती हैं कि अब मैं अपने कमरे का छप्पर ठीक कराउंगी। आगे जो बच्चे गरीब हैं उनकी मदद कर उन्हें पढ़ाऊंगी।

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